70th BPSC Mains

दिवस- 22: ई-गवर्नेंस केवल नई तकनीकों को अपनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सूचना के 'उपयोग मूल्य' की महत्ता को भी रेखांकित करता है। इस संदर्भ में चर्चा कीजिये। (38 अंक)

27 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • ई-गवर्नेंस को परिभाषित कीजिये।
  • ई-गवर्नेंस किस प्रकार प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करता है, इस पर प्रकाश डालिये।
  • ई-गवर्नेंस में सूचना के “उपयोग मूल्य” के महत्त्वपूर्ण महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय: 

ई-गवर्नेंस का तात्पर्य सरकारी प्रक्रियाओं में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के अनुप्रयोग से है, जिससे सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार, पारदर्शिता को बढ़ावा, नागरिक भागीदारी को सक्षम बनाना एवं प्रशासन में दक्षता बढ़ाना है। "डिजिटल युग में सुशासन का एक महत्त्वपूर्ण आधार होने के नाते, इसका लक्ष्य केवल सेवाओं का डिजिटलीकरण नहीं है, बल्कि शासन की अवधारणा और उसके क्रियान्वयन के तरीके में व्यापक परिवर्तन लाना भी है।"

मुख्य भाग:

ई-गवर्नेंस प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करता है

  • तकनीकी नवाचार: ई-गवर्नेंस तकनीकी नवाचारों की एक विस्तृत शृंखला द्वारा संचालित है जो शासन को तेज़, स्मार्ट और अधिक समावेशी बनाता है। कुछ प्रमुख अनुप्रयोगों में शामिल हैं:
  • डिजिटल पहचान और सेवा पहुँच: आधार, दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक डिजिटल पहचान कार्यक्रम है, जो DBT, राशन वितरण और पेंशन वितरण जैसी योजनाओं के लिये प्रमाणीकरण सक्षम बनाता है।
    • बिहार में, खाद्यान्न वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचे, यह सुनिश्चित करने के लिये आधार को E-PDS प्रणाली में एकीकृत किया गया है।
  • एकीकृत सेवा वितरण प्लेटफॉर्म: केंद्र सरकार का उमंग ऐप और डिजिलॉकर सैकड़ों सेवाओं तक पहुँच को समेकित करता है।
    • बिहार में RTPS (लोक सेवाओं का अधिकार) पोर्टल जाति, आय और निवास प्रमाण-पत्र जैसी आवश्यक सेवाओं की समयबद्ध ऑनलाइन डिलीवरी प्रदान करता है।
  • डिजिटल वित्तीय समावेशन: भीम-UPI और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) जैसे प्लेटफॉर्म पारदर्शी, नकदी रहित हस्तांतरण को सक्षम बनाते हैं।
  • स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारतनेट परियोजना का लक्ष्य 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना है।
    • बिहार की बी-स्वान परियोजना राज्य मुख्यालय से लेकर प्रखंडों तक आधारभूत कनेक्टिविटी प्रदान करती है, जिससे अंतिम छोर तक ई-गवर्नेंस की सुविधा मिलती है।

सूचना के "उपयोग मूल्य" का महत्त्व:

  • सूचना का "उपयोग मूल्य": यद्यपि प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचे का निर्माण करती है, लेकिन ई-गवर्नेंस की वास्तविक ताकत नागरिकों की सेवा करने तथा निर्णय लेने के लिये सूचना के प्रभावी उपयोग और अनुप्रयोग में निहित है। इसे सूचना का "उपयोग मूल्य" कहा जाता है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: RTI ऑनलाइन पोर्टल नागरिकों को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी तक पहुँच प्रदान करता है।
    • बिहार में, लोक शिकायत निवारण अधिकार प्रणाली नागरिकों को समयबद्ध समाधान की गारंटी के साथ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा देती है।
  • सूचित निर्णय-निर्माण: GST नेटवर्क (GSTN) नीति-निर्माण में सहायता के लिये विशाल मात्रा में कर डेटा का प्रसंस्करण करता है।
  • समावेशी सेवा वितरण: E-NAM मंच किसानों को एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाज़ार तक पहुँच प्रदान करता है।
    • बिहार किसानों के लिये समय पर लाभ सुनिश्चित करने के लिये बीज वितरण, कृषि इनपुट सब्सिडी और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का समर्थन करता है।
  • नागरिक भागीदारी और सहभागिता: MyGov प्लेटफॉर्म नागरिकों को विचार और प्रतिक्रिया देने की अनुमति देकर सहभागी शासन को बढ़ावा देता है
    • बिहार में, RTPS काउंटर और मोबाइल एप्लीकेशन भी उपयोगकर्त्ता फीडबैक एकत्र करते हैं, जिससे सेवा वितरण में सुधार संभव हो पाता है।
  • कुशल सूचना प्रबंधन: COVID-19 महामारी के दौरान CoWIN प्लेटफॉर्म ने दिखाया कि कैसे वास्तविक समय का डेटा देशव्यापी वैक्सीन वितरण का समर्थन कर सकता है
    • बिहार का ई-नगरपालिका मंच संपत्ति कर भुगतान और जन्म/मृत्यु पंजीकरण जैसी शहरी सेवाओं को डिजिटल बनाता है, जिससे डेटा अधिक सुलभ एवं उपयोगी हो जाता है।

निष्कर्ष:

जबकि प्रौद्योगिकी ई-गवर्नेंस के लिये उपकरण और प्लेटफॉर्म प्रदान करती है, इसका वास्तविक प्रभाव सूचना के रणनीतिक और सार्थक उपयोग में निहित है। बिहार का RTPS पोर्टल, E-PDS और भूमि रिकॉर्ड प्लेटफॉर्म (बिहार भूमि) दर्शाता है कि सूचना का "उपयोग मूल्य" नागरिकों को कैसे सशक्त बना सकता है, जवाबदेही बढ़ा सकता है और सेवा वितरण को सुव्यवस्थित कर सकता है। अंततः ई-गवर्नेंस को केवल एक डिजिटल परिवर्तन के रूप में नहीं, बल्कि एक सूचना क्रांति के रूप में देखा जाना चाहिये- जहाँ डेटा न केवल एकत्र किया जाता है बल्कि शासन को अधिक पारदर्शी, कुशल, समावेशी और उत्तरदायी बनाने के लिये सक्रिय रूप से उपयोग किया जाता है