दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैश्वीकरण को परिभाषित कीजिये।
- इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की व्याख्या कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
वैश्वीकरण का तात्पर्य व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और सूचना विनिमय के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों एवं समाजों के बीच बढ़ती परस्पर संबद्धता से है। भारत में वैश्वीकरण को वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद गति मिली, जिससे व्यापार उदारीकरण, टैरिफ में कटौती और विदेशी निवेश के लिये अर्थव्यवस्था के द्वार खुल गए। इस परिवर्तन का भारतीय समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है, जिससे अवसर और चुनौतियाँ दोनों सामने आई हैं।
मुख्य भाग:
भारतीय संस्कृति पर प्रभाव:
- वैश्वीकरण के प्रभाव से खान-पान की आदतों में बदलाव आया है, जिससे फास्ट फूड संस्कृति बढ़ी है। उदाहरण के लिये, मैकडोनाल्ड और KFC जैसे वैश्विक खाद्य शृंखलाओं का प्रसार।
- इससे जीवन जीने के तरीके, संस्कृतियों आदि में एकरूपता भी आई है। उदाहरण के लिये, मल्टीप्लेक्स का चलन, मैकडोनाल्ड और KFC का प्रसार।
- लेकिन कुछ लोगों के लिये यह ग्लोकलाइजेशन है अर्थात् वैश्विक और स्थानीय का मिश्रण। उदाहरण के लिये, मैकडोनाल्ड शाकाहारियों के लिये भोजन उपलब्ध कराता है।
- इसका असर विभिन्न समाजों की मूल भाषाओं पर भी पड़ा है। उदाहरण के लिये, अंग्रेज़ी सामान्य बोलचाल की भाषा बन गई है।
- इसने उपभोक्ताओं के खरीदारी व्यवहार को प्रभावित करते हुए कृत्रिम आवश्यकताएँ उत्पन्न की हैं। उदाहरण के लिये, वॉलमार्टीकरण की प्रवृत्ति, जहाँ बड़े खुदरा स्टोरों का विस्तार हुआ है।
- इसके परिणामस्वरूप मदर्स डे, वैलेंटाइन डे आदि के रूप में धर्मनिरपेक्ष त्योहारों को मनाया जाने लगा।
महिलाओं पर प्रभाव:
- वैश्वीकरण के कारण महिलाओं के लिये नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। वे अधिक आत्मविश्वासी और स्वतंत्र बन रही हैं। वैश्वीकरण के कारण ही 'बिज़नेस वूमन' की अवधारणा उभरी है।
- नारीवादी विचारों के प्रसार ने महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया है, जिससे वे वैश्विक स्तर पर एकजुट होकर आवाज़ उठा रही हैं। उदाहरण के लिये, #MeToo आंदोलन।
- उन्हें बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा मिल रही है। वैश्विक मानक मृत्यु दर अनुपात निर्धारित करने में मदद करते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में मीडिया की पहुँच से महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों आदि से सहायता लेने में मदद मिली है।
- वे पश्चिमी संस्कृतियों जैसे वस्त्र, अंतर्जातीय विवाह, लिव इन रिलेशनशिप आदि को स्वीकार कर रहे हैं।
- इसके बावजूद वैश्वीकरण ने महिलाओं की दोहरी भूमिका को जन्म दिया है। पारंपरिक पितृसत्तात्मक मानसिकता उन्हें गृहिणी बनने के लिये मजबूर करती है, जबकि वैश्विक दुनिया उन्हें नौकरी की तलाश करने के लिये मजबूर करती है।
- महिलाओं को वस्तु के रूप में देखे जाने से महिलाओं के विरुद्ध अपराध बढ़ गए हैं।
- महिलाओं को 'गुलाबी रंग के व्यवसाय' की समस्या का भी सामना करना पड़ता है, जहाँ महिलाओं के लिये केवल एक ही प्रकार का अवसर उपलब्ध होता है, जैसे कि शिक्षक, रिसेप्शनिस्ट, नर्स आदि।
युवाओं पर प्रभाव:
- युवा वर्ग पश्चिमी संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित हो रहा है। यह बात धर्म के प्रति उनके दृष्टिकोण में सबसे अधिक स्पष्ट है।
- वैश्वीकरण ने वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच बढ़ाकर युवाओं के लिये नए अवसर सृजित किये हैं।
- वे अब किसी भी परंपरा को आत्मसात नहीं करते हैं, क्योंकि वे अब सोच-समझकर निर्णय लेते हैं।
- वे दुनिया के साथ सामंजस्य बैठाने के लिये पश्चिमी संस्कृति अपना रहे हैं और वैश्विक युवाओं का हिस्सा बन रहे हैं।
- वे नवीनतम कारों, फोन आदि की आकांक्षा में भौतिकवादी और उपभोक्तावादी मानसिकता अपना रहे हैं।
- साथियों के बढ़ते दबाव के कारण आत्महत्या और अवसाद की घटनाएँ बढ़ती हैं।
परिवार पर प्रभाव:
- संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवार बनते जा रहे हैं।
- परिवार की संरचना भी बदल रही है क्योंकि महिलाएँ और युवा पीढ़ी अधिक अधिकार प्रदर्शित कर रही हैं।
- पश्चिमी नैतिकता के प्रभाव के कारण पारंपरिक पारिवारिक मूल्य कमज़ोर होते जा रहे हैं।
जाति व्यवस्था पर प्रभाव:
- उदार विचारों और शिक्षा के प्रसार के कारण जाति व्यवस्था भी लचीली होती जा रही है।
- अंतर्जातीय विवाहों को स्वीकार्यता मिल रही है, श्रम शक्ति में जातिगत भेदभाव घट रहा है और जीवन जीने का धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण बढ़ रहा है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- वैश्वीकरण के कारण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है।
- इसने वैश्विक निधियों और संस्थाओं तक पहुँच की अनुमति दी है।
- पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिला है।
- उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं। इससे गरीबी में कमी आई है।
- फिर भी, इसने असमानता को बढ़ा दिया है तथा राज्य को बाहरी झटकों के प्रति संवेदनशील बना दिया है।
कृषि पर प्रभाव:
- फसलों के उत्पादन में पारंपरिक फसलों से नकदी फसलों की ओर बदलाव आ रहा है।
- भारतीय कृषि बाज़ार वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जुड़ गए हैं। यह एक अवसर भी है और साथ ही कमज़ोरी का कारण भी। उदाहरण के लिये, विश्व व्यापार संगठन में कृषि संबंधी मुद्दे।
- इसने प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति दी है, लेकिन इसका वितरण असमान रूप से किया गया है।
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण ने दुनिया को एक दूसरे पर निर्भर बना दिया है। समाज में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ इसने अपना सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव न डाला हो। इसने धन के संकेंद्रण और वैश्विक असमानता को बढ़ाया है जिसे संसाधनों के न्यायसंगत वितरण से कम किया जाना चाहिये। इसलिये, एक महत्त्वपूर्ण और अनिवार्य घटना के रूप में, वैश्वीकरण को दो पहलुओं वाले सिक्के के रूप में देखा जाना चाहिये।