दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सुभाष चंद्र बोस का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारत की स्वतंत्रता में उनके वैचारिक योगदान को बताइये।
- समग्र रूप से निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से जाना जाता है, एक साहसी दूरदर्शी और प्रखर देशभक्त थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस से जुड़े और इसके प्रमुख नेताओं में से एक के रूप में उभरे। जवाहर लाल नेहरू के साथ, उन्होंने समाजवादी विचारधाराओं से प्रेरित कॉन्ग्रेस के युवा नेतृत्व का प्रतिनिधित्व किया। उनकी विचारधारा और योगदान का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
मुख्य भाग:
- वैचारिक आधार:
- सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रवाद, स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के आदर्शों से बहुत प्रभावित थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि ब्रिटिश शासन से भारत की मुक्ति केवल प्रत्यक्ष कार्रवाई और सशस्त्र प्रतिरोध के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है।
- उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये एक अधिक सक्रिय और उग्रवादी रणनीति अपनाने की पैरवी की, जिससे युवा पीढ़ी राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की ओर प्रेरित हुई।
- फॉरवर्ड ब्लॉक और इंडियन नेशनल आर्मी (INA):
- वर्ष 1939 में, वैचारिक मतभेदों के कारण बोस भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस से अलग हो गए और फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। फॉरवर्ड ब्लॉक का उद्देश्य सभी उपनिवेश-विरोधी ताकतों को एकजुट करना और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाना था।
- बोस का मानना था कि ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिये एक मज़बूत और अनुशासित सेना आवश्यक थी, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1942 में भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की स्थापना हुई। INA ने अंग्रेज़ों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति:
- बोस ने अंतर्राष्ट्रीय समर्थन के महत्त्व को पहचाना और भारत के हित को आगे बढ़ाने के लिये अन्य देशों और नेताओं के साथ गठबंधन की मांग की। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी, इटली और जापान जैसे देशों से सहायता प्राप्त करने के लिये व्यापक यात्रा की।
- जापानी समर्थन से उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया में आज़ाद हिंद सरकार और INA की स्थापना की, जिससे ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने के लिये एक समानांतर सरकार बनाई गई।
- जन आंदोलन: जनसमूह को संगठित करने और मनोबल बढ़ाने के लिये, बोस ने भारत के लोगों तक पहुँचने के लिये रेडियो प्रसारण का इस्तेमाल किया। उन्होंने शक्तिशाली भाषण दिये, जिसमें एकता, बलिदान और ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट संघर्ष का आह्वान किया गया। उनके प्रसारण, जैसे कि प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” ने अनगिनत भारतीयों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिये प्रेरित किया।
- विरासत और प्रभाव: उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में उग्रता और तात्कालिकता की भावना भर दी, जिसने बाद की पीढ़ियों के नेताओं को प्रभावित किया। बोस की विचारधाराओं और कार्यों ने अनगिनत भारतीयों को प्रेरित किया, इस विश्वास को चुनौती दी कि अहिंसा ही स्वतंत्रता का एकमात्र मार्ग है।
निष्कर्ष:
बोस का सशस्त्र प्रतिरोध में विश्वास, फॉरवर्ड ब्लॉक और INA का गठन तथा अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन, इन सभी ने स्वतंत्रता आंदोलन की गति एवं दृढ़ता में योगदान दिया व ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध युद्ध पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा।