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01 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
दिवस- 23: उत्तर-पूर्व के एक राज्य में दो समुदायों के बीच जातीय हिंसा के कारण जान-माल का गंभीर नुकसान हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सशस्त्र संघर्ष, प्रवासियों की सुरक्षा संकट और आवश्यक आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न हुआ है। राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और उग्रवाद से संबंधित संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, एक मुख्य सचिव के रूप में, आप शांति एवं कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिये किन रणनीतिक उपायों को लागू करेंगे? (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में मामले का सार बताइये।
- मामले से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
- आवश्यक अल्पकालिक और दीर्घकालिक कदमों का उल्लेख कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
उपरोक्त घटना दो समुदायों के बीच अंतर-राज्यीय टकराव की स्थिति को दर्शाती है, जिसके दूरगामी राष्ट्रीय प्रभाव हो सकते हैं। ऐसे संघर्ष प्रायः केवल जातीय असहमति तक सीमित नहीं होते, बल्कि इनके पीछे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या क्षेत्रीय कारण गहराई से जुड़े होते हैं।
इसमें शामिल मुद्दे इस प्रकार हैं:
- ऐसी हिंसा राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिये खतरा है।
- राज्य के लोगों, प्रवासी छात्रों और श्रमिकों की सुरक्षा से समझौता किया गया है।
- राज्य में कानून और व्यवस्था की गिरावट।
- जातीय संघर्षों से जान-माल की हानि होती है।
- ऐसी हिंसा में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे भी हैं।
मुख्य भाग:
राज्य के मुख्य सचिव के रूप में, मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा:
- अल्पावधि कदम:
- फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिये दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 और टेलीग्राफ अधिनियम 1855 के तहत इंटरनेट निलंबन लगाया जाएगा।
- पूरे राज्य में दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 144 लागू की जाएगी, जो मजिस्ट्रेट को किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाने का आदेश पारित करने का अधिकार देती है।
- संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बलों (CRPF) की तैनाती केंद्र सरकार के समन्वय से की जाएगी।
- प्रशासन शांति और सद्भाव का संदेश फैलाने के लिये स्थानीय प्रभावशाली सामुदायिक नेताओं से संपर्क करेगा।
- भोजन, दवा आदि जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किये जाएंगे।
- विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिये आवश्यक प्रयास किये जाएंगे।
- प्रवासी श्रमिकों और छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिये प्रशासन द्वारा केंद्रीय बलों एवं स्थानीय पुलिस की मदद से निकासी अभियान चलाया जाएगा।
- दीर्घकालिक कदम:
- ज़िला प्रशासन नियमित आधार पर सांप्रदायिक स्थिति का सावधानीपूर्वक आकलन करेगा और ज़िले का एक प्रोफाइल तैयार करेगा। वे सांप्रदायिक संवेदनशीलता और तनाव से ग्रस्त क्षेत्रों की पहचान करेंगे एवं उन्हें निर्दिष्ट करेंगे।
- खुफिया जानकारी और सूचना एकत्र करने के लिये तंत्र विकसित करने तथा उन्हें प्रतिक्रिया तंत्र के साथ उपयुक्त रूप से एकीकृत करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- ज़िला और अन्य उच्च स्तरों पर वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी नियमित अंतराल पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों का भ्रमण करेंगे, चाहे क्षेत्र में शांति हो या सामान्य स्थिति बनी हो। वे वहाँ के ज़िम्मेदार सामुदायिक नेताओं से संवाद स्थापित कर विश्वास और समन्वय की भावना को सुदृढ़ करने का प्रयास करेंगे।
- राज्य और ज़िला स्तर पर एक संकट प्रबंधन योजना बनाई जाएगी, जिसमें सांप्रदायिक अशांति के कारण उत्पन्न होने वाले संकटों के संभावित कारणों एवं परिणामों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जाएगा तथा विभिन्न एजेंसियों के लिये विशिष्ट भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ निर्धारित की जाएंगी।
- सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील कस्बों एवं क्षेत्रों में प्रमुख नागरिकों, सामुदायिक नेताओं, राजनीतिक दलों, प्रतिष्ठित संगठनों आदि के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए शांति समितियाँ गठित की जानी चाहिये तथा पुलिस थाना, उप-मंडल एवं ज़िला स्तर पर संबंधित अधिकारियों द्वारा उनके साथ समय-समय पर संपर्क बनाए रखा जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
तात्कालिक संकट प्रबंधन के साथ-साथ दीर्घकालिक संस्थागत सुधारों पर समान रूप से ध्यान देकर, मेरे प्रयास राज्य में दीर्घकालिक शांति, स्थिरता और सामाजिक सौहार्द स्थापित करने की दिशा में समर्पित होंगे।