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20 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 11: भारत में ई-गवर्नेंस के कार्यान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? साथ ही, यह भ्रष्टाचार में कमी लाने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हो रहा है? (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- ई-गवर्नेंस को परिभाषित कीजिये।
- ई-गवर्नेंस के कार्यान्वयन में चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- बताइये कि ई-गवर्नेंस किस प्रकार भ्रष्टाचार को कम करता है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
ई-गवर्नेंस से तात्पर्य सरकारी निकायों द्वारा सेवाओं की डिलीवरी बढ़ाने, नागरिकों के साथ जुड़ने और आंतरिक परिचालन में सुधार करने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकियों (ITC) के उपयोग से है। डिजिटल इंडिया पहल (2015) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NEGP, 2006) ने भारत में IT-सक्षम शासन की नींव रखी है।
मुख्य भाग:
भारत में ई-गवर्नेंस के कार्यान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ:
- डिजिटल विभाजन
- ग्रामीण-शहरी अंतर: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के अनुसार, भारत में एक महत्त्वपूर्ण डिजिटल विभाजन मौजूद है, जहाँ केवल 24% ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट का उपयोग है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 66% है।
- लैंगिक विभाजन: GSMA मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में केवल 30% महिलाएँ मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करती हैं, जिससे ई-गवर्नेंस सेवाओं तक उनकी पहुँच प्रभावित होती है।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: केरल और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों में बिहार एवं झारखंड की तुलना में IT की पहुँच बेहतर है।
- साइबर सुरक्षा खतरे
- डेटा उल्लंघन: भारत दुनिया में साइबर हमलों के मामले में दूसरा सबसे अधिक लक्षित देश बनकर उभरा है, क्योंकि वर्ष 2024 में 95 भारतीय संस्थाएँ डेटा चोरी के हमलों की चपेट में आईं।
- जागरूकता का अभाव: कई सरकारी पोर्टल कमज़ोर एन्क्रिप्शन और पुराने सुरक्षा उपायों के कारण साइबर खतरों का सामना करते हैं।
- वर्ष 2023 में एम्स दिल्ली का सर्वर हैक कर लिया गया, जिससे मरीज़ों का संवेदनशील डेटा उजागर हो गया।
- डिजिटल साक्षरता का अभाव
- कम IT जागरूकता: वर्ष 2022 के NSSO सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 38% भारतीयों के पास बुनियादी डिजिटल साक्षरता है, जो ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्मों के प्रभावी उपयोग को सीमित करता है।
- अपनाने में बाधा: कई सरकारी पोर्टलों का इंटरफेस जटिल है, जिससे वे कम डिजिटल साक्षरता वाले लोगों के लिये दुर्गम हो जाते हैं।
- खराब IT अवसंरचना
- धीमी इंटरनेट कनेक्टिविटी: कई दूर-दराज़ के गाँवों में 4G की पहुँच अभी भी खराब है और 5G की स्थापना अपने प्रारंभिक चरण में है।
- विद्युत आपूर्ति का अभाव: कई ग्राम पंचायत कार्यालयों में बार-बार बिजली कटौती होती है, जिससे IT आधारित सेवा वितरण प्रभावित होता है।
- ग्रामीण भारत में डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के लिये स्थापित सामान्य सेवा केंद्र (CSC) अक्सर नेटवर्क विफलताओं और बिजली कटौती से ग्रस्त रहते हैं।
- परिवर्तन का प्रतिरोध और नौकरशाही बाधाएँ
- क्षमता निर्माण का अभाव: कई सरकारी अधिकारी IT प्रणालियों से अपरिचित हैं, जिसके कारण वे डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने में अनिच्छा रखते हैं।
- कई विभागों में ई-ऑफिस पहल का कार्यान्वयन धीमी गति से हुआ है, क्योंकि निचले स्तर के कर्मचारी पारंपरिक कागज़ी कार्रवाई को प्राथमिकता देते हैं और इसका विरोध करते हैं।
- गोपनीयता और डेटा सुरक्षा मुद्दे
- कोई व्यापक डेटा कानून नहीं: भारत ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 पारित किया, लेकिन इसका कार्यान्वयन अभी भी प्रगति पर है।
- डेटा के दुरुपयोग का खतरा: आधार से जुड़े डेटा लीक ने नागरिकों की व्यक्तिगत सूचना सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- प्रणालियों के बीच अंतर-संचालनीयता का अभाव
