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14 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
कर्रेंट अफेयर्स
दिवस- 11: विस्तृत टिप्पणी कीजिये:
A. UNFCCC COP29 के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये और वैश्विक जलवायु वार्ता में इसके महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, समतामूलक जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
B. "वन नेशन वन सब्स लेवल" (ONOS) योजना भारत में शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाओं में कैसे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है? साथ ही, इसके अनोखे प्रोटोटाइप और परीक्षण के संभावित प्रभावों का विश्लेषण कीजिये।
उत्तर
A. UNFCCC COP29 के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये और वैश्विक जलवायु वार्ता में इसके महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, समतामूलक जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- UNFCCC COP29 को एक महत्त्वपूर्ण जलवायु शिखर सम्मेलन के रूप में संक्षेप में प्रस्तुत कीजिये।
- वैश्विक जलवायु नीतियों को आकार देने में COP शिखर सम्मेलनों के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
UNFCCC के तहत पार्टियों का 29वाँ सम्मेलन (COP29), बाकू, अज़रबैजान (2024) में आयोजित किया गया, जिसमें विकासशील देशों की चिंताओं को संबोधित करते हुए जलवायु वित्त, कार्बन बाज़ारों और उत्सर्जन में कमी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिये 200 देशों को बुलाया गया।
मुख्य भाग:
COP29 के मुख्य उद्देश्य
- जलवायु वित्त पर नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG): इसका लक्ष्य वर्ष 2035 तक जलवायु वित्त को तिगुना करके 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष करना है, जिसमें सार्वजनिक और निजी स्रोतों से प्रतिवर्ष 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापक लक्ष्य शामिल है।
- कार्बन बाज़ारों का संचालन: पेरिस समझौते के अंतर्गत अनुच्छेद 6.2 (द्विपक्षीय कार्बन व्यापार) और अनुच्छेद 6.4 (संयुक्त राष्ट्र-प्रबंधित कार्बन बाज़ार) को अंतिम रूप दिया गया।
- मीथेन में कमी: 30 से अधिक देशों ने जैविक अपशिष्ट से मीथेन उत्सर्जन में कटौती करने का संकल्प लिया (भारत ने हस्ताक्षर नहीं किये)।
- स्वदेशी और स्थानीय समुदायों की मान्यता: पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक जलवायु नीतियों के साथ एकीकृत करने के लिये बाकू कार्ययोजना को अपनाया गया।
- लैंगिक और जलवायु कार्रवाई: लैंगिक-संवेदनशील नीतियों को सशक्त बनाने के लिये लिंग पर लीमा कार्य कार्यक्रम (LWP) की अवधि 10 वर्षों के लिये बढ़ा दी गई है।
- बाकू हार्मोनिया जलवायु पहल: FAO के सहयोग से किसानों के लिये जलवायु वित्त को सुव्यवस्थित करने के लिये शुरू की गई।
वैश्विक जलवायु वार्ता में महत्त्व
- जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं को मज़बूत किया गया, यद्यपि विकासशील देशों ने उच्च लक्ष्य की मांग की।
- निम्न-कार्बन निवेश को बढ़ावा देने के लिये उन्नत कार्बन व्यापार तंत्र।
- जलवायु न्याय संबंधी चिंताओं पर ध्यान दिया गया, फिर भी वित्तीय योगदान बढ़ाने में विकसित देशों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
समतामूलक जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका
- NCQG को अस्वीकृत कर दिया गया, जिसमें 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान के साथ प्रतिवर्ष 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की गई थी।
- सबसे कम विकसित देशों (LDC) और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (SIDS) का समर्थन किया गया।
- LMDC और बेसिक समूहों के माध्यम से वैश्विक दक्षिण जलवायु कूटनीति का नेतृत्व किया।
- ISA, लाइफ और मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट जैसी पहलों को मज़बूत किया गया।
निष्कर्ष:
COP29 ने वृद्धिशील प्रगति की, लेकिन गहरी वित्तीय असमानताओं को उजागर किया। भारत ने जलवायु समानता की वकालत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह सुनिश्चित किया कि विकसित देश सतत् विकास को संतुलित करते हुए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें।
B. "वन नेशन वन सब्स लेवल" (ONOS) योजना भारत में शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाओं में कैसे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है? साथ ही, इसके अनोखे प्रोटोटाइप और परीक्षण के संभावित प्रभावों का विश्लेषण कीजिये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय में एक राष्ट्र एक सदस्यता (ONOS) को परिभाषित कीजिये।
- भारत में सस्ती और समावेशी अनुसंधान पहुँच की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
25 नवंबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) योजना, भारत भर में विद्वानों के शोध पत्रिकाओं तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल है। यह 30 प्रमुख प्रकाशकों की 13,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं तक राष्ट्रव्यापी डिजिटल पहुँच प्रदान करता है, जिससे 6,300 से अधिक सरकारी संस्थानों के 1.8 करोड़ छात्र, शिक्षक और शोधकर्त्ता लाभान्वित होते हैं।
मुख्य भाग:
संभावित लाभ
- अनुसंधान तक सार्वभौमिक पहुँच: ONOS वित्तीय बाधाओं को दूर करता है, छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्त्ताओं के लिये ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करता है।
- अनुसंधान अंतराल को पाटना: टियर-2 और टियर-3 संस्थानों तक पहुँच का विस्तार करना, समावेशी अनुसंधान विकास को बढ़ावा देना।
- लागत अनुकूलन: एक केंद्रीकृत सदस्यता मॉडल कई संस्थागत-स्तरीय सदस्यताओं को समाप्त करके लागत को कम करता है।
- नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा: यह भारतीय शोधकर्त्ताओं को वैश्विक शिक्षा जगत के साथ जुड़ने में सक्षम बनाता है, जिससे शोध कार्य और उद्धरण में सुधार होता है।
- ओपन एक्सेस (OA) प्रकाशन के लिये समर्थन: प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपए के आवंटन से भारतीय विद्वानों को उच्च प्रभाव वाली ओपन एक्सेस (OA) पत्रिकाओं में प्रकाशन के लिये आवश्यक आर्टिकल प्रोसेसिंग चार्ज (APC) में सहायता मिलेगी।
- विकसित भारत@2047 विज़न को सुदृढ़ बनाना: यह वर्ष 2047 तक भारत के आत्मनिर्भर ज्ञान महाशक्ति बनने के लक्ष्य के अनुरूप है।
कार्यान्वयन चुनौतियाँ
- प्रकाशकों के साथ बातचीत: किफायती लाइसेंसिंग समझौते प्राप्त करना जटिल और महँगा हो सकता है।
- डिजिटल अवसंरचना अंतराल: निर्बाध उपयोग के लिये ग्रामीण संस्थानों में विश्वसनीय इंटरनेट पहुँच आवश्यक है।
- निजी संस्थानों तक सीमित पहुँच: ONOS मुख्य रूप से सरकारी संस्थानों को लाभ प्रदान करता है, जबकि निजी कॉलेजों और स्वतंत्र शोधकर्त्ताओं की पहुँच सीमित रहती है।
- स्थिरता संबंधी चिंताएँ: निरंतर पहुँच के लिये वर्ष 2027 से आगे दीर्घकालिक वित्तपोषण सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
ONOS भारत को वैश्विक अनुसंधान केंद्र बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है, जो विकसिट भारत@2047 का समर्थन करता है। वित्तीय और तार्किक बाधाओं के बावजूद, इसका सफल कार्यान्वयन भारत के शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, समावेशी एवं विश्व स्तरीय अनुसंधान सुलभता को बढ़ावा देगा।