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70th BPSC Mains

  • 09 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 साइंस और टेक्नोलॉजी

    दिवस- 33: भारत में 5G तकनीक डिजिटल परिवर्तन का एक नया युग प्रारंभ करने की क्षमता रखती है। 5G की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये तथा विशेष रूप से बिहार जैसे राज्यों में इसके प्रभावी कार्यान्वयन में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। (38 अंक)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • 5G तकनीक को संक्षेप में समझाइये।
    • इसके क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
    • 5G प्रौद्योगिकी से जुड़े मुद्दों के निवारण हेतु आगे का रास्ता प्रदान करना।

    परिचय:

    मोबाइल संचार की पाँचवीं पीढ़ी 5G तकनीक, पिछली पीढ़ियों से एक छलांग आगे है, जो उच्च गति, कम विलंबता और बड़े पैमाने पर डिवाइस कनेक्टिविटी प्रदान करती है। इसमें भारत के डिजिटल परिदृश्य को बदलने की क्षमता है, लेकिन इसका प्रभावी कार्यान्वयन अभी भी बुनियादी ढाँचे की कमज़ोरियों और क्षेत्रीय असमानताओं जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, विशेषकर बिहार जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में।

    मुख्य भाग:

    5G प्रौद्योगिकी की मुख्य विशेषताएँ:

    • हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस: 5G 20 Gbps तक डेटा स्पीड प्रदान करता है, जबकि 4G में यह 1 Gbps है, जिससे वास्तविक समय की डिजिटल सेवाएँ बेहतर होती हैं।
    • मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम उपयोग: यह 30-300 गीगाहर्ट्ज आवृत्तियों पर संचालित होता है, जिससे न्यूनतम सिग्नल हस्तक्षेप के साथ बड़े डेटा स्थानांतरण को सक्षम किया जा सकता है।
    • तीन स्पेक्ट्रम बैंड: इसमें लो बैंड (व्यापक कवरेज, कम गति), मिड बैंड (मध्यम गति और कवरेज) और हाई बैंड (अत्यधिक तेज़ गति, सीमित रेंज) शामिल हैं।
    • अगली पीढ़ी की तकनीक का समर्थन करता है: 5G AI, IoT, AR/VR, स्मार्ट शहरों, स्वायत्त वाहनों और दूरस्थ रोबोट सर्जरी के साथ एकीकरण को सक्षम बनाता है।
    • अत्यंत कम विलंबता: 1 मिलीसेकंड जितनी कम प्रतिक्रिया समय के साथ, यह स्वास्थ्य सेवा और रक्षा में मिशन-महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोगों को सुविधाजनक बनाता है।

    कार्यान्वयन में चुनौतियाँ, विशेषकर बिहार जैसे राज्यों में

    • कमजोर डिजिटल अवसंरचना: भारत में वर्तमान में केवल 30% टेलीकॉम टावर ही फाइबर से जुड़े हुए हैं और डिजिटल कनेक्टिविटी के संदर्भ में बिहार की स्थिति इससे भी अधिक पिछड़ी हुई है।
    • पूंजीगत बाधाएँ: दूरसंचार ऑपरेटरों को वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर आर्थिक रूप से कमज़ोर राज्यों में इसकी वजह से रोलआउट में देरी हो रही है।
    • उपभोक्ताओं के लिये उच्च लागत: 5G-तैयार उपकरणों में अपग्रेड करना महँगा है, जिससे ग्रामीण उपभोक्ता प्रभावित होते हैं और डिजिटल विभाजन गहरा होता है।
    • पिछड़े क्षेत्रों में निजी निवेश कम: निजी दूरसंचार कंपनियाँ मेट्रो और टियर-1 शहरों को प्राथमिकता देती हैं, जिससे बिहार में पहुँच में देरी एवं कवरेज सीमित हो जाता है।
    • भौगोलिक और संरचनात्मक सीमाएँ: बिहार में खराब विद्युत आपूर्ति और बार-बार आने वाली बाढ़ 5G बुनियादी ढाँचे की तैनाती में बाधा डालती हैं।
    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: डिवाइस कनेक्टिविटी बढ़ने से DDoS और डेटा इंटरसेप्शन जैसे साइबर हमलों का खतरा बढ़ जाता है।
    • स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण चुनौतियाँ: उच्च स्पेक्ट्रम लागत निवेश को रोकती है, विशेष रूप से कम आय वाले राज्यों में जहाँ राजस्व की संभावनाएँ कम हैं।

    निष्कर्ष:

    5G समावेशी डिजिटल विकास की कुंजी है, लेकिन इसकी सफलता क्षेत्रीय और आर्थिक विषमताओं को पाटने पर निर्भर करती है। बिहार जैसे राज्यों के लिये, फाइबर नेटवर्क का विस्तार करने, डिवाइस की लागत कम करने और निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है। तभी भारत समान विकास और डिजिटल सशक्तीकरण के लिये एक उपकरण के रूप में 5G की वास्तविक क्षमता को अनलॉक कर सकता है।

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