27 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- ई-प्रौद्योगिकी के बारे में संक्षेप में बताइये।
- कृषि क्षेत्र में इसके उपयोग के उदाहरण दीजिये।
- कृषि क्षेत्र में ई-प्रौद्योगिकी के उपयोग में आने वाली समस्याओं की व्याख्या कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
ई-प्रौद्योगिकी मुख्य रूप से किसी भी गतिविधि के निष्पादन में इंटरनेट और संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी को शामिल करने पर केंद्रित है। कृषि क्षेत्र में इसका उपयोग कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये सूचित तथा गुणवत्तापूर्ण निर्णय लेने के लिये कृषकों को सशक्त बनाने का एक उपकरण है।
मुख्य भाग:
ई-प्रौद्योगिकी के उपयोग से कृषि पद्धतियों में परिवर्तन:
- सरकारी पहलों के बारे में जानकारी: यह किसानों को कृषि कल्याण से संबंधित सभी सरकारी पहलों के बारे में उचित जानकारी रखने में मदद करता है जैसे- कृषि योजनाएँ, सरकारी सब्सिडी के माध्यम से आधुनिक कृषि मशीनरी को अपनाना। कुछ पहल जैसे- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) केंद्रीय कृषि पोर्टल आदि।
- बुवाई से पहले के मौसम के बारे में बेहतर जानकारी: यह किसानों को मिट्टी के रसायन, मौसम पूर्वानुमान, इनपुट बिक्री और तद्नुसार उर्वरक आदि के बारे में उपलब्ध पूर्व जानकारी के माध्यम से बेहतर तरीके से अपनी खेती की योजना बनाने में मदद करता है। कुछ पहल जैसे- ई-चौपाल, किसान कॉल सेंटर।
- खेती में मशीनीकरण: इसने किसानों को वैज्ञानिक उपायों का उपयोग करके कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिये IT सक्षम नई तकनीक का उपयोग करने के लिये प्रेरित किया है। कुछ पहल जैसे- ई-सागु।
- मूल्य के बारे में जानकारी: फसल की कीमत की सटीक जानकारी तक पहुँच। इसने बिचौलियों की भूमिका को खत्म करके उन्हें अपनी उपज को अच्छे बाजार मूल्य पर बेचने में सक्षम बनाया। पहल- डिजिटल कृषि मिशन।
- बाज़ार तक आसान पहुँच: IT हस्तक्षेप ग्रामीण और अल्पविकसित बाज़ारों को परिशुद्ध कृषि, कंप्यूटरीकृत कृषि मशीनरी, कृषि सूचना, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच जैसे अभिनव उपायों के माध्यम से कुशल और उत्पादक बनने में सहायता करते हैं। कुछ पहल जैसे- एगमार्कनेट, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (E-NAM)।
- बेहतर आपूर्ति शृंखला: इसने कृषि-खाद्य मूल्य शृंखला में संपूर्ण सेवाओं के उन्नयन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। कुछ पहल जैसे- एग्रीस्टैक।
- आसान ऋण पहुँच: अब संस्थागत ऋण के माध्यम से आसान उपलब्धता बनाकर कृषि क्षेत्रों में धन की भूमिका को समाप्त किया जा सकता है। पहल- स्वामित्व योजना।
हालाँकि भारतीय कृषि क्षेत्र निम्नलिखित कारणों से लक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थ है-
- वित्तीय निहितार्थ: भाषा, संस्कृति, भौगोलिक सीमाओं और खराब ज्ञान आधार की दृष्टि से विविधता के कारण ग्रामीण भारत को एक साझा संचार मंच पर लाना एक बड़ी चुनौती है।
- किसानों में साक्षरता की कमी: ग्रामीण किसानों की सीमित जानकारी और विशेषज्ञता के कारण, उन्हें आधुनिक संचार उपकरणों तथा सेवाओं के उपयोग एवं संचालन के बारे में शिक्षित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
- डिजिटल विभाजन: स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसे हार्डवेयर उपकरणों की कम उपलब्धता तथा उचित लागत पर नेटवर्क कनेक्टिविटी की कमी के कारण भारतीय ग्रामीण लोग ICT सेवाओं तक पहुँच के मामले में अपने शहरी समकक्षों से बहुत पीछे हैं।
- भाषा और विषय-वस्तु की सीमाएँ: ग्रामीण आबादी द्वारा सूचना के उपयोग में मुख्य बाधा उनकी क्षेत्रीय भाषाओं में विषय-वस्तु का अभाव है।
- सीमित डिजिटल साक्षरता: अनेक सरकारी पहलों के बावजूद, भारत के अधिकांश किसानों में डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी तक पहुँच का अभाव है, जिससे कृषि-तकनीक समाधानों को अपनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- उच्च प्रारंभिक लागत: कई कृषि-तकनीक स्टार्टअप्स को महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है, जो ई-प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- खंडित भूमि जोत: छोटी एवं खंडित भूमि जोत पर बड़े पैमाने पर मशीनीकरण अपनाना कठिन है।
- सीमित अवसंरचना: बुनियादी अवसंरचना, जैसे बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव, ई-प्रौद्योगिकी को अपनाने तथा उसकी प्रभावशीलता को हतोत्साहित करता है।
- अपर्याप्त सरकारी नीतियाँ: ई-प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये सरकार की नीतियाँ और कार्यक्रम अपर्याप्त, असंगत या खराब तरीके से कार्यान्वित हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता में बाधा आ रही है।
- कम समन्वय: विभिन्न हितधारकों जैसे- किसान, निजी क्षेत्र के खिलाड़ी और सरकार के बीच समन्वय की कमी ई-प्रौद्योगिकी को अपनाने में बाधा बन सकती है।
- सीमित बाज़ार पहुँच: अनेक सरकारी पहलों के बावजूद, किसानों को बाज़ार संपर्कों की कमी और सीमित बाज़ार जानकारी के कारण अपनी उपज बेचने के लिये बाज़ार तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- ड्रोन के विनियमन से जुड़ी समस्या: गोपनीयता एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि हवाई वाहन परिष्कृत सेंसर और कैमरों से सुसज्जित होते हैं। यह लोगों को ई-टेक आधारित समाधान अपनाने से हतोत्साहित करता है।
निष्कर्ष:
भारतीय कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकियों और नए कृषि कानूनों से युक्त एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण अपनाना राष्ट्रीय हित में है, ताकि किसानों की आय दोगुनी करने तथा सतत् विकास जैसे उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।