दिवस- 27: भूस्खलन के कारण पहाड़ी ज़िले में व्यापक तबाही हुई, जिससे 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य घायल हो गए। जैसे ही सूचना मिली, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य पुलिस और चिकित्सा सहायता दल तुरंत घटनास्थल पर पहुँचे। मलबा हटाने और शवों को बाहर निकालने में तीन दिन से अधिक का समय लगा। घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है। दी गई स्थिति में नैतिक मुद्दे क्या हैं? क्षेत्र के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के रूप में, आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या होगी? (200 शब्द)
05 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | केस स्टडीज़
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- मामले का संक्षेप में उल्लेख कीजिये।
- मामले में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- ऐसी आपदाओं से निपटने के लिये अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों का उल्लेख कीजिये।
- उचित रूप से निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
यह केस स्टडी भूस्खलन से उत्पन्न एक प्राकृतिक आपदा को प्रस्तुत करती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक जान-माल की हानि हुई है। यह स्थिति अनेक नैतिक मुद्दों को उजागर करती है और त्वरित बचाव तथा समुचित पुनर्वास उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
मुख्य भाग:
दी गई स्थिति में शामिल नैतिक मुद्दे इस प्रकार हैं:
- इस आपदा के कारण जान-माल की हानि हुई है, जो अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के विरुद्ध है।
- आपदा के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुँचा है जो पर्यावरण नैतिकता का मुद्दा है। अनुच्छेद 48A के तहत पर्यावरण की रक्षा करना राज्य की ज़िम्मेदारी है।
- ऐसी आपदाओं के कारण बड़े पैमाने पर पशुओं की मृत्यु और विस्थापन भी होता है। इस प्रकार, यह पशु अधिकारों के उल्लंघन का मामला भी है।
- क्षेत्र के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के रूप में मेरी प्रतिक्रिया अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों के रूप में होगी।
अल्पकालिक उपाय:
- खोज एवं बचाव कार्य यथाशीघ्र शुरू किये जाने चाहिये।
- आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं और चोटों के समुचित मूल्यांकन की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिये।
- भोजन एवं जल प्रबंधन सुनिश्चित करना।
- चूँकि पहाड़ी क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं, इसलिये एक हेल्पलाइन शुरू की जानी चाहिये।
- विस्थापित व्यक्तियों और परिवारों के लिये आश्रय व्यवस्था।
- खाद्य सामग्री, औषधियों तथा अन्य आवश्यक सार्वजनिक वस्तुओं की आपूर्ति को शीघ्रता से बहाल करने हेतु ठोस प्रयास किये जाने चाहिये।
- सार्वजनिक परिवहन की बहाली हेतु असुरक्षित सड़कों, मार्गों एवं सार्वजनिक स्थलों से टूटे काँच, मलबा, चिनाई इत्यादि जैसे संभावित खतरों को शीघ्र हटाया जाना चाहिये।
दीर्घकालिक उपाय:
- किसी आपदा के दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन किया जाएगा।
- ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण राज्य और केंद्र सरकार के साथ समन्वय करके भूस्खलन खतरा मानचित्र तैयार करेगा।
- स्वीकार्य स्तर से अधिक निर्माण गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पर्यटकों की आवाजाही को नियंत्रित किया जाएगा।
- आपदा से निपटने के लिये प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता के रूप में स्थानीय लोगों की क्षमता निर्माण जैसी पहल की जाएगी।
निष्कर्ष:
ये प्रयास 'बिल्ड बैक बेटर' की अवधारणा के अनुरूप सतत् विकास को सुदृढ़ रूप से प्रोत्साहित करेंगे।