70th BPSC Mains

दिवस- 31: इसरो के हालिया मिशन किस प्रकार भारत को एक प्रक्षेपण यान प्रदाता से विकसित होकर वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनने की दिशा में ले जा रहे हैं? विश्लेषण कीजिये।(38 अंक)

07 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | साइंस और टेक्नोलॉजी

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • प्रक्षेपण सेवा प्रदाता के रूप में इसरो की पारंपरिक भूमिका का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • मुख्य भाग में, उदाहरणों के साथ हाल के अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों पर प्रकाश डालिये तथा बताइये कि किस प्रकार वे दृष्टिकोण, महत्त्वाकांक्षा और वैश्विक धारणा में बदलाव को दर्शाते हैं।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

इसरो ने कम लागत में विश्वसनीय उपग्रह प्रक्षेपणों के माध्यम से न केवल देश की अंतरिक्ष आवश्यकताओं को पूरा किया है, बल्कि वैश्विक ग्राहकों का भी विश्वास अर्जित किया है। हाल के मिशनों ने इसरो की भूमिका को केवल एक प्रक्षेपण सेवा प्रदाता से आगे बढ़ाकर अंतरिक्ष अन्वेषण और ग्रह विज्ञान में अग्रणी संस्था के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाया है।

मुख्य भाग:

  • प्रारंभिक वैश्विक भूमिका – वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाएँ:
    • जनवरी 2015 और दिसंबर 2024 के बीच, इसरो ने अपने PSLV, LVM3 तथा SSLV प्रक्षेपण वाहनों का उपयोग करके 393 विदेशी उपग्रहों एवं 3 भारतीय ग्राहक उपग्रहों को व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया।
    • अपनी विश्वसनीयता और लागत-दक्षता के कारण यह विश्व में "बजट लॉन्च हब" के रूप में जाना जाने लगा।
  • मंगलयान (मंगल ऑर्बिटर मिशन, 2013):
    • भारत का पहला अंतर-ग्रहीय मिशन, जिसने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह के चारों ओर सफलतापूर्वक एक ऑर्बिटर स्थापित कर दिया
    • सिर्फ ₹450 करोड़ की लागत में निर्मित यह मिशन 'ग्रैविटी' जैसी हॉलीवुड फिल्मों की तुलना में भी अधिक किफायती साबित हुआ है
    • वैज्ञानिक सटीकता और मितव्ययिता का प्रदर्शन करते हुए भारत को मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला पहला एशियाई राष्ट्र एवं विश्व स्तर पर चौथा राष्ट्र बना दिया।
  • चंद्रयान-3 (2023):
    • भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट उतरने वाला पहला देश बन गया
    • सटीक लैंडिंग, स्वायत्त रोवर संचालन और स्वदेशी डिज़ाइन (विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर) में प्रदर्शित क्षमताएँ।
    • यह चंद्र सतह अन्वेषण में एक मज़बूत छलांग थी, जिसने इसरो की प्रोफाइल को पृथ्वी अवलोकन से गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण में बदल दिया।
  • आदित्य-एल 1 मिशन (2023):
    • सूर्य का अध्ययन करने के लिये भारत का पहला मिशन, सौर गतिविधि और अंतरिक्ष मौसम का निरीक्षण करने के लिये लैग्रेंज बिंदु 1 पर स्थापित किया गया।
    • भारत ने उपग्रह संचार और सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हीलियोफिजिक्स तथा अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को सशक्त रूप से दर्ज कराया है।
  • गगनयान मिशन:
    • भारत का महत्त्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, जिसका लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में भेजना है।
    • इसमें जटिल प्रौद्योगिकी शामिल है: पुनः प्रवेश कैप्सूल, चालक दल के बचने की प्रणालियाँ तथा जीवन रक्षक मॉड्यूल - सभी का विकास स्वदेशी रूप से किया जा रहा है।
    • यह भारत की विशिष्ट मानव अंतरिक्ष उड़ान क्लब में शामिल होने की आकांक्षा को दर्शाता है
  • एक्सपोसैट (2024):
    • एक्स-रे ध्रुवीकरण का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला, अंतरिक्ष विज्ञान और खगोल भौतिकी में इसरो के बढ़ते निवेश को प्रदर्शित करती है।
  • सहयोगात्मक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण – निसार मिशन (2024):
    • नासा के साथ मिलकर NISAR पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तनों, पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु प्रभाव पर नज़र रखेगा, जिससे वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग में भारत की भूमिका मज़बूत होगी।
  • भावी मिशन – शुक्रयान (प्रस्तावित):
    • वायुमंडलीय संरचना और सतह प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिये शुक्र ऑर्बिटर मिशन की योजना बनाई गई।
    • यह अंतर-ग्रहीय अन्वेषण की विस्तारित दृष्टि और दीर्घकालिक वैज्ञानिक योजना का संकेत देता है।
  • दृष्टि और धारणा में रणनीतिक बदलाव:
    • पहले केवल लागत-प्रभावी क्षमताओं के लिये प्रसिद्ध इसरो अब अपनी तकनीकी परिपक्वता और जटिल अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक संचालित करने की योग्यता के लिये भी जाना जाने लगा है।
    • इसके मिशन अंतरिक्ष विज्ञान, रणनीतिक सुरक्षा, जलवायु निगरानी और गहन अंतरिक्ष अनुसंधान में तेज़ी से योगदान दे रहे हैं
  • लागत प्रभावशीलता एक परिसंपत्ति है, सीमा नहीं:
    • मंगलयान और चंद्रयान-3 जैसे मिशन सिद्ध करते हैं कि कम लागत का मतलब कम गुणवत्ता नहीं है
    • इस मॉडल को अन्य उभरती हुई अंतरिक्ष शक्तियों द्वारा सतत् और अनुकरणीय माना जा रहा है।
  • वैश्विक क्षेत्र में प्रतिष्ठा:
    • इसरो अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में एक विश्वसनीय और पसंदीदा साझेदार के रूप में उभर चुका है, जिससे फ्राँस, अमेरिका एवं संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश रणनीतिक भागीदारी के लिये उत्सुक हैं।
    • वैश्विक परियोजनाओं और मंचों में इसका समावेश अंतरिक्ष में सेवा प्रदाता से नीति-निर्माण करने वाले अग्रणी के रूप में बदलाव को दर्शाता है।

निष्कर्ष:

मंगलयान, चंद्रयान-3, आदित्य-एल1 और गगनयान जैसे मिशनों के ज़रिए इसरो स्पष्ट रूप से एक प्रक्षेपण यान प्रदाता से अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक नेता के रूप में विकसित हुआ है। वैज्ञानिक श्रेष्ठता, अंतर-ग्रहीय मिशनों की क्षमता, तकनीकी नवाचार तथा कम लागत में प्रभावी निष्पादन पर केंद्रित दृष्टिकोण ने भारत को नए अंतरिक्ष युग में अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में ला खड़ा किया है।