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UP PCS Mains-2024

  • 29 Mar 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    दिवस- 20: धन शोधन क्या होता है और यह किस प्रकार भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये एक गंभीर खतरा बन गई है? विस्तृत विश्लेषण कीजिये। (125 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षेप में धन शोधन का परिचय दीजिये।
    • भारत की आंतरिक सुरक्षा पर एलएम के प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
    • सरकार की पहल पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    इंटरपोल के अनुसार, धन शोधन का अर्थ है अवैध रूप से प्राप्त धन के स्रोत को छिपाना या उसका रूप बदलना, ताकि वह वैध स्रोत से प्राप्त प्रतीत हो। अंततः यह प्रक्रिया अवैध धन को वैध धन में परिवर्तित करने की होती है। इसमें तीन चरण शामिल होते हैं: धन का प्रवेश (Placement),स्तरीकरण (Layering) और एकीकरण (Integration)।

    • धन का प्रवेश (Placement): यह "अवैध धन" को वैध वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कराता है।
    • स्तरीकरण (Layering): इसमें लेन-देन और बहीखाता पद्धति की एक शृंखला के माध्यम से धन के स्रोत को छिपाया जाता है।
    • एकीकरण (Integration): एकीकरण के मामले में, वैध खाते से धन निकालकर उसे आपराधिक गतिविधियों में उपयोग किया जाता है।

    मुख्य भाग :  

    धन शोधन अक्सर अन्य, अधिक गंभीर अपराधों जैसे कि ड्रग तस्करी, डकैती या जबरन वसूली का एक घटक होता है। धन शोधन का प्रभाव भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा है जो इस प्रकार है:

    • सामाजिक प्रभाव: धन शोधन से अपराध में वृद्धि होती है और मानव विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। संसाधनों का गलत आवंटन स्थानीय नागरिकों के अपने घरेलू वित्तीय संस्थानों पर विश्वास को प्रभावित करता है और समाज की नैतिक और सामाजिक स्थिति को नुकसान पहुँचाता है, क्योंकि इससे समाज में नशीली दवाओं की तस्करी, तस्करी, भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक गतिविधियों का जोखिम बढ़ जाता है।
    • आर्थिक प्रभाव: धन शोधन जैसे अपराध के कारण आर्थिक शक्ति सही लोगों से स्थानांतरित होकर अपराधियों एवं आतंकवादियों जैसे ग़लत लोगों के पास चली जाती है। यह निजी क्षेत्र की वैधता तथा वित्तीय बाज़ारों की निष्पक्षता को कमज़ोर करता है, जिससे निजीकरण प्रयासों के समक्ष सुरक्षा से जुड़े खतरे उत्पन्न होते हैं।
      • कर चोरी जैसे आर्थिक अपराध के परिणामस्वरूप सरकारी राजस्व की हानि होती है, जिससे आंतरिक सुरक्षा से संबंधित योजनाओं पर व्यय करने की सरकार की क्षमता प्रभावित होती है।
    • राजनीतिक प्रभाव: धन शोधन से राजनीतिक प्रणाली में अविश्वास और अस्थिरता उत्पन्न होती है। यह राजनीति के अपराधीकरण को बढ़ावा देती है, जिसका अर्थ है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति सरकार की राजनीति में भाग लेने लगते हैं।
      • फरवरी 2023 में दायर एक याचिका में दावा किया गया था कि वर्ष 2009 से वर्तमान तक घोषित आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 44% की वृद्धि हुई है।

    सरकार ने धन शोधन की समस्या से निपटने के लिये कई पहल की हैं जो इस प्रकार हैं:

    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002: यह सभी वित्तीय संस्थाओं (बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ और उनके वित्तीय मध्यस्थ) पर लागू होता है।
    • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985: इसमें स्वापक औषधियों के अवैध व्यापार में प्रयुक्त या उससे प्राप्त संपत्ति के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
    • फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट-इंडिया (FIU-IND): यह राष्ट्रीय एजेंसी है जो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, प्रसंस्करण, विश्लेषण और प्रसार के लिये उत्तरदायी है।

    निष्कर्ष: 

    इस प्रकार, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों द्वारा समर्थित धन शोधन के उभरते खतरों को बड़े डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे समान रूप से उन्नत धन शोधन विरोधी तंत्रों के साथ संबोधित करने की आवश्यकता है। धन शोधन की समस्या को प्रभावी ढंग से समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों हितधारकों को आपस में डेटा-शेयरिंग तंत्र को सुदृढ़ करके एक साथ आने की आवश्यकता है।

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