70th BPSC Mains

दिवस- 32: भारत में प्रौद्योगिकी-सक्षम स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ने स्वास्थ्य क्षेत्र की पहुँच, कार्यकुशलता एवं गुणवत्ता में सुधार की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संदर्भ में, देश में डिजिटल स्वास्थ्य से जुड़ी प्रमुख पहलों और इसके समक्ष उपस्थित चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। (38 अंक)

08 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | साइंस और टेक्नोलॉजी

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • डिजिटल हेल्थकेयर सिस्टम का परिचय दीजिये।
  • भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा की विभिन्न पहलों पर चर्चा कीजिये।
  • भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

भारत का डिजिटल हेल्थकेयर परिवर्तन पहुँच, समानता, दक्षता और रोगी-केंद्रित देखभाल को बढ़ावा देकर अपने चिकित्सा पारिस्थितिकी तंत्र को नया आकार दे रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा एनालिटिक्स और एकीकृत प्लेटफॉर्म की सहायता से सशक्त डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभर रही है।

मुख्य भाग:

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा की पहल:

  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM): इसका उद्देश्य स्वास्थ्य ID, डिजी डॉक्टर और स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसे घटकों के साथ एक व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिससे निर्बाध देखभाल पहुँच संभव हो सके
  • ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म: इसने 20 करोड़ से अधिक परामर्श की सुविधा प्रदान की है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान वर्चुअल OPD के साथ दूर-दराज़ के क्षेत्रों को सहायता प्रदान की है।
  • CoWIN पोर्टल: इसने भारत के बड़े पैमाने पर COVID-19 टीकाकरण अभियान के लिये डिजिटल आधार प्रदान किया, जिससे वास्तविक समय पर ट्रैकिंग, प्रमाणीकरण और समान वैक्सीन वितरण सुनिश्चित हुआ।
  • टेली-मानस: इसे वर्ष 2022 में राज्यों में मनोवैज्ञानिक परामर्श और मनोरोग परामर्श प्रदान करते हुए मुफ्त टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  • नि-क्षय 2.0: यह प्लेटफॉर्म 'पीएम टीबी मुक्त भारत अभियान' के अंतर्गत क्षय रोग नियंत्रण का सशक्त समर्थन करता है, जिससे मामलों की निगरानी, रोगियों को आवश्यक सहायता प्रदान करने तथा दाताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को संभव बनाया जा सका है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता: रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी में AI-संचालित निदान अब स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का शीघ्र और सटीक पता लगाने में सहायता करता है, जिससे गलत निदान में 1.2% से 2.7% तक की कमी आती है
    • दवा खोज में AI अनुसंधान को गति दे रहा है। उदाहरण के लिये, इनसिलिको मेडिसिन ने सिर्फ 46 दिनों में फाइब्रोसिस की दवा तैयार की, जिसने पारंपरिक समय-सीमा में क्रांति ला दी।
  • दवा: व्यक्तिगत चिकित्सा IBM वाटसन ओन्कोलॉजी जैसे उपकरणों के माध्यम से लोकप्रिय हो रही है, जो 230 से अधिक अस्पतालों में डॉक्टरों को लक्षित कैंसर उपचार विकसित करने में मदद करती है।

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा की चुनौतियाँ:

  • विनियामक अंतराल: डिजिटल नुस्खों और टेली-परामर्श के संबंध में कानूनी ढाँचे की अनुपस्थिति के कारण विनियामक अंतराल मौजूद हैं, जिससे अनैतिक प्रथाओं के लिये गुंजाइश बनी रहती है।
  • गोपनीयता के मुद्दे: डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ रही हैं, एम्स रैनसमवेयर हमले जैसी घटनाएँ संवेदनशील स्वास्थ्य प्रणालियों की कमज़ोरियों को उजागर कर रही हैं।
  • बुनियादी ढाँचे का अभाव: डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमी, विशेष रूप से ग्रामीण और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में, टेलीहेल्थ तथा ऐप-आधारित सेवाओं तक समान पहुँच में बाधा डालती है।
  • पेशेवरों की कमी: डिजिटल उपकरणों और AI प्रणालियों का प्रबंधन करने के लिये प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी सरकारी तथा प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में प्रभावी कार्यान्वयन को सीमित करती है।
  • वैधानिक बाधाएँ: औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अंतर्गत ई-फार्मेसी की कोई स्पष्ट वैधानिक परिभाषा उपलब्ध नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप ऑनलाइन दवा बिक्री के विनियमन में अस्पष्टता और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
  • डेटा प्रबंधन: बिग डेटा प्रबंधन एक चुनौती बना हुआ है, क्योंकि विशाल मात्रा में मेडिकल रिकॉर्ड, जीनोमिक्स और डायग्नोस्टिक्स को एकीकृत करने के लिये मज़बूत विश्लेषणात्मक ढाँचे की आवश्यकता होती है।
  • अंतर-संचालनीयता: प्लेटफॉर्मों और राज्यों में अंतर-संचालनीयता संबंधी समस्याएँ सुचारु डेटा विनिमय में बाधा डालती हैं, जिससे देखभाल एवं रोगी ट्रैकिंग की निरंतरता बाधित होती है।

निष्कर्ष:

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा सस्ती, सुलभ और जवाबदेह स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने में बहुत बड़ी संभावनाएँ रखती है। विनियामक अंतराल को पाटकर, डिजिटल बुनियादी ढाँचे में सुधार करके और संस्थागत क्षमताओं को मज़बूत करके, भारत भविष्य के लिये एक सतत् और समावेशी डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कर सकता है।