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22 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस- 13: "भारत की G20 अध्यक्षता उसके वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षाओं में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। इस संदर्भ में विश्लेषण कीजिये कि भारत विश्व शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में कैसे योगदान दे सकता है।" (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- बताइये कि G20 की अध्यक्षता एक महत्त्वपूर्ण क्षण है।
- वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में भारत की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- सकारात्मक टिप्पणी के साथ समापन कीजिये।
परिचय:
भारत की G20 अध्यक्षता इसके इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है, जो इसे वैश्विक शासन को आकार देने में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है। "वसुधैव कुटुम्बकम्" (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य) की थीम के साथ, भारत का लक्ष्य समावेशी, सतत् और न्यायसंगत वैश्विक विकास को बढ़ावा देना है। विकसित और विकासशील देशों के बीच एक सेतु के रूप में, G20 में भारत का नेतृत्व दुनिया भर में शांति, समृद्धि एवं स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
मुख्य भाग:
भारत निम्नलिखित तरीकों से वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है:
- पर्यावरण हित में अग्रणी: भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विश्व के साथ सहयोग करने के लिये संस्थागत समाधान दिये हैं। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की।
- भारत ने जलवायु अनुकूलन के लिये आपदा रोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन बनाया है। यह करोड़ों लोगों की जान बचाने के लिये एक संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण पहल है। भारत पंचामृत (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन में भारत की पाँच प्रतिबद्धताएँ) और पर्यावरण के लिये जीवनशैली (LIFE) जैसी पहलों के माध्यम से स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- आतंकवाद की मुखर आलोचना: भारत ने आतंकवाद विरोधी पहलों का समर्थन किया है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को अपनाने का प्रस्ताव देने वाला पहला देश था। यह आतंकवादी वित्तपोषण गठजोड़ को तोड़ने के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ रहा है।
- युवाओं का राष्ट्र: जबकि विश्व की जनसंख्या तेज़ी से वृद्ध हो रही है, भारत एक युवा राष्ट्र के रूप में उभर रहा है, जहाँ 50% से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है। इसकी गतिशील जनसांख्यिकी न केवल वैश्विक निवेशकों के लिये एक विशाल बाज़ार प्रस्तुत करती है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये एक समृद्ध और कुशल कार्यबल भी प्रदान करती है।
- बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थक: स्वतंत्रता के बाद से, भारत निरंतर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का पक्षधर रहा है, जहाँ बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की प्रधानता बनी रहे। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) इसकी प्रतिबद्धता का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।
- वर्तमान में भारत वैश्विक शासन की संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक आदि में सुधार की मांग कर रहा है। भारत की मांगें ग्लोबल साउथ (अल्पविकसित और सबसे कम विकसित देशों का समूह) की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- एक ज़िम्मेदार राष्ट्र: भारत हमेशा से ही कानून का पालन करने वाला राष्ट्र रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने पर बल देता है। इसी भावना के तहत, भारत संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न पहलों और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेता है तथा हिंद महासागर क्षेत्र में एक नेट-सुरक्षा प्रदाता की भूमिका निभाता है।
- भारत वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) में एक प्रमुख प्रथम प्रत्युत्तरदाता के रूप में उभरा है। भूकंप प्रभावित सीरिया और तुर्की में "ऑपरेशन दोस्त" एवं वैश्विक टीकाकरण प्रयासों को समर्थन देने हेतु "वैक्सीन मैत्री" पहल इसका उदाहरण हैं।
- विश्व शांति में एक तटस्थ मध्यस्थ: भारत में कई विरोधाभासों को संतुलित करने की क्षमता है। एक ओर, यह SCO (शंघाई सहयोग संगठन) जैसे मंच पर रूस और चीन के साथ बातचीत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर, यह QUAD (चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता) जैसे मंच पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है। यह रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे चल रहे संकट में एक तटस्थ मध्यस्थ बनने की भारत की क्षमता को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
भारत अपनी वैश्विक साख के साथ विश्व कल्याण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने की क्षमता रखता है। यह न केवल दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, बल्कि पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भी स्थापित है। भारत की सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। यह संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में प्रमुख योगदानकर्त्ताओं में से एक है और संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष में चौथा सबसे बड़ा दानदाता भी है।
वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये भारत का रास्ता 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के रास्ते से होकर जाता है, जहाँ सामान्य समस्याओं को हल करने के लिये साझा प्रयासों की आवश्यकता होती है। अपनी कूटनीतिक, आर्थिक और तकनीकी ताकत का लाभ उठाकर, भारत एक अधिक न्यायपूर्ण, सतत् एवं शांतिपूर्ण विश्व व्यवस्था के प्रमुख वास्तुकार के रूप में उभर सकता है।
"हमें हमेशा याद रखना चाहिये कि - हममें से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं हैं"।