70th BPSC Mains

दिवस- 21: सुशासन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये और मूल्यांकन कीजिये कि ई-गवर्नेंस ज़मीनी स्तर पर प्रशासनिक दक्षता एवं पारदर्शिता को कैसे सुदृढ़ कर सकता है? (38 अंक)

26 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • सुशासन का संक्षेप में परिचय दीजिये।
  • सुशासन की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  • चर्चा कीजिये कि ईग्रामस्वराज किस प्रकार सुशासन सुनिश्चित करता है।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

सुशासन लोकतांत्रिक प्रशासन का एक बुनियादी स्तंभ है, जो शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही, दक्षता और भागीदारी सुनिश्चित करता है। यह एक समावेशी, नागरिक-केंद्रित और प्रभावी प्रशासनिक प्रणाली स्थापित करके नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहता है। ज़मीनी स्तर पर, ई-गवर्नेंस पहल सेवा वितरण, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिये डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाकर शासन को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मुख्य भाग:

सुशासन की अवधारणा:

  • अच्छे शासन में कुशल प्रशासन शामिल होता है जो उत्तरदायी, पारदर्शी और जवाबदेह होता है। 
  • यह शासन की वैधता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये नए मूल्यों को शामिल करके उभरती सामाजिक चुनौतियों का समाधान करता है।

सुशासन की प्रमुख विशेषताएँ:

  • भागीदारी- सभी व्यक्तियों को, चाहे उनका लैंगिक या सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान रूप से भाग लेने और अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार सुनिश्चित करना।
  • कानून का शासन- एक निष्पक्ष कानूनी ढाँचा स्थापित करना जो मानव अधिकारों को कायम रखे और कानूनों का निष्पक्ष प्रवर्तन सुनिश्चित करे।
  • पारदर्शिता- सूचना तक पहुँच सुनिश्चित करना, नागरिकों को सरकारी कार्यों की निगरानी करने और अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की अनुमति देना।
  • उत्तरदायित्व- सरकारी संस्थाओं को सार्वजनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में कुशल और त्वरित होना चाहिये
  • आम सहमति-उन्मुख दृष्टिकोण- राष्ट्रीय नीतियों और शासन रणनीतियों पर व्यापक आम सहमति प्राप्त करने के लिये भिन्न हितों की मध्यस्थता।
  • समानता और समावेशिता- सभी के लिये, विशेष रूप से हाशिये पर पड़े समूहों के लिये, शासन में भाग लेने के समान अवसर सुनिश्चित करना।
  • जवाबदेही- सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के निर्णयकर्त्ताओं को जनता एवं संस्थागत हितधारकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिये।

ई-गवर्नेंस और ज़मीनी स्तर पर सुशासन को मज़बूत करने में इसकी भूमिका:

  • ई-गवर्नेंस का अर्थ है डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके शासन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना, सेवा वितरण को प्रभावी बनाना और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
  • ज़मीनी स्तर पर, ई-गवर्नेंस पहलों में शासन को अधिक कुशल बनाने, भ्रष्टाचार को कम करने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने की क्षमता है
    • ईग्राम स्वराज: पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को मज़बूत करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म।
  • पंचायती राज संस्थानों (PRI) में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिये, पंचायती राज मंत्रालय (MOPR) ने विकेंद्रीकृत योजना, वित्तीय रिपोर्टिंग और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की निगरानी में पारदर्शिता बढ़ाने के लिये एक वेब-आधारित पोर्टल ई-ग्रामस्वराज लॉन्च किया।

ज़मीनी स्तर पर शासन को बढ़ाने में ई-ग्राम स्वराज की भूमिका:

