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70th BPSC Mains

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  • 30 Mar 2025 निबंध लेखन निबंध

    दिवस- 21: पृथ्वी: संपूर्ण मानवता की साझा धरोहर। (700 शब्द)

    परिचय: 

    किसी विचारोत्तेजक पंक्ति या उद्धरण से शुरुआत कीजिये:

    • "अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने पर वह एक सीमाहीन, सुंदर नीला ग्रह नज़र आता है, जो हमें यह अहसास कराता है कि हम सभी एकजुट और परस्पर जुड़े हुए हैं।"
    • केंद्रीय विषयवस्तु का परिचय दीजिये: पृथ्वी एक साझा संसाधन है, समस्त मानवता और जीवित प्राणियों की साझी विरासत है।
    • इस बात पर ज़ोर दीजिये कि यह विचार किस प्रकार राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विभाजनों से परे है।
    • हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारियों और साझा चुनौतियों पर व्यापक संवाद को प्रोत्साहित करने हेतु एक अनुकूल वातावरण निर्मित करना।

    मुख्य भाग: 

    • पर्यावरण और पारिस्थितिकी परिप्रेक्ष्य
      • पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र, वायुमंडल, महासागर, वन किसी के नहीं हैं फिर भी ये सभी की सेवा करते हैं।
      • जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण और जैवविविधता की हानि जैसे मुद्दे सभी देशों को प्रभावित करते हैं।
      • वैश्विक साझा संपत्ति की अवधारणा: महासागर, वायु, अंटार्कटिका और बाह्य अंतरिक्ष को सामूहिक रूप से संरक्षित किया जाना है।
      • पेरिस समझौते और SDG (सतत् विकास लक्ष्य) जैसे ढाँचे के तहत साझा ज़िम्मेदारी।
    • नैतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण
      • स्वदेशी मान्यताएँ: पृथ्वी को प्रकृति माता के रूप में सम्मान दिया जाना चाहिये, उसका शोषण नहीं किया जाना चाहिये।
      • भारतीय दर्शन: "वसुधैव कुटुंबकम्" - दुनिया एक परिवार है।
      • गांधीवादी आदर्श: "पृथ्वी हर व्यक्ति की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिये नहीं।"
      • अंतर-पीढ़ीगत समता की नैतिकता: भावी पीढ़ियों के लिये रहने योग्य ग्रह छोड़ना हमारा कर्त्तव्य है।
    • सामाजिक-आर्थिक आयाम
      • पृथ्वी सभी के लिये समान होने के बावजूद इसके संसाधनों तक पहुँच असमान है।
      • जलवायु संवेदनशीलता में असमानताएँ: उत्सर्जन में सबसे कम योगदान देने के बावजूद गरीब राष्ट्र सबसे अधिक पीड़ित हैं।
      • जलवायु न्याय की अवधारणा: सामान्य लेकिन विभेदित ज़िम्मेदारियाँ (CBDR)।
    • राजनीतिक और भू-राजनीतिक पहलू
      • महामारी, प्राकृतिक आपदाएँ और संसाधन संघर्ष जैसी साझा चुनौतियाँ वैश्विक सहयोग की मांग करती हैं।
      • संयुक्त राष्ट्र, G20, IPCC, COP जैसे मंचों का उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना है, लेकिन अक्सर उन्हें राष्ट्रीय हित बनाम वैश्विक भलाई की दुविधा का सामना करना पड़ता है।
      • संसाधन राष्ट्रवाद पर तनाव (जैसे- आर्कटिक अन्वेषण, दुर्लभ पृथ्वी खनन)।
    • तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग
      • संयुक्त मिशन (जैसे- इसरो-नासा, यूरोपीय संघ के जलवायु उपग्रह) विज्ञान को एक एकीकृत शक्ति के रूप में दर्शाते हैं।
      • आपदाओं, मौसम और प्रदूषण पर खुला डेटा साझा करने से वैश्विक अनुकूलन में सहायता मिलती है।
      • वैश्विक समस्याओं के लिये तकनीकी समाधान - नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन कैप्चर, सतत् कृषि।
    • व्यक्तिगत और सामुदायिक ज़िम्मेदारी
      • पृथ्वी का अस्तित्व न केवल सरकारों पर निर्भर करता है, बल्कि नागरिकों की जागरूकता और कार्रवाई पर भी निर्भर करता है।
      • जलवायु आंदोलनों का उदय (जैसे- ग्रेटा थनबर्ग का फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर), शून्य अपशिष्ट जीवन, शाकाहार आदि।
      • व्यवहार परिवर्तन, पर्यावरण शिक्षा और सतत् जीवन पद्धतियों की आवश्यकता।

     निष्कर्ष: 

    • मूल विचार को पुनः दोहराएँ: हालाँकि हम विभिन्न राष्ट्रों, विचारधाराओं या धर्मों से संबद्ध हो सकते हैं, फिर भी पृथ्वी रूपी हमारे साझा आवास के कारण हम सभी आपस में जुड़े हुए हैं।
    • सामूहिक कार्रवाई और साझा ज़िम्मेदारी की तात्कालिकता पर प्रकाश डालिये।
    • एक प्रेरणादायक नोट या उद्धरण के साथ समाप्त कीजिये:

    "हम यह भूल बैठे हैं कि हम स्वयं पृथ्वी का ही एक हिस्सा हैं। अब समय आ गया है कि हम इस सच्चाई को फिर से याद करें और एकजुट होकर कार्य करें – अलग-अलग नहीं, बल्कि मिलकर।"

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