दिवस- 28: बिहार कृषि-निवेश प्रोत्साहन नीति, 2020 के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिये। साथ ही, यह नीति राज्य में कृषि निवेश और मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देने में कैसे सहायक है, चर्चा कीजिये। (38 अंक)
03 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | भूगोल और इकॉनमी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- बिहार कृषि-निवेश प्रोत्साहन नीति, 2020 पर संक्षेप में चर्चा कीजिये।
- बिहार कृषि-निवेश प्रोत्साहन नीति, 2020 के उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
बिहार कृषि-निवेश प्रोत्साहन नीति (BAIPP), 2020 का उद्देश्य कृषि-आधारित उद्यमिता, मूल्य संवर्द्धन और कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना है। यह लक्षित प्रोत्साहनों के माध्यम से निजी निवेश और समावेशी ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है। बिहार की लगभग 80% आबादी कृषि में लगी हुई है, जो इसे भारत में एक प्रमुख कृषि-राज्य बनाता है।
मुख्य भाग:
- प्रमुख क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना:
- नीति सात प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है: मखाना, शहद, फल और सब्ज़ियाँ, मक्का, बीज, औषधीय एवं सुगंधित पौधे तथा चाय।
- इन क्षेत्रों की पहचान बिहार के कृषि-जलवायु संदर्भ में उनके तुलनात्मक लाभ और अप्रयुक्त प्रसंस्करण क्षमता के आधार पर की गई थी।
- निवेश सहायता के लिये पूंजी सब्सिडी का प्रावधान:
- पात्र निवेशकों को परियोजना लागत पर 15% पूंजी सब्सिडी मिलती है, जबकि किसान उत्पादक कंपनियों (FPC) को 25% सब्सिडी मिलती है।
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और EBC उद्यमियों को 5% अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की जाती है तथा महिलाओं, दिव्यांगों एवं अन्य कमज़ोर समूहों के लिये 2% अधिक सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- समावेशी उद्यमिता मॉडल को प्रोत्साहन:
- इकाइयाँ स्वामित्व, साझेदारी, LLP, कंपनी या किसान उत्पादक कंपनी प्रारूपों के तहत स्थापित की जा सकती हैं।
- यह अनुकूलन व्यक्तिगत किसानों, ग्रामीण उद्यमियों और कृषक समूहों सहित व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करता है।
- मौजूदा इकाइयों के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिये समर्थन:
- मौजूदा प्रसंस्करण इकाइयाँ पात्र हैं यदि आधुनिकीकरण या विविधीकरण के माध्यम से क्षमता में कम-से-कम 25% की वृद्धि की गई हो।
- इससे बिहार के कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।
- परिभाषित निवेश सीमा और ऋण लिंकेज:
- न्यूनतम पात्र परियोजना लागत ₹25 लाख तथा अधिकतम ₹5 करोड़ है।
- नीति में यह अनिवार्य किया गया है कि परियोजना लागत का कम-से-कम 20% किसी मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थान से सावधि ऋण के माध्यम से वित्तपोषित किया जाना चाहिये, ताकि ऋण अनुशासन और व्यवहार्यता सुनिश्चित हो सके।
- अन्य औद्योगिक नीतियों के साथ गैर-अतिव्यापी:
- हालाँकि निवेशक BAIPP और बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति (BIIPP) 2016 दोनों के तहत लाभ उठा सकते हैं, लेकिन राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने के लिये ओवरलैपिंग प्रोत्साहन की अनुमति नहीं है।
- संस्थागत समर्थन और कार्यान्वयन:
- बिहार बागवानी विकास सोसायटी (BHDS) नीति कार्यान्वयन, निगरानी और संवितरण के लिये नोडल एजेंसी है।
- यह परियोजना सुविधा, तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करता है तथा ज़मीनी स्तर पर पारदर्शी नीति क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है।
- अन्य सब्सिडी योजनाओं के साथ संबंध:
- निवेशक विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत अनुदान, रियायती ऋण और अन्य सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं, जिसमें अधिकतम लाभ की एक समग्र सीमा होती है।
निष्कर्ष:
BAIPP 2020 निजी निवेश को उत्प्रेरित करने, कृषि-उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और प्रमुख क्षेत्रों में मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिये एक व्यापक ढाँचा प्रदान करता है। वित्तीय प्रोत्साहन, संस्थागत सुविधा और समावेशी लक्ष्यीकरण को मिलाकर, नीति से ग्रामीण आय में वृद्धि, कृषि-अपशिष्ट को कम करने तथा बिहार को कृषि-आधारित औद्योगिक विकास के उभरते केंद्र के रूप में स्थापित करने की उम्मीद है।