  • पंचायतों में डिजिटल शासन को मज़बूत करना
    • ई-ग्रामस्वराज ग्राम पंचायतों में प्रशासन और शासन गतिविधियों की निगरानी को सुव्यवस्थित करने के लिये एक डिजिटल इंटरफेस प्रदान करता है।
    • उदाहरण: डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन सुनिश्चित करता है, जिससे ज़मीनी स्तर पर भूमि विवादों में कमी आती है।
  • ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ (GPDP)
    • यह मंच ग्राम पंचायतों में शुरू की गई विकास परियोजनाओं की प्रभावी योजना, कार्यान्वयन और मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करता है।
  • सरकारी वित्तीय प्रणालियों के साथ एकीकरण
    • ई-ग्रामस्वराज को सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के साथ एकीकृत किया गया है ताकि सामग्री विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को वास्तविक समय पर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिल सके।
    • यह GeM (सरकारी ई-मार्केटप्लेस) से भी जुड़ता है, जिससे स्थानीय स्तर पर निष्पक्ष और पारदर्शी खरीद सुनिश्चित होती है।
    • उदाहरण: बिहार की DBT-आधारित योजनाएँ (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण), जैसे कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, लाभार्थियों को निर्बाध निधि हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करती हैं।
  • स्थानीय शासन कार्यों का एकीकरण
    • यह पोर्टल ग्राम पंचायतों की योजना, लेखा और निगरानी कार्यों के लिये एकल मंच के रूप में कार्य करता है तथा ग्रामीण शासन को सुव्यवस्थित करता है।
    • उदाहरण: बिहार में जीविका कार्यक्रम, एक ग्रामीण आजीविका योजना, वित्तीय लेन-देन के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है, जिससे फंड वितरण में लीकेज कम हो जाती है।
  • पंचायत खातों का ऑनलाइन ऑडिट
    • लेखापरीक्षा मॉड्यूल पंचायत खातों की वास्तविक समय पर निगरानी और लेखापरीक्षा सुनिश्चित करता है, जिससे भ्रष्टाचार कम होता है तथा राजकोषीय जवाबदेही में सुधार होता है
    • उदाहरण: बिहार और झारखंड में शुरू की गई ई-पंचायत ऑडिट प्रणाली वित्तीय रिकॉर्ड पर नज़र रखने एवं विसंगतियों को दूर करने में मदद करती है।

ज़मीनी स्तर पर सुशासन को समर्थन देने वाली अन्य ई-गवर्नेंस पहलें:

  • राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) – इसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं की संस्थागत और वित्तीय क्षमता को मज़बूत करना है।
  • नागरिक चार्टर अभियान - सरकारी सेवाओं को अधिक सुलभ बनाकर नागरिक भागीदारी और जवाबदेही को प्रोत्साहित करता है।
  • स्वामित्व योजना - ग्रामीण भूमि मानचित्रण के लिये ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है, ग्रामीणों के लिये भूमि स्वामित्व अधिकार सुनिश्चित करती है और भूमि विवादों को कम करती है।
  • बिहार की ई-गवर्नेंस पहल - सार्वजनिक सेवा वितरण और पारदर्शिता में सुधार लाने के उद्देश्य से, बिहार ने निम्नलिखित पहल शुरू की हैं:
    • ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना - ज़िला स्तर पर प्रमाण-पत्र, लाइसेंस और सार्वजनिक सेवाओं के ऑनलाइन वितरण की सुविधा प्रदान करती है।
    • ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली - यह सुनिश्चित करके सार्वजनिक जवाबदेही को मज़बूत करती है कि शिकायतों का डिजिटल रूप से समाधान किया जाए।
    • भू-समाधान पोर्टल - भूमि विवादों को कुशलतापूर्वक हल करने के लिये एक डिजिटल मंच, जो भूमि संबंधी शिकायतों का निष्पक्ष और त्वरित समाधान सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष:

समावेशी विकास और प्रभावी प्रशासन के लिये सुशासन आवश्यक है, खासकर ज़मीनी स्तर पर। ई-गवर्नेंस पारदर्शिता, जवाबदेही और भागीदारीपूर्ण शासन को मज़बूत करने में उत्प्रेरक का काम करता है। ई-ग्राम स्वराज, ई-डिस्ट्रिक्ट, भू-समाधान और ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली जैसी पहल बेहतर सेवा वितरण और सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करके ग्रामीण शासन को बदल रही हैं, जिससे एक उत्तरदायी एवं डिजिटल रूप से सशक्त भारत को बढ़ावा मिल रहा है