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70th BPSC Mains

  • 04 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 भूगोल और इकॉनमी

    दिवस- 29: भारतीय रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण से संभावित लाभ और संबंधित जोखिम क्या हैं? साथ ही, इसके भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभावों का विश्लेषण कीजिये। (38 अंक)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में, रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण का अर्थ समझाइये।
    • इसके लाभ और जोखिम पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारतीय रुपए (INR) का अंतर्राष्ट्रीयकरण सीमा पार व्यापार, निवेश और वित्तीय लेन-देन में इसके उपयोग को बढ़ावा देने से संबंधित है, बिना अमेरिकी डॉलर जैसी प्रमुख विदेशी मुद्रा में परिवर्तित किये। भारत ने नीति उदारीकरण, डिजिटल एकीकरण और द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से रुपए की वैश्विक छवि को बढ़ाने के लिये निर्णायक कदम उठाए हैं। हालाँकि यह बदलाव रणनीतिक चुनौतियों के साथ आता है, जिन्हें सावधानीपूर्वक नेविगेट किया जाना चाहिये।

    मुख्य भाग:

    • रुपया अंतर्राष्ट्रीयकरण के प्रमुख लाभ:
      • भारतीय व्यवसायों के लिये मुद्रा जोखिम में कमी: INR-आधारित निपटान प्रणाली भारतीय निर्यातकों और आयातकों को विनिमय दर में होने वाले उतार-चढ़ाव तथा डॉलर आधारित विनिमय अस्थिरता के प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करती है।
      • विदेशी मुद्रा भंडार पर कम निर्भरता: अमेरिकी डॉलर जैसी स्थिर मुद्राओं पर निर्भरता घटने से भारत को विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में बड़ी मात्रा में रिज़र्व रखने की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे लेन-देन की सुरक्षा का भार हल्का होता है।
      • बेहतर राजकोषीय प्रबंधन: INR की वैश्विक स्वीकृति सरकार को विदेशों में रुपया-मूल्यवर्गित बाॅण्ड जारी करने की अनुमति दे सकती है, जिससे बाहरी ऋण जोखिमों में कमी आएगी।
      • भारत की वैश्विक व्यापार आकांक्षाओं को बढ़ावा: रूस, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे साझेदारों के साथ प्रत्यक्ष रुपया व्यापार तीसरे पक्ष की मुद्रा मध्यस्थता के बिना द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाता है।
      • वित्तीय बाज़ार में व्यापक भागीदारी: जैसे-जैसे वैश्विक संस्थाएँ भारतीय रुपए की परिसंपत्तियाँ धारण करना शुरू करती हैं, इससे भारत के पूंजी बाज़ार मज़बूत होते हैं और निवेशकों की भागीदारी बढ़ती है
      • RBI और सरकार द्वारा रणनीतिक कदम:
        • RBI ने रुपया आधारित निपटान के लिये 22 देशों के साथ विशेष वास्ट्रो रुपया खाते (SVRA) शुरू किये हैं।
        • वर्ष 2023-24 में, विदेश में INR खाता खोलने और रुपया-आधारित पूंजी खाता लेन-देन की अनुमति देने के लिये FEMA नियमों में संशोधन किया गया।
        • निर्यात को सुगम बनाने हेतु अब निर्यातकों को विदेशों में विदेशी मुद्रा खाते संचालित करने की अनुमति प्रदान की गई है, जिससे व्यापारिक लेन-देन अधिक सुलभ और प्रभावी हो सके।
    • चुनौतियाँ और जोखिम:
      • विनिमय दर में अस्थिरता: व्यापक जोखिम से विदेशी मुद्रा बाज़ार में मुद्रा सट्टेबाज़ी और अल्पकालिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
      • आंशिक पूंजी खाता परिवर्तनीयता: रुपया पूंजी खाते पर गैर-परिवर्तनीय बना हुआ है, जिससे वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में इसकी स्वीकृति सीमित हो गई है।
      • मौद्रिक नीति संघर्ष (ट्रिफिन दुविधा): वैश्विक मुद्रा मांग को पूरा करने से घरेलू मौद्रिक स्थिरता और मुद्रास्फीति नियंत्रण तंत्र कमज़ोर हो सकता है
      • तरलता और सीमित वैश्विक उपयोग: रुपए में अमेरिकी डॉलर या यूरो जैसी मुद्राओं की तरह तरलता और मात्रा का अभाव है, जिससे बड़े पैमाने पर वैश्विक निपटान के लिये इसकी उपयोगिता सीमित हो जाती है
      • बाह्य वित्तीय झटकों का जोखिम: पूंजी प्रवाह के उदारीकरण से भारत को तात्कालिक पूंजी निकासी और समष्टि-आर्थिक अस्थिरता के जोखिमों का सामना अधिक तीव्रता से करना पड़ सकता है।
    • हालिया संस्थागत और नीतिगत विकास:
      • RBI की रणनीतिक कार्य योजना 2024-25 में भारतीय रुपए में मूल्यवर्गित उधार को बढ़ावा देना और विदेशों में भारतीय रुपए में खाता खोलने की अनुमति देना शामिल है
      • संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और फ्राँस जैसे देशों में UPI को अपनाने से वैश्विक स्तर पर भारत की डिजिटल वित्तीय ताकत को प्रदर्शित करने में मदद मिल रही है।
      • स्थानीय मुद्रा निपटान तंत्र के लिये इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और मालदीव के केंद्रीय बैंकों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
      • स्पेक्ट्रा प्लेटफॉर्म बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) अनुमोदन को सुव्यवस्थित करता है तथा रुपया वित्तपोषण को बढ़ावा देता है।

    आगे की राह:

    • सुचारु INR लेन-देन के लिये UPI, NEFT, RTGS को वैश्विक भुगतान प्रणालियों में एकीकृत करें।
    • उच्च वैश्विक मान्यता के लिये SDR बास्केट और CLS निपटान प्रणालियों में INR को शामिल करना।
    • बाह्य भेद्यता को कम करने के लिये मुद्रा स्वैप और स्थानीय मुद्रा निपटान तंत्र को बढ़ावा देना।
    • सामंजस्यपूर्ण KYC मानदंडों के माध्यम से 24x5 वैश्विक INR ट्रेडिंग पारिस्थितिकी तंत्र बनाएँ और विदेशी निवेशकों के लिये पहुँच को आसान बनाएँ।

    निष्कर्ष:

    रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण एक रणनीतिक अनिवार्यता है जो भारत के वैश्विक आर्थिक नेता के रूप में उभरने के लक्ष्य से जुड़ी है। जबकि इसके लाभों में वित्तीय अनुकूलन, व्यापार सुविधा और मौद्रिक स्वायत्तता शामिल हैं, जोखिमों के लिये क्रमिक एकीकरण, संस्थागत तैयारी तथा वैश्विक भागीदारी की आवश्यकता होती है। सावधानीपूर्वक अनुक्रमित सुधारों और डिजिटल नवाचार के साथ, भारत रुपए को एक विश्वसनीय तथा स्थिर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित कर सकता है।

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