UP PCS Mains-2024

दिवस- 29: बौद्ध धर्म के उदय का वर्णन करते हुए उत्तर प्रदेश के प्रमुख बौद्ध स्थलों की पहचान कीजिये। (125 शब्द)

07 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • उत्तर की शुरुआत उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म के उदय का उल्लेख करके कीजिये।
  • उत्तर प्रदेश के उन प्रमुख स्थलों पर चर्चा करें जो बौद्ध धर्म से जुड़े हैं।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय: 

बौद्ध धर्म की शुरुआत भारत में 2,600 साल पहले एक ऐसी जीवनशैली के रूप में हुई थी जिसमें किसी व्यक्ति को बदलने की क्षमता थी। इसकी उत्पत्ति मगध के प्राचीन क्षेत्र में हुई थी, जो वर्तमान बिहार में है। यह धर्म अपने संस्थापक सिद्धार्थ गौतम (महात्मा बुद्ध) की शिक्षाओं और जीवन के अनुभवों पर आधारित है, जिनका जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में शाक्य गणराज्य में हुआ था। शाक्य गणराज्य वर्तमान उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित था। प्राचीन काल में उत्तर प्रदेश बौद्ध गतिविधियों का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।

मुख्य भाग: 

उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का उदय:

  • उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म की लोकप्रियता तब शुरू हुई जब बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश वर्तमान वाराणसी के पास सारनाथ में दिया। मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान, बौद्ध धर्म को और अधिक लोकप्रियता मिली क्योंकि उन्होंने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म की ओर रुख किया। उन्होंने इस क्षेत्र में कई बौद्ध मठों और स्तूपों के निर्माण को प्रायोजित किया।
  • यह राज्य बौद्ध तीर्थ के आठ महान स्थानों में से कई का घर भी है, जिनमें सारनाथ और कुशीनगर शामिल हैं, जहाँ बुद्ध को क्रमशः ज्ञान प्राप्त हुआ एवं जहाँ उनकी मृत्यु हुई।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख बौद्ध स्थल:

  • कपिलवस्तु: लुलुंबिनी के समीप स्थित यह प्राचीन नगर भगवान बुद्ध का जन्मस्थल माना जाता है और एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में प्रतिष्ठित है, जहाँ उनका बाल्यकाल व्यतीत हुआ। इस स्थान की पहचान वर्तमान सिद्धार्थनगर जनपद के पिपरहवा कस्बे से की जाती है। कहा जाता है कि 29 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध ने कपिलवस्तु स्थित अपने राजमहल का परित्याग कर ज्ञान की खोज में प्रव्रज्या ग्रहण की थी और बोधि प्राप्ति के लगभग 12 वर्षों पश्चात् वे पुनः इस स्थान पर लौटे थे।
  • सारनाथ: इसका प्राचीन नाम 'ऋषिपत्तन' था। वाराणसी शहर के पास स्थित यह भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे 'धर्मचक्र प्रवर्तन' के नाम से जाना जाता है। यह स्थल कई स्तूपों, मठों और मंदिरों का घर है, जिनमें प्रसिद्ध धामेक स्तूप भी शामिल है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
  • कुशीनगर: यह परिनिर्वाण या बुद्ध की मृत्यु का स्थान है। इस शहर में कई बौद्ध मंदिर हैं, जिनमें महापरिनिर्वाण मंदिर भी शामिल है, जिसमें लेटी हुई अवस्था में बुद्ध की 6 मीटर लंबी मूर्ति है।
  • श्रावस्ती: यह शहर कई महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्थलों का घर है, जिनमें जेतवन मठ भी शामिल है, वह स्थान जहाँ बुद्ध ने अपने अधिकांश उपदेश दिये थे।
  • कौशांबी: यहाँ स्थित प्रसिद्ध घोसीताराम मठ एक प्रमुख बौद्ध स्थल है, जिसके संबंध में माना जाता है कि इसका निर्माण भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्य आनंद द्वारा कराया गया था।
  • संकिसा: भगवान बुद्ध स्वर्ग में अपनी माँ को उपदेश देने के बाद यहाँ अवतरित हुए थे। इसे फर्रुखाबाद में एक स्थान के रूप में पहचाना जाता है

निष्कर्ष: 

उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक एवं धार्मिक इतिहास में बौद्ध धर्म की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही है, जो प्रति वर्ष विश्वभर से हज़ारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। ये स्थल न केवल राज्य की समृद्ध बौद्ध विरासत के प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और दर्शन में धर्म के योगदान की भी सजीव स्मृति प्रदान करते हैं।