02 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | भूगोल और इकॉनमी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- बिहार की स्थिति और भूगोल का उल्लेख करते हुए परिचय दीजिये।
- बिहार के प्रमुख भौगोलिक प्रभागों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
24° 20' 10" उत्तर से 27° 31' 15" उत्तर अक्षांश और 83° 19' 50'' पूर्व से 88° 17' 40'' पूर्व देशांतर के बीच स्थित बिहार 94,163 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो इसे भारत का 12वाँ सबसे बड़ा राज्य बनाता है। इसके भौतिक परिदृश्य को तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनकी विशिष्ट भू-वैज्ञानिक और स्थलाकृतिक विशेषताएँ बिहार की प्राकृतिक संरचना एवं आर्थिक परिदृश्य को आकार देती हैं।

मुख्य भाग:
- शिवालिक पर्वतमाला और तराई क्षेत्र:
- पश्चिमी चंपारण के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित यह क्षेत्र बिहार का एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र है।
- 932 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पर्वत तृतीयक चट्टान प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है और बाहरी हिमालय का हिस्सा है।
- इस प्रभाग में रामनगर दून, सोमेश्वर श्रेणियाँ और हरहा घाटी (दून घाटी) शामिल हैं।
- इस क्षेत्र में खड़ी ढलानें, घने जंगल और मौसमी नदियाँ हैं तथा मानव निवास अपेक्षाकृत कम है।
- यह पारिस्थितिक संतुलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हिमालय एवं मैदानी इलाकों के बीच एक संक्रमण क्षेत्र बनाता है।
- गंगा के मैदान (मध्य गंगा के मैदान):
- यह सबसे प्रभावशाली क्षेत्र है, जो लगभग 45,000 वर्ग किमी. या बिहार के क्षेत्रफल का लगभग 50% है।
- यह उत्तर में तराई से लेकर दक्षिणी पठार तक तथा पश्चिमी चंपारण से कटिहार तक फैला हुआ है।
- गंगा, गंडक, घाघरा, बागमती, कोसी, सोन और अन्य नदियों के जलोढ़ जमाव से निर्मित।
- इसमें नई (खादर) और पुरानी (बांगर) जलोढ़ मिट्टी शामिल है, जिससे मिट्टी अत्यंत उपजाऊ एवं कृषि के लिये उपयुक्त है।
- यह क्षेत्र घनी आबादी वाला, कृषि उत्पादक क्षेत्र है और बिहार की अर्थव्यवस्था का केंद्र है।
- दक्षिणी पठारी क्षेत्र:
- यह दक्षिणी मैदानों और छोटानागपुर पठार के बीच, पश्चिम में कैमूर से पूर्व में बाँका तक स्थित है।
- यह मुख्य रूप से ग्रेनाइट, नीस और शिस्ट जैसे आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से बना है, जो इसे भू-वैज्ञानिक रूप से स्थिर बनाता है।
- इसमें प्रेतशिला, रामशिला और जेथियन पहाड़ियाँ जैसी पृथक शंक्वाकार पहाड़ियाँ शामिल हैं, जो मूल रूप से बाथलिथिक हैं।
- क्वार्टजाइट, अभ्रक और बॉक्साइट जैसे खनिज संसाधनों से समृद्ध, यद्यपि औद्योगिक दोहन अभी भी सीमित है।
- यह क्षेत्र अपेक्षाकृत कम आबादी वाला है और इसकी भूमि ऊबड़-खाबड़ है तथा यहाँ वानिकी एवं खनन विकास की काफी संभावनाएँ हैं।
निष्कर्ष:
बिहार के तीन भौगोलिक विभाजन- शिवालिक-तराई पहाड़ियाँ, उपजाऊ गंगा के मैदान और खनिज समृद्ध दक्षिणी पठार- मिलकर राज्य की कृषि-आर्थिक विविधता, जनसंख्या वितरण तथा प्राकृतिक संसाधन क्षमता को आकार देते हैं। जबकि मैदानी इलाके गहन कृषि और घनी बस्तियों का समर्थन करते हैं, पठार खनन की संभावनाएँ प्रदान करते हैं एवं पहाड़ी इलाके पारिस्थितिक स्थिरता में योगदान करते हैं। बिहार में क्षेत्रीय नियोजन और सतत् विकास के लिये इन विभाजनों को समझना महत्त्वपूर्ण है।