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12 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
कर्रेंट अफेयर्स
दिवस- 9: निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये:
(a) बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास में डिजिटल बुनियादी ढाँचे की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
(b) नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बिहार की नीतियों पर चर्चा कीजिये।उत्तर
(a) बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास में डिजिटल बुनियादी ढाँचे की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- बिहार में डिजिटल अवसंरचना की भूमिका का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- बिहार सरकार द्वारा डिजिटलीकरण पहल पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
डिजिटल अवसंरचना बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय समावेशन और कृषि में वृद्धि होती है, डिजिटल विभाजन कम होता है एवं विकास, रोज़गार तथा सेवा वितरण दक्षता को बढ़ावा मिलता है।
मुख्य भाग:
- डिजिटल अवसंरचना विकास:
- बिहार राज्य व्यापी क्षेत्र नेटवर्क (BSWAN): एक मज़बूत डिजिटल ढाँचा प्रदान करने के लिये स्थापित, BSWAN विभिन्न सरकारी विभागों को जोड़ता है, कुशल संचार और डेटा साझाकरण की सुविधा प्रदान करता है।
- भारतनेट परियोजना: ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से, यह पहल डिजिटल सेवाओं, शिक्षा और ई-कॉमर्स तक पहुँच को सरल बनाती है।
- ई-गवर्नेंस पहल:
- बिहार ई-गवर्नेंस सेवा एवं प्रौद्योगिकी (BEST): सरकारी विभागों का डिजिटलीकरण करता है तथा सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) के माध्यम से ऑनलाइन सेवाएँ प्रदान करता है, जिससे भूमि अभिलेख और प्रमाण-पत्र जैसी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हो जाती हैं।
- आई-भूगोल (बिहार इन्फ्रास्ट्रक्चर मैपिंग GIS परियोजना): स्थान-विशिष्ट योजना, निर्णय लेने और निगरानी के लिये संसाधनों का प्रतिनिधित्व करने हेतु GIS, GPS और उपग्रह इमेजरी को एकीकृत करता है।
- डिजिटल साक्षरता और शिक्षा:
- डिजिटल साक्षरता अभियान (दिशा): इसका उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना तथा उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिये सशक्त बनाना है।
- स्वास्थ्य देखभाल पहल:
- ई-अस्पताल: सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों के रिकॉर्ड, अपॉइंटमेंट और चिकित्सा सेवाओं को डिजिटल बनाता है, जिससे प्रतीक्षा समय कम होता है एवं रोगी देखभाल में सुधार होता है।
- टेलीमेडिसिन सेवाएँ: दूर-दराज़ के क्षेत्रों में मरीज़ों को विशेषज्ञों से जोड़ती हैं, जिससे समय पर निदान और उपचार संभव हो पाता है।
- आर्थिक सशक्तिकरण:
- बिहार स्टार्ट-अप नीति: उद्यमियों को प्रोत्साहन और सहायता प्रदान करती है, राज्य में नवाचार तथा रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करती है।
- IT क्षेत्र में निवेश: नई IT नीति ने बिहार में डेटा सेंटर और ड्रोन विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिये प्रमुख कंपनियों को आकर्षित किया है, जिससे राज्य का डिजिटल ढाँचा मज़बूत हुआ है।
- शहरी विकास:
- स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ: सरकार सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने, शहरी प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने और सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करते हुए 5 स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रही है।
निष्कर्ष:
ये पहल सामूहिक रूप से उन्नत डिजिटल अवसंरचना के माध्यम से शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों में सुधार करके बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देती हैं।
(b) नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बिहार की नीतियों पर चर्चा कीजिये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- बिहार में डिजिटल अवसंरचना की भूमिका का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- बिहार सरकार द्वारा डिजिटलीकरण पहल पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
बिहार ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिये अक्षय ऊर्जा को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिये बिहार नीति (2017) ने राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
मुख्य भाग:
- प्रमुख नीतियाँ और लक्ष्य:
- हरित ऊर्जा लक्ष्य (2030): बिहार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी कुल विद्युत आपूर्ति में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाकर 44% करना है, जो वर्तमान में 15% है।
- सौर ऊर्जा विस्तार: प्रमुख परियोजनाओं में कजरा (लखीसराय) में 200 मेगावाट, पीरपैंती (भागलपुर) में 250 मेगावाट, जमुई में 125 मेगावाट और बाँका में 75 मेगावाट शामिल हैं।
- रूफटॉप और फ्लोटिंग सोलर: बिहार ग्रिड से जुड़े छत पर सौर संयंत्रों और नहरों और जलाशयों जैसे सोन नहर (पटना) एवं फुलवरिया जलाशय (नवादा) पर सौर पैनलों को बढ़ावा दे रहा है।
- अन्य नवीकरणीय ऊर्जा पहल:
- पंप हाइड्रो स्टोरेज: कैमूर परियोजना रात्रिकालीन विद्युत उत्पादन के लिये सौर ऊर्जा का भंडारण करेगी।
- बायोमास ऊर्जा: चीनी मिलें खोई आधारित सह-उत्पादन के माध्यम से 100 मेगावाट का योगदान देती हैं।
- प्रोत्साहन और ऊर्जा सुरक्षा उपाय:
- ट्रांसमिशन और बैंकिंग लाभ: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को ट्रांसमिशन शुल्क में छूट और कैप्टिव उपयोग के लिये 100% ऊर्जा बैंकिंग की सुविधा मिलती है।
- सब्सिडी: सरकार वर्ष 2025 तक 10,000 किसानों के लिये सौर ऊर्जा प्रतिष्ठानों और सौर सिंचाई पंपों के लिये 45-65% सब्सिडी प्रदान करती है।
- चुनौतियाँ एवं भविष्य का दृष्टिकोण:
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में बिहार 36 राज्यों में 18वें स्थान पर है, जो केवल 415 मेगावाट विद्युत उत्पन्न करता है।
- वर्तमान में कोई भी पवन या भू-तापीय ऊर्जा परियोजना संचालन में नहीं है।
- सौर ऊर्जा में रुकावट की चुनौती का समाधान बैटरी और पंप हाइड्रो स्टोरेज के माध्यम से किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
रणनीतिक नीतियों और परियोजनाओं के साथ, बिहार वर्ष 2030 तक भारत के शीर्ष 10 हरित ऊर्जा राज्यों में से एक बनने की दिशा में काम कर रहा है। राज्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिये सौर और बायोमास ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये ग्रिड बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करना महत्त्वपूर्ण होगा।