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07 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
साइंस और टेक्नोलॉजी
दिवस- 31: नैनो प्रौद्योगिकी का कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में क्या प्रभाव है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ इसके विभिन्न अनुप्रयोगों की चर्चा कीजिये। (38 अंक)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- नैनो प्रौद्योगिकी और इसकी अंतर-क्षेत्रीय प्रासंगिकता की संक्षिप्त परिभाषा से शुरुआत कीजिये।
- मुख्य भाग में, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका को विशिष्ट एवं वास्तविक दुनिया के उदाहरणों के साथ समझाइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
नैनो प्रौद्योगिकी, नैनोस्केल (1-100 NM) पर पदार्थ में हेरफेर करने का विज्ञान, व्यापक अनुप्रयोगों के साथ एक विघटनकारी तकनीक के रूप में उभरा है। यह कृषि, खाद्य प्रणालियों, स्वास्थ्य सेवा और पर्यावरण प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में दक्षता, स्थिरता एवं सटीकता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मुख्य भाग:
कृषि में अनुप्रयोग:
- नैनो-उर्वरक और नैनो-कीटनाशक पोषक तत्त्वों के अवशोषण में सुधार करते हैं तथा पर्यावरण में रासायनिक अपवाह को कम करते हैं।
- उदाहरण: ICAR और इफको ने नैनो यूरिया विकसित किया है, जो नाइट्रोजन-उपयोग दक्षता को बढ़ाता है और मृदा की विषाक्तता को कम करता है।
- नैनोसेंसर्स सटीक खेती के लिये वास्तविक समय में मृदा की नमी, पोषक तत्त्वों के स्तर और कीटों का पता लगाने में मदद करते हैं।
- इससे डेटा-संचालित निर्णय लेने, इनपुट अपव्यय को कम करने और फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है।
- कीटनाशकों के नैनो फॉर्मूलेशन नियंत्रित उत्सर्जन और लक्षित वितरण प्रदान करते हैं, जिससे अनुप्रयोग की आवृत्ति कम हो जाती है।
- उदाहरण: CSIR हानिकारक अवशेषों को न्यूनतम करने और प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिये नैनो-कीटनाशक फॉर्मूलेशन पर काम कर रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण में अनुप्रयोग:
- नैनो कोटिंग और नैनो पैकेजिंग तकनीकों के माध्यम से खाद्य उत्पादों की शेल्फ लाइफ, ताज़गी बनाए रखने की क्षमता एवं संदूषण से सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित की जाती है।
- उदाहरण: वाटर फिल्टर्स फिल्टर में नैनो-सिल्वर का उपयोग करता है, जिसका उपयोग खाद्य पैकेजिंग में भी खराबी को कम करने के लिये किया जाता है।
- खाद्य पैकेजिंग में नैनोसेंसर खाद्य पदार्थों की खराबी, रोगाणुओं या गैस लीक का पता लगा सकते हैं, जिससे वास्तविक समय पर खाद्य सुरक्षा की निगरानी सुनिश्चित हो सकती है।
- नैनोकैप्सुलेशन बेहतर जैवउपलब्धता के साथ न्यूट्रास्युटिकल्स और कार्यात्मक खाद्य पदार्थों के वितरण में मदद करता है।
- उदाहरण: विभिन्न वैश्विक कंपनियाँ स्वास्थ्यवर्द्धक पेय पदार्थों में ओमेगा-3 फैटी एसिड को सम्मिलित करने के लिये नैनो तकनीक का उपयोग करती हैं।
चिकित्सा में अनुप्रयोग:
- लक्षित दवा वितरण प्रणालियाँ संक्रमित या कैंसरग्रस्त कोशिकाओं तक सीधे दवा पहुँचाने के लिये नैनोकैरियर्स का उपयोग करती हैं, जिससे दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं।
- उदाहरण: लिपोसोमल डोक्सोरूबिसिन (डोक्सिल) एक नैनो-दवा है जिसका उपयोग कैंसर चिकित्सा में नियंत्रित रिलीज़ के लिये किया जाता है।
- नैनो-डायग्नोस्टिक्स आणविक स्तर पर बायोमार्करों का उपयोग करके कैंसर या हृदय संबंधी समस्याओं जैसी बीमारियों का शीघ्र पता लगाने की अनुमति देता है।
- उदाहरण: भारत में त्वरित परिणाम के लिये कोविड-19 का पता लगाने वाली किटों में नैनो गोल्ड कणों का उपयोग किया जाता है।
- उदाहरण: भारत में त्वरित परिणाम के लिये कोविड-19 का पता लगाने वाली किटों में नैनो गोल्ड कणों का उपयोग किया जाता है।
- ऊतक इंजीनियरिंग और पुनर्योजी चिकित्सा को कोशिका वृद्धि तथा उपचार के लिये उपयोग किये जाने वाले नैनोमटेरियल से लाभ मिलता है।
- उदाहरण: CSIR-NCL ने ऐसे नैनोफाइबर विकसित किये हैं जिनका उपयोग घावों के उपचार और त्वचा के पुनर्जनन की प्रक्रिया को तीव्र करने में किया जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण में अनुप्रयोग:
- नैनो-आयरन और कार्बन नैनोट्यूब जैसे नैनोमटेरियल का उपयोग मृदा एवं जल से प्रदूषक हटाने के लिये किया जाता है।
- उदाहरण: नैनो ज़ीरो वैलेंट आयरन (nZVI) का उपयोग औद्योगिक क्षेत्रों में भूजल परिशोधन के लिये किया जाता है।
- जल शोधन संयंत्रों में नैनोफिल्ट्रेशन झिल्ली भारी धातुओं, बैक्टीरिया और कार्बनिक प्रदूषकों को कुशलतापूर्वक हटा देती है।
- उदाहरण: पश्चिम बंगाल के आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग करके आर्सेनिक हटाने वाले फिल्टर लगाए जा रहे हैं।
- नैनोसेंसर वायु और जल की गुणवत्ता की सटीक निगरानी को सक्षम बनाते हैं, क्योंकि ये NO₂, CO तथा कीटनाशकों जैसे प्रदूषकों की अल्प मात्रा का भी प्रभावी रूप से पता लगाने में सक्षम होते हैं।
निष्कर्ष:
नैनो प्रौद्योगिकी में कृषि, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में चुनौतियों का समाधान करने की अपार संभावनाएँ हैं। ज़िम्मेदार विनियमन और नवाचार के साथ, यह भारत एवं उसके बाहर सतत् तथा समावेशी विकास के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में काम कर सकता है।