08 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- जल शक्ति अभियान के उद्देश्य पर संक्षेप में चर्चा कीजिये।
- अभियान के अंतर्गत विशेष हस्तक्षेप का उल्लेख कीजिये।
- उत्तर प्रदेश में जल संकट की समस्या पर प्रकाश डालिये तथा बताइये कि अभियान किस प्रकार उस संकट को कम कर सकता है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
भारत में दुनिया की 18% आबादी रहती है, लेकिन जल संसाधन सिर्फ 4% ही उपलब्ध हैं और यह गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। इस संदर्भ में, जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में जल संरक्षण प्रयासों में तेज़ी लाने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जल शक्ति अभियान (JSA) शुरू किया गया था। यह अभियान ग्रामीण उत्तर प्रदेश के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, जो भूजल में कमी, अनियमित वर्षा और अकुशल सिंचाई प्रथाओं से जूझ रहा है।
मुख्य भाग:
जल शक्ति अभियान के अंतर्गत विशेष हस्तक्षेप क्षेत्र:
- जल शक्ति केंद्र की स्थापना: प्रत्येक ज़िला मुख्यालय पर जल शक्ति केंद्र (JSK) स्थापित करने की योजना बनाई गई है। JSK जल संरक्षण तकनीकों से संबंधित जानकारी का प्रसार करने के लिये “ज्ञान केंद्र” होंगे और लोगों को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: प्रौद्योगिकी का उपयोग सभी जल निकायों की गणना, सूची बनाने और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मानचित्रण के लिये किया जाएगा।
- वैज्ञानिक जल संरक्षण योजना की तैयारी: देश के प्रत्येक ज़िले से अनुरोध किया गया है कि वे मौजूदा जल निकायों/जल संचयन संरचनाओं (WHS) की पहचान करने और भविष्य की जल संचयन संरचनाओं की योजना बनाने के लिये राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी से प्राप्त सुदूर संवेदन छवियों एवं GIS मानचित्रण प्रौद्योगिकी की सहायता से वैज्ञानिक जल संरक्षण योजना तैयार करें।
- कृषि विज्ञान केंद्र मेला: यह सिंचाई के लिये जल के कुशल उपयोग (प्रति बूंद अधिक फसल) और जल संरक्षण के लिये फसलों के बेहतर विकल्प को बढ़ावा देता है।
- शहरी अपशिष्ट जल पुनः उपयोग: शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक और कृषि उद्देश्यों के लिये अपशिष्ट जल पुनः उपयोग के लिये समयबद्ध लक्ष्य के साथ योजनाएँ/अनुमोदन विकसित किये जाने हैं। नगरपालिकाओं को ग्रे वाटर और ब्लैक वाटर को अलग करने के लिये उप-नियम पारित करने होंगे।
उत्तर प्रदेश में जल संकट की समस्या
- बुंदेलखंड क्षेत्र: यह क्षेत्र विभिन्न पर्यावरणीय कारकों जैसे चट्टानी सतह, उच्च तापमान, पानी का तेज़ बहाव, भूजल स्तर में कमी और ऊपरी ढलानों पर वनों की कटाई के कारण जल की कमी से ग्रस्त है।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश: यह क्षेत्र हरित क्रांति का केंद्र था, जिसके कारण भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश: यह क्षेत्र भूजल प्रदूषण और बाढ़ की समस्या से प्रभावित है। सोनभद्र में भूजल में फ्लोराइड प्रदूषण पाया गया है, जबकि गोंडा एवं बस्ती के पूर्वी ज़िलों में आर्सेनिक विषाक्तता अधिक पाई गई है।
जल शक्ति अभियान के अंतर्गत उपरोक्त चुनौतियों से निपटने के लिये निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं:
- चेक डैम, जल संचयन गड्ढे, छत पर वर्षा जल संचयन प्रणाली आदि बनाने के लिये अभियान।
- भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिये अतिक्रमण हटाना और टैंकों से गाद निकालना।
- जलग्रहण क्षेत्रों आदि से जल लाने वाले चैनलों में अवरोधों को हटाना।
- बावड़ियों की मरम्मत करना तथा बंद पड़े बोरवेल और अप्रयुक्त कुओं का उपयोग कर जल को पुनः जलभृतों में डालना।
निष्कर्ष:
सरकार का एक अन्य प्रमुख प्रयास 'अमृत सरोवर मिशन' है, जिसका उद्देश्य आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश के प्रत्येक ज़िले में जल निकायों का विकास और पुनरुद्धार करना है। सरकार के इन प्रयासों को लोगों की सक्रिय भागीदारी से पुष्ट किया जाना चाहिये।