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15 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस- 06: शरणार्थियों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? भारत में शरणार्थी समस्या के प्रमुख क्षेत्रों और इसकी प्रकृति पर प्रकाश डालिये। (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- शरणार्थी शब्द को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
- शरणार्थियों से संबंधित प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- भारत में शरणार्थियों से संबंधित समस्याओं के प्रमुख क्षेत्रों तथा प्रकृति पर प्रकाश डालिये।
परिचय:
शरणार्थी ऐसे लोग हैं जिन्हें अपने निवास स्थान से भागने के लिये मजबूर किया जाता है और वे किसी दूसरे देश में सुरक्षा पाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर जाते हैं। वर्ष 1951 का शरणार्थी सम्मेलन इस क्रम में एक प्रमुख विधिक दस्तावेज़ है और इसमें शरणार्थी को “ऐसे व्यक्ति” के रूप में परिभाषित किया गया है जो नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनीतिक दृष्टिकोण के कारण अपने मूल देश में लौटने में असमर्थ या अनिच्छुक है।
UNHCR (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी) के अनुसार, वर्ष 2023 के अंत तक विश्व भर में 43.4 मिलियन शरणार्थी थे। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, अनुमान है कि भारत में 40,000 रोहिंग्या हैं जिनमें से कम से कम 20,000 संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में पंजीकृत हैं।
मुख्य भाग:
शरणार्थियों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:
- राजनीतिक अधिकार: शरणार्थियों को राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं, जैसे बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी वोट नहीं दे सकते तथा अपने प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं कर सकते।
- पहचान का अभाव: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार, अधिकांश शरणार्थी बिना किसी पहचान के रहने को मजबूर हैं।
- सीरिया में मानवाधिकारों पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में पाया गया कि सीरियाई सरकार अक्सर अपने नागरिकों को पासपोर्ट और अन्य पहचान दस्तावेज़ देने से मना कर देती है। सीरिया से आने वाले शरणार्थियों के पास पहचान पत्र न होने से वे पूरी तरह असहाय हो जाते हैं।
- बुनियादी सुविधाओं तक पहुंँच का अभाव: शरणार्थियों के लिये पीने, नहाने और सफाई के लिये जल, खाना पकाने के लिये ईंधन एवं स्थायी आश्रय जैसी बुनियादी सुविधाएँ पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवीय मानकों के अनुसार, आपातकालीन स्थिति में शरणार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन न्यूनतम 15 लीटर स्वच्छ जल मिलना चाहिये अथवा पुराने शरणार्थी शिविरों में प्रति व्यक्ति न्यूनतम 20 लीटर स्वच्छ जल मिलना चाहिए।
- शिक्षा: अपने अंतर्राष्ट्रीय अधिदेश के तहत, UNHCR यह सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है कि शरणार्थी शिक्षा प्राप्त कर सकें। आंदोलन और विस्थापन के कारण शरणार्थी बच्चों की शिक्षा बाधित होती है।
- बेरोज़गारी की समस्या: उदाहरण के लिये, जॉर्डन में बेरोज़गारी दर 23 प्रतिशत है तथा कई शरणार्थी (जिनके पास वर्क परमिट भी है) अभी भी नौकरी पाने तथा अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
- अपराध और मानवाधिकार हिंसा: सुरक्षा समस्या के कारण शरणार्थी मानव तस्करी और यौन उत्पीड़न के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं तथा अधिकांश शरणार्थी मादक पदार्थों की तस्करी जैसी गैर-कानूनी गतिविधियों में संलग्न होते हैं।
भारत में शरणार्थियों से संबंधित समस्याओं के प्रमुख क्षेत्र और प्रकृति:
- शरणार्थी बनाम आप्रवासी: हाल के दिनों में पड़ोसी देशों से बहुत से लोग अवैध रूप से भारत में आकर बसे हैं, ऐसा केवल राज्य द्वारा उत्पीड़न के कारण नहीं, बल्कि भारत में बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण भी होता है।
- वास्तविकता यह है कि देश में अधिकांश बहस अवैध आप्रवासियों के बारे में है लेकिन शरणार्थियों के बारे में नहीं, तथापि दोनों श्रेणियों को एक साथ जोड़कर देखा जाता है।
- इसके कारण इन मुद्दों से निपटने के लिये नीतियों और उपायों में स्पष्टता के साथ-साथ नीति उपयोगिता का भी अभाव है।
- रूपरेखा में अस्पष्टता: अवैध आप्रवासियों और शरणार्थियों के प्रति हमारी नीतियों में अस्पष्टता का मुख्य कारण यह है कि भारतीय कानून के अनुसार, दोनों श्रेणियों के लोगों को एक ही माना जाता है और वे विदेशी अधिनियम, 1946 के अंतर्गत आते हैं।
- प्रभावी विधिक ढाँचा: प्रभावी विधिक ढाँचे की अनुपस्थिति से भी नीतिगत अस्पष्टता को जन्म मिलता है, जिसके कारण भारत की शरणार्थी नीति मुख्य रूप से तदर्थवाद द्वारा निर्देशित होती है।
- तदर्थ उपाय सत्ता में बैठी सरकार को यह चुनने का अधिकार देते हैं कि वह किसी भी राजनीतिक या भू-राजनीतिक कारण से 'किस प्रकार' के शरणार्थियों को स्वीकार करना चाहती है।
- इसका परिणाम भेदभावपूर्ण कार्रवाई के रूप में सामने आता है, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
- अकुशल नागरिकता नियम: भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पारित किया है। CAA का उद्देश्य भारत के पड़ोस में धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा राज्य द्वारा सताए गए लोगों को नागरिकता प्रदान करना है।
- आलोचकों का तर्क है कि CAA अपने चयनात्मक दृष्टिकोण के कारण शरणार्थी संकट को अपर्याप्त रूप से हल करने पर केंद्रित है क्योंकि इसमें कुछ विस्थापित समुदायों को इससे बाहर रखा गया है।
निष्कर्ष:
भारत में मानवीय आधार पर विभिन्न देशों के शरणार्थियों को शरण दी जाती है। हालाँकि, स्पष्ट शरणार्थी नीति का अभाव एक गंभीर चिंता का विषय (खासकर रोहिंग्या और अन्य विस्थापित समुदायों के संदर्भ में) बना हुआ है। शरणार्थियों की अपने वतन लौटने की इच्छा सुरक्षा और संरक्षा के आश्वासन पर निर्भर करती है। इसलिये, शरणार्थी संकट को प्रभावी ढंग से हल करने और मानवीय सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिये एक धारणीय नीतिगत ढाँचा अनिवार्य है।