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04 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
दिवस- 26: नागरिक चार्टर क्या है? इसके मूल सिद्धांतों की व्याख्या कीजिये और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। (125 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- नागरिक चार्टर का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- नागरिक चार्टर के सिद्धांतों पर प्रकाश डालिये।
- नागरिक चार्टर के सिद्धांतों को साकार करने में आने वाली प्रमुख बाधाओं और उनसे निपटने के लिये उठाए गए उपायों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
नागरिक चार्टर एक ऐसा औपचारिक दस्तावेज़ है, जो सेवा मानकों, जानकारी की पारदर्शिता, विकल्पों और परामर्श, समानता और समावेशन, शिकायत निवारण, शिष्ट व्यवहार तथा सेवाओं के मूल्य के प्रति संगठन की नागरिकों के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह नागरिक केंद्रित सेवाओं की दिशा में एक सुव्यवस्थित और उत्तरदायी प्रयास का प्रतीक है।
- इस अवधारणा को सर्वप्रथम यूनाइटेड किंगडम में जॉन मेजर की कंज़र्वेटिव सरकार द्वारा वर्ष 1991 में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत और क्रियान्वित किया गया था, जिसका सरल उद्देश्य देश के लोगों के लिये सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में निरंतर सुधार करना था।
- भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय का प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग (DARPG) अधिक उत्तरदायी एवं नागरिक-अनुकूल शासन प्रदान करने के लिये नागरिक चार्टर तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने के प्रयासों का समन्वय करता है।
मुख्य भाग:
नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन में प्रमुख बाधाएँ:
- सहभागिता तंत्र का अभाव: अधिकांश मामलों में, नागरिक चार्टर को अत्याधुनिक कर्मचारियों के साथ परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से तैयार नहीं किया जाता है, जो अंततः इसे लागू करेंगे।
- खराब डिज़ाइन और सामग्री: नागरिक चार्टर में संक्षिप्तता और प्रभावशीलता की कमी है, साथ ही उसमें वह आवश्यक जानकारी भी नहीं होती जिसकी मदद से अंतिम उपयोगकर्त्ता संबंधित एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित कर सकें।
- जन-जागरूकता का अभाव: नागरिक चार्टर में की गई प्रतिबद्धताओं से अधिकांश अंतिम उपयोगकर्त्ता अनभिज्ञ रहते हैं, क्योंकि वादों और सेवा मानकों के प्रति जन-जागरूकता एवं शिक्षा हेतु पर्याप्त व प्रभावी प्रयास नहीं किये गए हैं।
- चार्टर को अपडेट करने की प्रक्रिया में कमी: यह एक बार की प्रक्रिया बन जाती है, जो समय के साथ स्थिर हो जाती है।
- उचित परामर्श नहीं: नागरिक चार्टर का प्राथमिक उद्देश्य सार्वजनिक सेवा वितरण को अधिक नागरिक-केंद्रित बनाना है, हितधारकों के साथ परामर्श आवश्यक है, लेकिन नागरिक चार्टर का मसौदा तैयार करते समय अंतिम उपयोगकर्त्ताओं, नागरिक समाज संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों से परामर्श नहीं किया जाता है।
- सेवा प्रदायगी के मापनीय मानकों की अस्पष्टता: जिससे यह आकलन करना कठिन हो जाता है कि सेवा का वांछित स्तर हासिल किया गया है या नहीं।
- रुचि का अभाव: नागरिक चार्टर में की गई प्रतिबद्धताओं के पालन को लेकर संगठनों की रुचि सीमित रहती है, क्योंकि चूक की स्थिति में नागरिकों को मुआवज़ा देने हेतु कोई प्रभावी और नागरिक-अनुकूल व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
- नागरिक चार्टर में एकरूपता: अक्सर मूल संगठन के तहत सभी कार्यालयों के लिये एक समान नागरिक चार्टर अपनाया जाता है, जिससे क्षेत्रीय विविधताओं और स्थानीय आवश्यकताओं की उपेक्षा होती है। इसके अतिरिक्त, अब भी कई मंत्रालयों/विभागों द्वारा नागरिक चार्टर को पूरी तरह लागू नहीं किया गया है।
नागरिक चार्टर को प्रभावी बनाने के उपाय:
- एक ही प्रारूप सभी पर लागू नहीं होता: नागरिक चार्टर का निर्माण एक विकेंद्रीकृत गतिविधि होनी चाहिये, जिसमें मुख्यालय केवल व्यापक दिशा-निर्देश प्रदान करने चाहिये।
- व्यापक परामर्श प्रक्रिया: नागरिक चार्टर को संगठन के भीतर व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया जाएगा, जिसके बाद नागरिक समाज के साथ सार्थक बातचीत की जाएगी।
- दृढ़ प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की जानी चाहिये: नागरिक चार्टर सटीक होना चाहिये और जहाँ भी संभव हो, नागरिकों/उपभोक्ताओं को मात्रात्मक रूप में सेवा प्रदान करने के मानकों के बारे में दृढ़ प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की जानी चाहिये।
- चूक के मामले में निवारण तंत्र: यदि संगठन निर्धारित सेवा मानकों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे प्रदान की जाने वाली राहत का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिये, ताकि नागरिकों को समय पर न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
- नागरिक चार्टर का आवधिक मूल्यांकन: अधिमानतः किसी बाहरी एजेंसी के माध्यम से।
- परिणामों के लिये अधिकारियों को जवाबदेह बनाएँ: ऐसे मामलों में विशिष्ट ज़िम्मेदारी तय करें जहाँ नागरिक चार्टर में की गई प्रतिबद्धताओं का पालन करने में चूक होती है।
- नागरिक चार्टर के महत्त्व के बारे में जागरूकता फैलाना: नागरिक चार्टर की विषय-वस्तु को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाने के साथ-साथ इसके क्रियान्वयन को सुदृढ़ करना तथा नागरिकों को इस व्यवस्था की उपयोगिता तथा उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
इस प्रकार, नागरिक चार्टर अपने आप में एक लक्ष्य नहीं हो सकता, बल्कि यह एक लक्ष्य तक पहुँचने का साधन है, यह सुनिश्चित करने का एक साधन है कि नागरिक हमेशा किसी भी सेवा वितरण तंत्र के केंद्र में रहे। सेवोत्तम मॉडल (सेवा वितरण उत्कृष्टता मॉडल) जैसे सर्वोत्तम अभ्यास मॉडल से प्रेरणा लेकर नागरिक चार्टर को अधिक नागरिक-केंद्रित बनने में मदद मिल सकती है।