10 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | साइंस और टेक्नोलॉजी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- कृत्रिम बुद्धि का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारत के लिये एक व्यापक AI नियामक ढाँचे की आवश्यकता पर ध्यान देना।
- ढाँचे के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये उठाए जाने वाले कदमों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मशीनों को ऐसे कार्य करने में सक्षम बनाता है, जिनके लिये आमतौर पर मानवीय बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है, जैसे सीखना, निर्णय लेना और समस्या-समाधान। AI गवर्नेंस फ्रेमवर्क में वैश्विक प्रगति के साथ, भारत, एक तेज़ी से डिजिटल होती अर्थव्यवस्था के रूप में, एक व्यापक AI विनियामक ढाँचा स्थापित करने के लिये एक अनिवार्य अनिवार्यता का सामना कर रहा है जो इसके लोगों, अर्थव्यवस्था और नैतिक मूल्यों की रक्षा करता है।
मुख्य भाग:
भारत में एक व्यापक AI नियामक ढाँचे की आवश्यकता:
- नैतिक और सामाजिक प्रभाव को संबोधित करना: AI प्रणालियाँ भारत में शासन, स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा और रोज़मर्रा के निर्णय लेने को तेज़ी से प्रभावित कर रही हैं।
- एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह और भेदभाव से निपटना: यदि AI मॉडलों को पारदर्शी तरीके से प्रशिक्षित या विनियमित नहीं किया जाता है, तो वे अनजाने में जाति, लैंगिक या धार्मिक पूर्वाग्रहों को बढ़ावा दे सकते हैं।
- डेटा और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा: भारत को AI अनुप्रयोगों में व्यक्तिगत डेटा, सहमति और एल्गोरिथम जवाबदेही के लिये मज़बूत सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिये।
- सुरक्षा मानकों के साथ नवाचार को संतुलित करना: विनियमन ऐसा होना चाहिये जो सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, बिना नवाचार में बाधा डाले, उत्तरदायी और सतत् AI विकास को प्रोत्साहित करे।
- श्रम बाज़ार में बदलाव का प्रबंधन: AI नौकरियों को स्वचालित करेगा; इसलिये, विनियमों को कमज़ोर क्षेत्रों में पुनः कौशल और कार्यबल परिवर्तन को संबोधित करना होगा।
आधार के रूप में सरकारी पहल:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI): वर्ष 2023 में भारत GPAI की अध्यक्षता करेगा, जिसमें ज़िम्मेदार और न्यायसंगत AI विकास सुनिश्चित करने के लिये एक व्यापक AI नियामक ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया जाएगा।
- राष्ट्रीय AI रणनीति: भारत का पहला विज़न दस्तावेज़, सभी क्षेत्रों में समावेशी, सुरक्षित और नवाचार को बढ़ावा देने वाले AI के परिनियोजन की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
- सबके लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता की पहल: भारतीय नागरिकों के बीच व्यापक AI जागरूकता और डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने के लिये शुरू की गई।
- DEPA (डेटा सशक्तीकरण और संरक्षण वास्तुकला): इसका उद्देश्य सुरक्षित साझाकरण को बढ़ावा देते हुए व्यक्तियों को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय AI मिशन और पोर्टल: संस्थानों और स्टार्टअप्स में AI में अनुसंधान, नवाचार एवं सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
AI फ्रेमवर्क कार्यान्वयन के लिये रणनीतिक उपाय:
- हितधारक सहभागिता: समावेशी रूपरेखा तैयार करने के लिये परामर्श में उद्योग, शिक्षा, स्टार्टअप, नागरिक समाज और नागरिकों को शामिल करें।
- समर्पित AI विधान और नियामक निकाय: नियामक मानकों की निगरानी, क्रियान्वयन और उन्नयन के लिये एक सशक्त प्राधिकरण से युक्त एक समर्पित AI कानून की स्थापना।
- डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा मानदंड: AI प्रणालियों को दुरुपयोग, निगरानी या उल्लंघन से सुरक्षित करने के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित करने चाहिये।
- AI शासन में क्षमता निर्माण: नियामकों, पेशेवरों और नीति-निर्माताओं के लिये AI नीति साक्षरता एवं कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करना चाहिये।
- अंतर्राष्ट्रीय संरेखण: भारत के AI मानकों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करने के लिये OECD, यूरोपीय संघ और G20 ढाँचे के साथ सहयोग करना।
निष्कर्ष:
भारत को एक ऐसा AI विनियामक ढाँचा विकसित करना चाहिये जो संदर्भ-संवेदनशील, नवाचार-अनुकूल और अधिकार-सुरक्षात्मक हो। रणनीतिक दूरदर्शिता, हितधारक भागीदारी और मज़बूत संस्थानों के साथ, भारत नैतिक एवं समावेशी AI शासन में खुद को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि AI न्यायसंगत विकास के लिये एक शक्ति के रूप में कार्य करता है।