- खंडित डेटाबेस: कई सरकारी विभाग अलग-अलग ढंग से काम करते हैं, जिससे कार्य का दोहराव और अकुशलता उत्पन्न होती है।
- आधार, पैन और वोटर ID के एकीकरण में अभी भी तकनीकी तथा प्रशासनिक बाधाएँ हैं।
- खंडित डेटाबेस: कई सरकारी विभाग अलग-अलग ढंग से काम करते हैं, जिससे कार्य का दोहराव और अकुशलता उत्पन्न होती है।
ई-गवर्नेंस भारत में भ्रष्टाचार को कम कर रहा है
- मानवीय हस्तक्षेप को न्यूनतम करना और नौकरशाही विलंब को कम करना
- प्रक्रियाओं के स्वचालन से बिचौलियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और अधिकारियों की विवेकाधीन शक्तियाँ कम हो जाती हैं।
- पासपोर्ट सेवा केंद्र समयबद्ध, पारदर्शी तरीके से पासपोर्ट जारी करना सुनिश्चित करता है, जिससे रिश्वत कम होती है।
- प्रक्रियाओं के स्वचालन से बिचौलियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और अधिकारियों की विवेकाधीन शक्तियाँ कम हो जाती हैं।
- सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ाना
- सूचना का अधिकार (RTI) ऑनलाइन पोर्टल: नागरिक डिजिटल रूप से RTI आवेदन दायर कर सकते हैं, जिससे सरकारी कार्य अधिक पारदर्शी हो जाएंगे।
- GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) प्लेटफॉर्म निष्पक्ष, प्रतिस्पर्द्धी बोली सुनिश्चित करके खरीद-संबंधी धोखाधड़ी को रोकता है।
- सूचना का अधिकार (RTI) ऑनलाइन पोर्टल: नागरिक डिजिटल रूप से RTI आवेदन दायर कर सकते हैं, जिससे सरकारी कार्य अधिक पारदर्शी हो जाएंगे।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): लीकेज को खत्म करना
- DBT योजना (2013) लाभार्थियों के बैंक खातों में सब्सिडी और कल्याणकारी लाभों का सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित करती है, जिससे फर्जी लाभार्थियों की समस्या समाप्त हो जाती है।
- वर्ष 2023 तक, DBT ने पीएम-किसान, LPG सब्सिडी और मनरेगा जैसी योजनाओं में चोरी को कम करके ₹3.72 लाख करोड़ की बचत की।
- DBT योजना (2013) लाभार्थियों के बैंक खातों में सब्सिडी और कल्याणकारी लाभों का सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित करती है, जिससे फर्जी लाभार्थियों की समस्या समाप्त हो जाती है।
- ई-टेंडरिंग और ई-नीलामी: सार्वजनिक खरीद में भाई-भतीजावाद का अंत
- CPPP (केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल) जैसे ई-टेंडरिंग पोर्टल निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देते हैं तथा पक्षपात को कम करते हैं।
- वर्ष 2014 में कोयला ब्लॉकों की ई-नीलामी शुरू होने से मनमाने ढंग से कोयला ब्लॉकों का आवंटन बंद हो गया और बड़े घोटाले रुक गए।
- CPPP (केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल) जैसे ई-टेंडरिंग पोर्टल निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देते हैं तथा पक्षपात को कम करते हैं।
- डिजिटल शिकायत निवारण: नागरिकों को सशक्त बनाना
- CPGRAMS (केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण प्रणाली) ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
- वर्ष 2022 से 2024 तक, CPGRAMS ने 70 लाख से अधिक शिकायतों का सफलतापूर्वक समाधान किया, जिससे अधिक उत्तरदायी और कुशल भारत बनाने में मदद मिली।
- CPGRAMS (केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण प्रणाली) ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
- शासन में ब्लॉकचेन और AI: छेड़छाड़ और धोखाधड़ी को कम करना
- ब्लॉकचेन भूमि अभिलेखों में छेड़छाड़-मुक्ति सुनिश्चित करता है, जिससे भूमि-संबंधी भ्रष्टाचार कम होता है।
- आंध्र प्रदेश ने अवैध भूमि हड़पने को रोकने के लिये ब्लॉकचेन आधारित भूमि अभिलेखों को अपनाया।
- ब्लॉकचेन भूमि अभिलेखों में छेड़छाड़-मुक्ति सुनिश्चित करता है, जिससे भूमि-संबंधी भ्रष्टाचार कम होता है।
निष्कर्ष
डिजिटल युग की ओर बढ़ते समाज में, ई-गवर्नेंस पारंपरिक शासन प्रणाली की चुनौतियों का समाधान करते हुए सरकार को अधिक उत्तरदायी, कुशल और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। 5G, AI और ब्लॉकचेन में प्रगति के साथ, भारत डिजिटल रूप से समावेशी एवं भ्रष्टाचार मुक्त भविष्य के लिये तैयार है। साइबर सुरक्षा, डिजिटल साक्षरता और बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने से आने वाले वर्षों में एक निर्बाध, जवाबदेह एवं नागरिक-केंद्रित शासन प्रणाली सुनिश्चित होगी।