01 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | भूगोल और इकॉनमी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- GLOF को परिभाषित कीजिये और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का परिचय दीजिये।
- मुख्य भाग में, कारणों की व्याख्या कीजिये और हिमालयी संदर्भ में निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) का मतलब बर्फ या हिमोढ़ द्वारा बनाए गए प्राकृतिक बाँधों के टूटने के कारण ग्लेशियल झील से अचानक पानी का निकलना है। हिमालय में, जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेपों के कारण ग्लेशियल के तेज़ी से पीछे हटने के कारण GLOF एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है।

मुख्य भाग:
GLOF घटनाओं के कारण:
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघलते ग्लेशियर: हिमालय में बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं और झीलें फैल रही हैं, जिससे विस्फोट का खतरा बढ़ रहा है।
- कमज़ोर हिमोढ़ बाँध: मलबे और हिमोढ़ से निर्मित प्राकृतिक बाँध प्रायः संरचनात्मक रूप से कमज़ोर होते हैं तथा बढ़ते जल दबाव को झेलने में असमर्थ होते हैं।
- झीलों में हिमस्खलन या भूस्खलन: हिमनद झीलों में चट्टानें, बर्फ या बर्फ गिरने से जल का अचानक विस्थापन हो सकता है, जिससे बाँध टूट सकता है।
- हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि: टेक्टोनिक रूप से सक्रिय होने के कारण, इस क्षेत्र में भूकंप मोरेन बाँधों को अस्थिर कर सकते हैं, जिससे विस्फोट हो सकता है।
- भारी वर्षा या बादल फटना: अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ, जो हिमालय में आम होती जा रही हैं, झीलों के जल स्तर को अचानक बढ़ा देती हैं, जिससे झीलें ओवरफ्लो हो जाती हैं।
- बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं से कृत्रिम ट्रिगर: जलविद्युत परियोजनाओं, सुरंग निर्माण और सड़कों की कटाई जैसी गतिविधियाँ हिमनद एवं परिहिमनद पर्यावरण को प्रभावित करती हैं तथा पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न कर सकती हैं।
हिमालयी क्षेत्रों पर प्रभाव:
- निचले इलाकों के समुदायों के लिये खतरा: GLOF से अचानक आने वाली बाढ़ से संकीर्ण पर्वतीय घाटियों में स्थित गाँव, सड़कें, पुल और खेत नष्ट हो सकते हैं।
- मानव जीवन और आजीविका की हानि: चमोली आपदा (उत्तराखंड, 2021) जैसी घटनाओं के कारण सैकड़ों लोगों की मृत्यु हुई है और आर्थिक व्यवधान उत्पन्न हुआ है।
- बुनियादी ढाँचे और जलविद्युत परियोजनाओं को नुकसान: GLOF पर्वतीय अर्थव्यवस्थाओं के लिये महत्त्वपूर्ण जलविद्युत और सड़क नेटवर्क में बड़े पैमाने पर निवेश के लिये खतरा उत्पन्न करता है।
- पर्यावरणीय क्षरण: बाढ़ से कटाव, गाद और आवास विनाश होता है, जिससे नदी के पारिस्थितिकी तंत्र तथा जैवविविधता प्रभावित होती है।
- जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत आपदा जोखिम में वृद्धि: IPCC की रिपोर्ट बताती है कि ग्लेशियल पीछे हटने और अस्थिर झील निर्माण के कारण GLOF जोखिम तीव्र हो जाएगा।
- पूर्वी और मध्य हिमालय में उच्च संवेदनशीलता: सिक्किम, भूटान, नेपाल और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में हिमनद झीलों एवं खड़ी ढलानों का घनत्व अधिक है।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों (EWS) का अभाव: कई उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में GLOF भविष्यवाणी के लिये पर्याप्त निगरानी, मॉडलिंग उपकरण या सामुदायिक स्तर की चेतावनी प्रणालियों का अभाव है।
- सीमापारीय प्रभाव: तिब्बत या नेपाल से उत्पन्न होने वाले GLOF भारत और बांग्लादेश को प्रभावित कर सकते हैं, जिसके लिये क्षेत्रीय सहयोग एवं डेटा साझाकरण आवश्यक हो सकता है।
- 2023-24 में हालिया चिंताएँ: NRSC और ICIMOD द्वारा किये गए अध्ययनों ने भारतीय हिमालय में 350 से अधिक संभावित खतरनाक हिमनद झीलों को चिह्नित किया है।
निष्कर्ष:
GLOF एक उभरता हुआ जलवायु-प्रेरित खतरा है जिसका हिमालयी पारिस्थितिकी और मानव बस्तियों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उनके जोखिमों को कम करने के लिये ग्लेशियल झील की निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, जोखिम क्षेत्रीकरण और विकास योजना में जलवायु अनुकूलन को एकीकृत करने की आवश्यकता है। साझा ग्लेशियल प्रणालियों के लिये क्षेत्रीय सहयोग भी महत्त्वपूर्ण है।