दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में भारत में महिलाओं की स्थिति का परिचय दीजिये।
- आधुनिक समाज में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक भूमिका पर चर्चा कीजिये।
- महिलाओं से संबंधित योजनाओं/कार्यक्रमों का वर्णन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
प्राचीन काल से ही महिलाओं ने भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि उनकी स्थिति निरंतर बहस का विषय रही है, जो प्रगति और लगातार चुनौतियों दोनों को दर्शाती है। हालाँकि शिक्षा, रोज़गार और शासन में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन लैंगिक असमानताएँ चिंता का विषय बनी हुई हैं।
मुख्य भाग:
आधुनिक समाज में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक भूमिका:
- महिला श्रम बल भागीदारी: नवीनतम उपलब्ध वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिये सामान्य स्थिति पर अनुमानित श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) वर्ष 2021-22 में 32.8% थी।
- ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर वर्ष 2018-19 में 19.7% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 27.7% हो गई।
- उद्यमिता: महिला स्वामित्व वाले व्यवसाय देश में रोज़गार के अवसर बढ़ाने, जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाने और भविष्य की महिला उद्यमियों को प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- उदाहरण के लिये, जशवंतीबेन पोपट जैसे ग्रामीण उद्यमी, जिन्होंने लिज्जत पापड़ की शुरुआत की, भारत में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने में भारतीय महिलाओं की मज़बूत क्षमताओं का प्रमाण हैं।
- कृषि में महिलाएँ: आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में कहा गया है कि पुरुषों द्वारा गाँवों से शहरों की ओर बढ़ते प्रवास के साथ, कृषि क्षेत्र में 'महिलाकरण' हो रहा है तथा कृषक और मज़दूर के रूप में विभिन्न भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के शोध से पता चला है कि प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी 75 प्रतिशत, बागवानी में 79 प्रतिशत, कटाई के बाद के कार्यों में 51 प्रतिशत तथा पशुपालन एवं मत्स्यपालन में 95 प्रतिशत है।
- स्वयं सहायता समूह (SHG): वर्ष 2021 की सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पूरे भारत में लगभग 70 लाख SHG कार्यरत हैं, जिनमें 7.66 करोड़ महिलाएँ शामिल हैं।
- सफलता की कहानियों में केरल में कुदुम्बश्री, बिहार में जीविका, महाराष्ट्र में महिला आर्थिक विकास महिला मंडल और हाल ही में लूम्स ऑफ लद्दाख शामिल हैं।
- राजनीतिक भागीदारी में महिलाओं की भूमिका: अंतर-संसदीय संघ (IPU) द्वारा संकलित आँकड़ों के अनुसार, लैंगिक समानता और वास्तविक लोकतंत्र के लिये महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी एक मूलभूत शर्त है, भारत में, महिलाएँ लोकसभा में 14.44 प्रतिशत हैं।
- लोकसभा में महिला सदस्यों का प्रतिशत वर्ष 2004 तक 5-10% से बढ़कर वर्तमान 18वीं लोकसभा में 13.6% हो गया है, जबकि राज्यसभा में यह 13% है।
- प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के आँकड़ों और केंद्र सरकार की 2011 की रोज़गार जनगणना के अनुसार, इसके कुल कर्मचारियों में 11% से भी कम महिलाएँ थीं, जो वर्ष 2020 में 13% तक पहुँच गई।
- इसके अलावा, वर्ष 2022 में IAS में केवल 14% सचिव महिलाएँ होंगी।
महिलाओं से संबंधित योजनाएँ/कार्यक्रम:
- महिला स्टार्टअप हेतु आवश्यक तीन बुनियादी तत्त्व: विचार, मार्गदर्शन और वित्त। ये तीनों ही भारत में महत्त्वाकांक्षी महिला उद्यमियों के लिये पहले से कहीं ज़्यादा उपलब्ध हैं।
- अधिकांश कॉलेज महिला स्नातकों के स्टार्टअप विचारों को प्रोत्साहित करने के लिये महिलाओं को मेंटरशिप कार्यक्रम प्रदान कर रहे हैं।
- नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित महिला उद्यमिता कार्यक्रम (WEP) के माध्यम से इन्क्यूबेशन और त्वरण सहायता उपलब्ध है।
- लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) के प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन (PMEG) कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष श्रेणी के लाभ उपलब्ध हैं।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM): DAY-NRLM के अनुसार, महिला स्वयं सहायता समूहों में 10-20 व्यक्ति शामिल होते हैं, जिनमें दुर्गम क्षेत्रों के समूह, विकलांग व्यक्तियों वाले समूह और दूर-दराज़ के आदिवासी क्षेत्रों में गठित समूह शामिल नहीं होते हैं।
निष्कर्ष:
भारत आज़ादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है, इस अवसर पर विकास की आधारशिला के रूप में महिलाओं को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। "सशक्त महिला, सशक्त राष्ट्र" का दृष्टिकोण लैंगिक समानता की दिशा में निरंतर प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जिससे महिलाएँ भारत की प्रगति और समृद्धि में सार्थक योगदान दे सकें।