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02 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
भूगोल और इकॉनमी
दिवस- 27: स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत में एक एकीकृत और पारदर्शी संपत्ति सत्यापन ढाँचा प्रदान करने में कैसे योगदान देती है? (38 अंक)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- स्वामित्व योजना का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- ग्रामीण भारत को एकीकृत करने की योजना के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डालिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
ग्रामीण भारत में संपत्ति का स्वामित्व लंबे समय से अनौपचारिक और अलिखित रहा है, जिसके कारण अक्सर विवाद, भूमि का कम उपयोग एवं औपचारिक ऋण प्रणालियों से बहिष्करण होता है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में शुरू की गई स्वामित्व योजना आधुनिक तकनीक का उपयोग करके एक एकीकृत और पारदर्शी संपत्ति सत्यापन समाधान प्रदान करती है, जिससे ग्रामीण शासन तथा भूमि स्वामित्व में बदलाव आता है।
मुख्य भाग:
- सटीक भूमि मानचित्रण के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग: इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में बसे भूमि क्षेत्रों का मानचित्रण करने के लिये ड्रोन आधारित सर्वेक्षण और CORS (निरंतर प्रचालन संदर्भ स्टेशन) का उपयोग किया जाता है।
- यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन, भू-संदर्भित मानचित्रण सुनिश्चित करता है, जिससे संपत्तियों की सटीक पहचान और सीमांकन संभव होता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर, योजना के अंतर्गत अधिसूचित 92% गाँवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है (जनवरी 2025)।
- कानूनी स्वामित्व रिकॉर्ड जारी करना: मुख्य परिणाम 'संपत्ति कार्ड' का प्रावधान है, जो आधिकारिक स्वामित्व दस्तावेज़ों के रूप में कार्य करता है।
- ये कार्ड ग्रामीण भूमिधारकों को कानूनी रूप से सशक्त बनाते हैं, जिससे उन्हें अपनी संपत्ति को वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में उपयोग करने की अनुमति मिलती है।
- डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्मों के साथ एकीकरण: बेहतर योजना और राजस्व संग्रह के लिये स्वामित्व डेटा को ई-ग्रामस्वराज तथा संपत्ति कर प्रणालियों के साथ एकीकृत किया गया है।
- यह पंचायती राज संस्थाओं को स्थानीय विकास के लिये अद्यतन स्थानिक और स्वामित्व डेटा तक पहुँच प्रदान करता है।
- भूमि विवादों में कमी और कानूनी स्पष्टता: ड्रोन आधारित मानचित्रण से अतिव्यापी दावों में कमी आती है और स्वामित्व सीमाओं में स्पष्टता आती है, जिससे मुकदमेबाज़ी में कमी आती है।
- पारदर्शी डिजिटल रिकॉर्ड विवाद-मुक्त उत्तराधिकार, स्थानांतरण और ग्रामीण संपत्ति के पट्टे को बढ़ावा देते हैं।
- ग्रामीण ऋण पहुँच और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा: कानूनी स्वामित्व प्रमाण के साथ, ग्रामीण नागरिक अपनी संपत्ति के बदले बैंक ऋण और बंधक प्राप्त कर सकते हैं।
- इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण भूमिधारकों की आर्थिक क्षमता का लाभ मिलेगा।
- आत्मनिर्भरता और ज़मीनी स्तर पर सशक्तीकरण को बढ़ावा: यह योजना नागरिकों के आत्मविश्वास और सम्मान को बढ़ाती है, विशेष रूप से महिलाओं एवं हाशिये के समूहों के बीच।
- कई राज्यों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिये संपत्ति कार्ड के संयुक्त स्वामित्व को प्रोत्साहित किया जाता है।
- पायलट सफलता और राष्ट्रीय स्तर पर रोल-आउट: प्रारंभ में छह राज्यों में शुरू की गई इस योजना को अप्रैल 2021 में देश भर में विस्तारित किया गया।
- जनवरी 2025 तक इस योजना के तहत लगभग 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किये जा चुके हैं।
- पंचायती राज सुधारों के साथ अभिसरण: स्वामित्व संपत्ति कर संग्रह में सुधार और साक्ष्य-आधारित स्थानिक योजना को सक्षम करके ग्राम पंचायतों को मज़बूत करता है।
- यह पारदर्शिता, जवाबदेही और स्थानीय शासन को बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
- पर्यावरण एवं आपदा-अनुकूलन लाभ:
- डिजिटल मैपिंग डेटा आपदा प्रबंधन, जलवायु-अनुकूल योजना और बुनियादी ढाँचे के विकास में सहायता कर सकता है।
निष्कर्ष:
स्वामित्व योजना ग्रामीण भूमि प्रशासन में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है, जो भारत के ग्रामीण परिदृश्य में कानूनी स्पष्टता, डिजिटल सशक्तीकरण और आर्थिक अवसर लाती है। कानूनी मान्यता और शासन के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके, यह डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों के साथ संरेखित करते हुए समावेशी एवं पारदर्शी ग्रामीण विकास की नींव रखता है।