UP PCS Mains-2024

दिवस- 09: भारत में सार्वजनिक वित्त की निगरानी में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की भूमिका की विवेचना कीजिये। साथ ही, इसे शासन में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निगरानी संस्था के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये। (200 शब्द)

18 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण: 

  • CAG के बारे में सामान्य परिचय दीजिये।
  • CAG की भूमिका और कार्य पर विस्तार से चर्चा कीजिये।
  • स्पष्ट कीजिये कि CAG भ्रष्टाचार से निपटने में किस प्रकार मदद करता है तथा उचित निष्कर्ष दीजिये।

उत्तर: 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र कार्यालय का प्रावधान है। वह भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख है। वह सार्वजनिक खज़ाने का संरक्षक है और केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करता है।

मुख्य भाग:

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की भूमिका:

  • अनुच्छेद 149 संसद को संघ, राज्यों और अन्य प्राधिकरणों या निकायों के खातों से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्यों तथा अधिकारों को निर्धारित करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • वह भारत, राज्यों और विधानसभा वाले संघ राज्य क्षेत्रों की समेकित निधि से सभी व्यय से संबंधित खातों का लेखा-परीक्षण करता है।
  • वह भारत की आकस्मिकता निधि तथा भारत और राज्यों के सार्वजनिक लेखा से होने वाले सभी व्यय का लेखा-परीक्षण करता है।
  • वह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग द्वारा रखे गए सभी व्यापार, विनिर्माण, लाभ एवं हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य सहायक खातों का ऑडिट करता है।
  • वह केंद्र और राज्यों की आय एवं व्यय का लेखा-परीक्षण करके राजस्व के आकलन, संग्रह तथा उचित आवंटन पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करता है।

वह निम्नलिखित संस्थाओं की प्राप्तियों और व्यय का विस्तृत लेखा-परीक्षण करता है:

  • सभी निकाय और प्राधिकरण जो मुख्यतः केंद्रीय या राज्य राजस्व से वित्तपोषित होते हैं;
  • सरकारी कंपनियाँ; तथा अन्य निगम एवं निकाय, जब संबंधित कानूनों द्वारा ऐसा अपेक्षित हो।
  • वह राष्ट्रपति या राज्यपाल के अनुरोध पर अन्य प्राधिकरणों, जैसे स्थानीय निकायों, के खातों का भी लेखा-परीक्षण करता है।

सुशासन और भ्रष्टाचार से निपटने में CAG महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  • लोक लेखा समिति (PAC) के माध्यम से: CAG, PAC की आँखें हैं; वह ऑडिट रिपोर्ट प्रदान करता है और इन ऑडिट रिपोर्टों के माध्यम से उनका मार्गदर्शन करता है। यह अधिकारियों की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • ऑडिट रिपोर्ट के ज़रिये: CAG केंद्र की ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को और राज्य की ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है, जो उन्हें क्रमशः संसद तथा राज्य विधानमंडल के समक्ष रखते हैं। वह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और सरकारी उपक्रमों का ऑडिट करता है ताकि सार्वजनिक धन के प्रभावी एवं उचित उपयोग की पुष्टि हो सके।
  • भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के माध्यम से: अतीत में CAG रिपोर्टों का उपयोग भ्रष्टाचार, भ्रष्ट आचरण और धन के दुरुपयोग का पता लगाने के लिये किया गया है। 
    • उदाहरण के लिये: 2G स्पेक्ट्रम घोटाला कैग रिपोर्ट के आधार पर सुर्खियों में आया।
  • औचित्यपूर्ण लेखापरीक्षा के माध्यम से: CAG सरकारी व्यय की बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और मितव्ययिता पर गौर कर सकता है। वह अपव्यय और फिज़ूलखर्ची पर टिप्पणी कर सकता है।

निष्कर्ष: 

CAG की भूमिका वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में भारत के संविधान और संसद के कानूनों को बनाए रखना है। वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद के प्रति कार्यपालिका (यानी मंत्रिपरिषद) की जवाबदेही CAG की ऑडिट रिपोर्ट के माध्यम से सुरक्षित की जाती है। इसलिये, पूर्व CAG (विनोद राय) द्वारा सुझाए गए CAG कार्यालय में सुधार जैसे सभी निजी-सार्वजनिक भागीदारी (PPP), पंचायती राज संस्थान और सरकारी वित्तपोषित समितियों को CAG के दायरे में लाना। साथ ही, मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) के चयन की तर्ज पर एक नया CAG चुनने के लिये एक कॉलेजियम-प्रकार की व्यवस्था अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।