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25 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस-16: सार्वजनिक वितरण प्रणाली में मौजूद प्रमुख कमियों का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, प्रौद्योगिकी-संचालित पहल और संस्थागत सुधारों के माध्यम से इसकी प्रभावशीलता कैसे बढ़ाई जा सकती है, चर्चा कीजिये। (125 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खामियों का उल्लेख कीजिये।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी-संचालित पहलों और संस्थाओं के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
- सुझावों के साथ समापन कीजिये।
परिचय:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत स्थापित एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है। इस कार्यक्रम के तहत समाज के कमज़ोर वर्ग को सब्सिडी वाला भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने राज्य सरकारों को खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, परिवहन और थोक आवंटन की ज़िम्मेदारी सँभाली है।
राज्य के भीतर आवंटन, पात्र परिवारों की पहचान, राशन कार्ड जारी करना और उचित मूल्य की दुकानों (FPS) के कामकाज की निगरानी सहित परिचालन ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों के पास है। PDS पाँच लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से लगभग 800 मिलियन लोगों को सब्सिडी वाला अनाज प्रदान करता है।
मुख्य भाग:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कमियाँ:
- लाभार्थियों की पहचान: TPDS में बड़े पैमाने पर समावेशन और बहिष्करण संबंधी त्रुटियाँ होती हैं। इसका मतलब है कि पात्र लाभार्थियों को खाद्यान्न नहीं मिल रहा है जबकि जो लोग पात्र नहीं हैं उन्हें अनुचित लाभ मिल रहा है। वर्ष 2009 में, PDS में लगभग 61% बहिष्करण त्रुटि और 25% लाभार्थियों के समावेशन की त्रुटियाँ थीं।
- खाद्यान्नों का रिसाव: TPDS को राशन की दुकानों से खुले बाज़ार में ले जाने के दौरान खाद्यान्नों के बड़े पैमाने पर रिसाव का सामना करना पड़ता है। पूर्ववर्ती योजना आयोग ने अखिल भारतीय स्तर पर PDS चावल और गेहूँ में 36% रिसाव पाया।
- खरीद से संबंधित समस्याएँ: खुली खरीद, अर्थात् बफर स्टॉक भरा होने पर भी आने वाले सभी अनाज को स्वीकार कर लिया जाता है, जिससे खुले बाज़ार में कमी उत्पन्न हो जाती है।
- भंडारण की समस्याएँ: CAG द्वारा किये गए एक निष्पादन ऑडिट से पता चला है कि सरकार की भंडारण क्षमता में गंभीर कमी है। खाद्यान्न सड़ने की घटनाएँ बढ़ रही हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का प्रावधान फसल विविधीकरण को हतोत्साहित करता है।
- पर्यावरण संबंधी मुद्दे: खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता और अधिशेष प्राप्त करने पर अत्यधिक ज़ोर, जोकि पानी की अधिक खपत करने वाले हैं, पर्यावरण की दृष्टि से असंवहनीय पाए गए हैं। यह पाया गया कि उत्तर-पश्चिम भारत में चावल की खेती के कारण, वर्ष 2002-08 के दौरान भूजल स्तर में प्रतिवर्ष 33 सेमी. की गिरावट आई तथा उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी और जल की स्थिति खराब हुई।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी-संचालित पहलों और संस्थाओं का महत्त्व:
- E-PDS पोर्टल: इसका उद्देश्य PDS के लिये वन-स्टॉप सूचना उपलब्ध कराना है और इसका उद्देश्य डेटा, सूचना एवं समाचार प्रसारित करके PDS में पारदर्शिता लाना है। यह निम्नलिखित जानकारी प्रदान करता है:
- राष्ट्रीय एवं राज्य गोदामों की भंडारण क्षमता।
- PDS हितधारकों की जानकारी - राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर।
- PDS लाभार्थियों का रजिस्टर और राशन कार्ड की जानकारी।
- उचित मूल्य दुकान (FPS) विवरण।
- मेरा राशन ऐप: यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा विकसित एक मोबाइल एप्लिकेशन था, जो विभिन्न वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) से संबंधित सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है, जैसे:
- प्रवासी लाभार्थी अपना प्रवास विवरण पंजीकृत करा सकते हैं।
- लाभार्थी निकटतम उचित मूल्य की दुकान की पहचान और पता लगा सकते हैं।
- लाभार्थी आसानी से अपने खाद्यान्न पात्रता, हालिया लेन-देन और आधार सीडिंग की स्थिति का विवरण देख सकते हैं।
- उचित मूल्य की दुकानें: देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत लगभग 5.38 लाख उचित मूल्य की दुकानें (FPS) संचालित हो रही हैं, जो इसकी प्रभावी कार्यप्रणाली और निर्बाध संचालन को सुनिश्चित करती हैं।
- प्वाइंट ऑफ सेल (POS) डिवाइस: 6 मई 2016 तक लगभग 1.11 लाख उचित दर दुकानों को राशन कार्ड बदलने के लिये 'प्वाइंट ऑफ सेल' (मर्चेंट) डिवाइस लगाकर स्वचालित किया गया है।
इस प्रकार, PDS सरकार के सबसे बड़े कल्याण कार्यक्रमों में से एक है, जो किसानों को अपनी उपज लाभकारी मूल्य पर बेचने में मदद करता है, साथ ही समाज के गरीब वर्गों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न खरीदने में मदद करता है। प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों के साथ इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है, जैसा कि कुछ राज्यों की इसी दिशा में सफलताओं से स्पष्ट है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) की ओर बढ़ना भी PDS को मज़बूत करने का एक और विचार है, लेकिन सावधानी के साथ।