ध्यान दें:

70th BPSC Mains

नि:शुल्क साप्ताहिक निबंध लेखन
  • 23 Mar 2025 निबंध लेखन निबंध

    दिवस- 14: लैंगिक समानता की लड़ाई में भागीदारी अभी भी असमान बनी हुई है। (750 शब्द)

    परिचय:

    आप निम्नलिखित उपाख्यानों/उदाहरणों से शुरुआत कर सकते हैं:

    • जैसिंडा आर्डर्न (न्यूज़ीलैंड)
      • प्रधानमंत्री के रूप में, अर्डर्न को उनके सहानुभूतिपूर्ण और निर्णायक नेतृत्व के लिये व्यापक रूप से प्रशंसा मिली, विशेष रूप से क्राइस्टचर्च हमलों तथा COVID-19 महामारी से निपटने में।
      • अपने नेतृत्व के बावजूद, उन्हें मीडिया और राजनीति में काफी लैंगिकवादी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें सत्ता में महिलाओं के साथ असमान व्यवहार को उजागर किया गया।
    • निर्भया केस और भारत में महिला सुरक्षा
      • वर्ष 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के कारण प्रमुख कानूनी सुधार (आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013) हुए।
      • इसके बावजूद, महिलाओं के खिलाफ अपराध चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर बने हुए हैं, जिससे कई महिलाएँ सार्वजनिक भागीदारी और नेतृत्व की भूमिका निभाने से हतोत्साहित हो रही हैं।
      • महिलाओं की सुरक्षा केवल कानून के माध्यम से सुनिश्चित नहीं की जा सकती; इसके लिये ज़मीनी स्तर पर सांस्कृतिक और व्यवहारिक बदलाव की आवश्यकता है।
    • मलाला यूसुफजई का शिक्षा के लिये संघर्ष
      • पाकिस्तानी कार्यकर्त्ता मलाला यूसुफजई को लड़कियों की शिक्षा का समर्थन करने के कारण वर्ष 2012 में तालिबान ने गोली मार दी थी।
      • आज भी लाखों लड़कियों को सामाजिक मानदंडों के कारण शिक्षा प्राप्त करने में प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।
      • इन उदाहरणों के माध्यम से यह विश्लेषण किया जा रहा है कि प्रगति के बावजूद, असमान भागीदारी, संरचनात्मक बाधाएँ और सामाजिक मानदंड लैंगिक समानता को अब भी दूर की मंज़िल बनाए हुए हैं।

    मुख्य भाग:

    • सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में लैंगिक समानता तथा इसके महत्त्व को परिभाषित कीजिये।
    • लैंगिक समानता प्राप्त करने में हुई ऐतिहासिक प्रगति पर प्रकाश डालिये।
    • असमान भागीदारी को समझने पर चर्चा कीजिये:
      • समझाइये कि किस प्रकार लैंगिक समानता के प्रयासों में अक्सर समाज के विभिन्न वर्गों की असमान भागीदारी देखने को मिलती है।
      • अंतःक्रियाशीलता पर चर्चा कीजिये - किस प्रकार वर्ग, जाति, नस्ल और आर्थिक स्थिति जैसे कारक भागीदारी के विभिन्न स्तरों का निर्माण करते हैं।
      • लैंगिक समानता आंदोलनों में महिलाओं, पुरुषों, सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • असमान भागीदारी में योगदान देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये
      • सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड - पितृसत्तात्मक मानसिकता, रूढ़िवादिता और लैंगिक भूमिकाएँ।
      • आर्थिक बाधाएँ - वेतन में अंतर, अवैतनिक देखभाल कार्य और वित्तीय स्वतंत्रता की कमी।
      • राजनीतिक प्रतिनिधित्व - शासन और निर्णय लेने में महिलाओं की कम भागीदारी।
      • शिक्षा और जागरूकता - शिक्षा और लैंगिक संवेदीकरण कार्यक्रमों तक सीमित पहुँच।
      • कानूनी और नीतिगत अंतराल - लैंगिक आधारित कानूनों और अधिकारों में कार्यान्वयन चुनौतियाँ।
    • समान भागीदारी प्राप्त करने में चुनौतियों का उल्लेख कीजिये
      • परिवर्तन का प्रतिरोध - गहरी जड़ें जमाए बैठी पारंपरिक मान्यताएँ और समाज के कुछ वर्गों का प्रतिरोध।
      • पुरुष भागीदारी का अभाव - लैंगिक समानता को अक्सर महिलाओं का मुद्दा माना जाता है, जिसमें पुरुषों की भागीदारी सीमित होती है।
      • कार्यस्थल पर भेदभाव - काँच की छत, नेतृत्व की भूमिकाओं की कमी और कार्यस्थल पर उत्पीड़न।
      • हिंसा और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ - लैंगिक आधारित हिंसा सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भागीदारी को हतोत्साहित करती है।
    • अधिक समावेशी लैंगिक समानता आंदोलन के लिये समाधान प्रदान करना
      • शिक्षा और जागरूकता – कम उम्र से ही लैंगिक-संवेदनशील शिक्षा।
      • आर्थिक सशक्तीकरण - समान वेतन, वित्तीय साक्षरता और उद्यमशीलता के अवसर।
      • कानूनी और नीतिगत हस्तक्षेप – लैंगिक-संवेदनशील कानूनों को मज़बूत करना और उनका कार्यान्वयन।
      • समावेशी आंदोलन - पुरुषों, LGBTQ+ व्यक्तियों और हाशिये पर पड़े समुदायों को शामिल करना।
      • मीडिया और प्रतिनिधित्व - फिल्मों, पुस्तकों और डिजिटल प्लेटफॉर्मों में सकारात्मक लैंगिक भूमिकाओं को बढ़ावा देना।
    • तर्क को मज़बूत करने के लिये सांख्यिकीय डेटा का उपयोग कीजिये
      • लैंगिक वेतन अंतर: भारत में महिलाएँ समान कार्य के लिये पुरुषों की तुलना में 28% कम वेतन पाती हैं (ऑक्सफैम, 2023)।
      • राजनीतिक प्रतिनिधित्व: भारतीय संसद (लोकसभा, 2024) में महिलाओं के पास केवल 15% सीटें हैं।
      • कार्यबल भागीदारी: भारत में, वर्ष 2023 तक महिलाओं में श्रम बल भागीदारी दर 31.2% और पुरुषों में 76.8% है।
      • महिलाओं के विरुद्ध हिंसा: भारत में वर्ष 2022 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के 4 लाख से अधिक मामले दर्ज होंगे (NCRB, 2023)।
      • STEM प्रतिनिधित्व: जबकि भारत में महिला STEM स्नातकों का अनुपात उच्च (43%) है, भारत में केवल 14% वैज्ञानिक, इंजीनियर और प्रौद्योगिकीविद् महिलाएँ हैं, वर्ष 2020 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार, जो STEM कार्यबल भागीदारी में एक महत्त्वपूर्ण लैंगिक अंतर को उजागर करता है।

    निष्कर्ष

    • लैंगिक समानता आंदोलनों में असमान भागीदारी पर प्रमुख तर्कों का सारांश दीजिये।
    • सभी लिंगों, संस्थाओं और नीति-निर्माताओं को शामिल करते हुए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दीजिये।
    • कार्रवाई के साथ समाप्त कीजिये: सच्ची लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिये समाज में सभी की समान भागीदारी आवश्यक है।

    संबंधित उद्धरण:

    • "लैंगिक समानता महिलाओं का मुद्दा नहीं है, यह एक मानवीय मुद्दा है। यह हम सभी को प्रभावित करता है।" - एम्मा वॉटसन
    • "किसी भी समाज का मापदंड यह है कि वह अपनी महिलाओं और लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार करता है।" - मिशेल ओबामा
    • "नारीवाद का मतलब महिलाओं को मज़बूत बनाना नहीं है। महिलाएँ पहले से ही मज़बूत हैं। इसका मतलब है दुनिया के उस ताकत को देखने के तरीके को बदलना।" - जी.डी. एंडरसन
    • "लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिये महिलाओं और पुरुषों, लड़कियों एवं लड़कों की भागीदारी की आवश्यकता है। यह हर किसी की ज़िम्मेदारी है।" - बान की मून
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2