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70th BPSC Mains

  • 09 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 साइंस और टेक्नोलॉजी

    दिवस- 33: भारत यदि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी पूर्ण क्षमता का लाभ उठाना चाहता है, तो उसे अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सशक्त रूप से प्रोत्साहित करना चाहिये। चर्चा कीजिये। (38 अंक)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की वर्तमान स्थिति के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये।
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिये सुधार सुझाइये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है, जबकि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 360 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुकी है। ऐसे में भारत को अपनी पूर्ण क्षमता के दोहन और अंतर्राष्ट्रीय हिस्सेदारी में वृद्धि के लिये निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। हाल के सुधारों ने नींव रखी है, लेकिन इस अवसर को साकार करने के लिये निरंतर समर्थन और नवाचार महत्त्वपूर्ण हैं।

    मुख्य भाग:

    भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता:

    • उच्च विकास क्षमता: अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत वर्ष 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी को वर्तमान ~2% से बढ़ाकर लगभग 9% तक पहुँचा सकता है।
    • शासन और विकास के लिये उत्प्रेरक: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियाँ विभिन्न क्षेत्रों में शासन सेवाओं, आपदा प्रबंधन और विकासात्मक योजना को बढ़ा सकती हैं।
    • स्टार्टअप इकोसिस्टम चालक: अंतरिक्ष क्षेत्र निजी स्टार्टअप के एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित कर सकता है, जिससे उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
    • विक्रेता की स्थिति से आगे: निजी कंपनियों को विक्रेता की भूमिका से आगे बढ़ना होगा तथा उपग्रह एवं प्रक्षेपण सेवाओं में संपूर्ण क्षमताएँ विकसित करनी होंगी।
    • STEM और वैज्ञानिक जिज्ञासा: अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रोत्साहित करने से युवा पीढ़ी को STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में कॅरियर चुनने की प्रेरणा मिल सकती है, जिससे देश की प्रतिभा संपदा और नवाचार क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
    • आर्थिक विकास और रोज़गार: स्टार्टअप और निर्यात के लिये इस क्षेत्र का लाभ उठाने से प्रतिभा पलायन पर रोक लग सकती है एवं उच्च कौशल वाले रोज़गार उत्पन्न हो सकते हैं।
    • वैश्विक बेंचमार्किंग: स्पेसएक्स और एरियनस्पेस जैसी कंपनियाँ दिखाती हैं कि कैसे निजी कंपनियाँ अकेले सरकारी एजेंसियों की तुलना में अधिक तेज़ी से लागत में कटौती एवं नवाचार कर सकती हैं।

    सुधार और आगे की राह

    • समान अवसर: निजी खिलाड़ियों को स्वतंत्र और प्रतिस्पर्द्धी रूप से काम करने के लिये एक निष्पक्ष नियामक पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है।
    • ओपन विंडो मंज़ूरी: भारतीय अंतरिक्ष गतिविधियाँ विधेयक जैसी व्यवस्थाओं को निजी पहलों के लिये सरलीकृत, समयबद्ध मंज़ूरी प्रदान करनी चाहिये।
    • इसरो के बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाना: इसरो की परीक्षण, प्रक्षेपण और ज़मीनी सुविधाओं को वाणिज्यिक आधार पर निजी खिलाड़ियों के साथ साझा किया जाना चाहिये।
    • अंतरिक्ष में FDI को प्रोत्साहित करें: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने से पूंजी, प्रौद्योगिकी आ सकती है और वैश्विक साझेदारी बन सकती है।
    • अनुसंधान एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना: इसरो को NSIL के माध्यम से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का विस्तार करना चाहिये, जिससे स्टार्टअप्स को सिद्ध क्षमताओं पर निर्माण करने में मदद मिल सके।
    • अंतरिक्ष गलियारे बनाएँ: समर्पित अंतरिक्ष औद्योगिक क्षेत्र भारत में फ्लोरिडा के अंतरिक्ष तट की सफलता को दोहरा सकते हैं।
    • शिक्षा और प्रतिभा में निवेश करें: अंतरिक्ष-केंद्रित संस्थानों और पाठ्यक्रमों का विस्तार करें, कुशल एवं भविष्य के लिये तैयार कार्यबल का निर्माण करें।
    • मांग-संचालित परिसंपत्ति विकास: मांग-संचालित उपग्रह और प्रक्षेपण परियोजनाओं की ओर बदलाव से संसाधन अनुकूलन एवं बाज़ार प्रासंगिकता सुनिश्चित होगी।
    • निजी लॉन्च और पेलोड समर्थन: स्टार्टअप्स के लिये लॉन्च के अवसरों को बढ़ाने के लिये POEM जैसी पहलों का विस्तार किया जाना चाहिये।
    • सार्वजनिक-निजी सहयोग को प्रोत्साहित करना: संयुक्त मिशनों और व्यावसायिक सफलता के लिये IN-SPACe, ISRO तथा स्टार्टअप्स के बीच समन्वय को मज़बूत करना।

    निष्कर्ष:

    अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की आकांक्षाएँ निजी नवाचार, निवेश और प्रतिभा को बढ़ावा देने पर निर्भर करती हैं। उपयुक्त नीतियों, मज़बूत बुनियादी ढाँचे और प्रभावी प्रोत्साहनों के माध्यम से, भारत सार्वजनिक दृष्टिकोण को निजी उद्यम की शक्ति के साथ एकीकृत कर रणनीतिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करते हुए स्वयं को एक वैश्विक अंतरिक्ष हब में परिवर्तित कर सकता है।

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