-
19 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 10: प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से उत्पन्न मुद्दों के संदर्भ में सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों का विवरण प्रस्तुत कीजिये। (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रशासन के क्षेत्र में सूचना एवं प्रौद्योगिकी (IT) का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- प्रशासन में IT के उपयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- सरकार की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डालिये।
- आगे बढ़ने की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग ई-गवर्नेंस का हिस्सा है, इसे सरकारी सेवाएँ प्रदान करने, सूचनाओं के आदान-प्रदान, लेन-देन, पहले से मौजूद सेवाओं तथा सूचना पोर्टलों के एकीकरण के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के अनुप्रयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। भारत दुनिया में सबसे सस्ती इंटरनेट दरों पर सबसे बड़े इंटरनेट उपयोगकर्त्ता आधारों में से एक है, जहाँ अब 76 करोड़ नागरिकों के पास इंटरनेट तक पहुँच है।
मुख्य भाग:
प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में IT के उपयोग से संबंधित मुद्दे:
- बुनियादी ढाँचे की चुनौती: सरकारी प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिये डिजिटल बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता बहुत ज़रूरी है। डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमी प्रशासन के क्षेत्र में IT के इस्तेमाल में बाधा डालती है।
- कुशल कार्यबल की कमी: भारतीय प्रशासन को प्रतिभा की कमी का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में।
- गोपनीयता और सुरक्षा: हाल ही में डेटा लीक मामलों में हुई वृद्धि ने प्रशासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग में लोगों के विश्वास को खतरे में डाल दिया है। इसलिये, ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सभी वर्गों के हितों की सुरक्षा के लिये सुरक्षा मानक और प्रोटोकॉल होने चाहिये।
- भारत में अभी भी व्यापक डेटा सुरक्षा कानून का अभाव है, जिससे उपयोगकर्त्ताओं की गोपनीयता और अन्य डिजिटल अधिकार खतरे में हैं। इससे भारतीय प्रशासन पर भरोसा कम होता है।
- साइबर सुरक्षा का मुद्दा: वर्ष 2024 में, भारत में IoT-संबंधित साइबर हमलों में 59% की भारी वृद्धि देखी गई, जो इस उभरते खतरे के पैमाने को रेखांकित करता है।
- भारतीय व्यवसायों को प्रति सप्ताह 3,000 से अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है।
- भारत में वित्त वर्ष 2024 में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में चार गुना वृद्धि देखी गई है, जिससे 20 मिलियन डॉलर का वित्तीय नुकसान हुआ है।
- डिजिटल डिवाइड: यह जनसांख्यिकी और उन क्षेत्रों के बीच अंतर को संदर्भित करता है जिनके पास आधुनिक सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी तक पहुँच है एवं जिनके पास पहुँच नहीं है। भारत में, शहरी-ग्रामीण विभाजन डिजिटल विभाजन का सबसे बड़ा कारक है, जो भारतीय प्रशासन में बड़ी बाधाएँ उत्पन्न करता है।
भारत में प्रशासन के क्षेत्र में IT के उपयोग के लिये की गई पहल:
- ई-डिस्ट्रिक्ट: इसे सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू किया गया है। मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) का उद्देश्य ज़िला स्तर पर उच्च मात्रा में नागरिक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करना है, जैसे जन्म/मृत्यु प्रमाण-पत्र, आय और जाति प्रमाण-पत्र, वृद्धावस्था एवं विधवा पेंशन आदि जारी करना।
- ई-कोर्ट: विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग ने ई-कोर्ट की शुरुआत की। यह एक MMP है जिसका उद्देश्य नागरिकों को न्यायिक सेवाओं के बेहतर प्रावधान के लिये IT का उपयोग करना है।
- MCA21: इसे कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक सेवाएँ प्रदान करना है।
- ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाने वाली विभिन्न सुविधाओं में नाम आवंटन एवं परिवर्तन, निगमन, पंजीकरण शुल्क का ऑनलाइन भुगतान, पंजीकृत कार्यालय के पते में परिवर्तन, सार्वजनिक अभिलेखों को देखना तथा अन्य संबंधित सेवाएँ शामिल हैं।
- भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In): इसने देश में साइबर सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये और सिंगापुर की साइबर सुरक्षा एजेंसी (CSA) के सहयोग से 13 देशों के लिये "सिनर्जी" साइबर सुरक्षा अभ्यास की सफलतापूर्वक योजना बनाकर उसे कार्यान्वित किया, जिससे रैनसमवेयर हमलों के खिलाफ नेटवर्क को अधिक सुदृढ़ बनाया जा सके।
- डिजिटल इंडिया पहल: इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) द्वारा लॉन्च किया गया है, यह भारत को ज्ञान-आधारित परिवर्तन के लिये तैयार करने का एक व्यापक कार्यक्रम है।
निष्कर्ष:
शासन में ICTका उपयोग सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी को कम करता है। हालाँकि डिजिटल बहिष्कार और साइबर सुरक्षा खतरों जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। लेकिन निरंतर नीतिगत नवाचार और बुनियादी ढाँचे के विस्तार से भारत में एक अधिक समावेशी, पारदर्शी एवं प्रभावी डिजिटल शासन प्रणाली का मार्ग प्रशस्त होगा।