दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- शहरीकरण को परिभाषित कीजिये।
- शहरीकरण की आवश्यकता एवं चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- सरकार की प्रमुख योजनाओं एवं पहलों की व्याख्या कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
शहरीकरण का तात्पर्य देश में शहरी आबादी के अनुपात में होने वाली वृद्धि से है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की 31.2 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। संयुक्त राष्ट्र विश्व शहरीकरण संभावना 2018 के अनुसार, वर्ष 2050 तक देश की 50% से अधिक आबादी शहरी होगी। शहरीकरण का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी के अवसर और बेहतर जीवन स्तर जैसे कारकों के कारण ग्रामीण-शहरी प्रवास है।
मुख्य भाग:
शहरीकरण की आवश्यकता:
- शहरी जीवन उच्च साक्षरता और शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य, लंबी जीवन प्रत्याशा, सामाजिक सेवाओं तक बेहतर पहुँच तथा सांस्कृतिक और राजनीतिक भागीदारी में बेहतर अवसरों से संबंधित है।
- इससे आम लोगों के लिये सूचना के स्रोतों तक पहुँच आसान हुई है। उदाहरण के लिये, कस्बों और शहरों में रहने वाली महिलाओं को परिवार नियोजन के बारे में अधिक जानकारी होने की संभावना है।
- शहर आर्थिक विकास के चालक होने के साथ वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं। भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये शहरीकरण समय की मांग है।
- हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में पलायन भी बना हुआ है।
- शहरीकरण, औद्योगिक विकास में वृद्धि से संबंधित है। उद्योगों में काफी अधिक मात्रा में रोज़गार उपलब्ध कराने की क्षमता है।
- शहरीकरण से सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा मिलता है। इससे जातिगत पहचान कमज़ोर होती है, जो गाँवों में बहुत व्यापक है।
- शहरीकरण, महिलाओं के सशक्तीकरण का भी एक साधन है। इससे रोज़गार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य से संबंधित सुविधाओं तक पहुँच में वृद्धि होती है।
हालाँकि, शहरीकरण चुनौतियों से मुक्त नहीं है:
- इससे मौजूदा सार्वजनिक उपयोगिताओं पर अत्यधिक जनसंख्या दबाव पैदा होता है। शहर झुग्गी-झोपड़ियों, अपराध, बेरोज़गारी, शहरी गरीबी, प्रदूषण, भीड़भाड़, अस्वस्थता एवं कई विकृत सामाजिक गतिविधियों की समस्याओं से ग्रस्त हैं।
- अपर्याप्त आवास की समस्या, शहरीकरण से संबंधित है। शहरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा खराब आवास और अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जगहों पर रहता है।
- शहरी इलाकों में अपराध दर बहुत अधिक है। महिलाओं के खिलाफ अपराध, साइबर अपराध, फिरौती के लिये अपहरण, धोखाधड़ी जैसे अपराध शहरों से अधिक संबंधित हैं।
- शहरी क्षेत्रों में अपर्याप्त जलापूर्ति और स्वच्छता की समस्या है। इससे डेंगू जैसी जल जनित बीमारियाँ फैलती हैं।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं अपशिष्ट जल उपचार से जुड़ी समस्या एक और चुनौती है।
- शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ के कारण यातायात जाम और भीड़भाड़ की स्थिति पैदा हो जाती है।
- औद्योगिक और वाहन प्रदूषण के कारण शहर प्रदूषण का केंद्र बन जाते हैं। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान शहरों का ही है।
शहरीकरण के नकारात्मक परिणामों को कम करने के लिये सरकार ने निम्नलिखित पहल की हैं:
- स्मार्ट सिटी मिशन: इसका उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देना है जो मूलभूत बुनियादी ढाँचा प्रदान करने के साथ अपने नागरिकों को 'स्मार्ट' समाधानों के माध्यम से एक सभ्य जीवन स्तर के साथ स्वच्छ और धारणीय वातावरण प्रदान करते हैं।
- कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT): इसका उद्देश्य जल आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन सुनिश्चित करना, हरियाली एवं पार्क विकसित करना तथा सार्वजनिक परिवहन अपनाकर प्रदूषण को कम करना आदि है।
- विरासत शहर विकास एवं संवर्द्धन योजना (HRIDYA): इसके तहत विरासत शहरों का रणनीतिक और योजनाबद्ध विकास करना शामिल है जिसका उद्देश्य स्वच्छता, सुरक्षा, पर्यटन, विरासत पुनरोद्धार एवं आजीविका पर विशेष ध्यान देते हुए जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार लाना तथा शहर की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)-शहरी: यह शहरी गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराने की एक पहल है।
- स्वच्छ भारत मिशन: इसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के प्रयासों में तेज़ी लाना तथा स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करना है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण और विनिर्माण (FAME): यह योजना अप्रैल 2015 में राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन के तहत शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करके इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहन खरीद को प्रोत्साहित करना है।
- नगर निगम बॉण्ड: लखनऊ और गाजियाबाद जैसे ज़िलों ने शहरी बुनियादी ढाँचे में निवेश आकर्षित करने के लिये नगर निगम बॉण्ड जारी किये हैं।
निष्कर्ष:
ग्रामीण-शहरी प्रवास को कम करने के लिये हम ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को बागवानी, जलीय कृषि और पशुपालन के रूप में वैकल्पिक आय के अवसर प्रदान कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का प्रावधान (PURA) जैसी पहल भी बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवास को रोक सकती है और इस तरह शहरीकरण से जुड़ी समस्या को कम किया जा सकता है।
सतत् विकास लक्ष्यों के लक्ष्य संख्या 11 में समावेशी, सुरक्षित, अनुकूल और धारणीय शहरों पर बल दिया गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये हमें नीतियों को एकीकृत तरीके से लागू करने एवं सामाजिक समावेशन, संसाधन दक्षता, जलवायु परिवर्तन के लिये शमन और अनुकूलन तथा आपदा के प्रति लचीलेपन की दिशा में योजना बनाने की आवश्यकता है।