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70th BPSC Mains

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  • 30 Mar 2025 निबंध लेखन निबंध

    दिवस: 21: भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास: संभावनाएँ, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा। (700 शब्द)

    परिचय: 

    • किसी विचारोत्तेजक उद्धरण, किसी हालिया उपलब्धि (जैसे- चंद्रयान-3, आदित्य-एल1, गगनयान) या अंतरिक्ष में भारत की यात्रा के बारे में किसी दूरदर्शी वक्तव्य से शुरुआत करें।
    • इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी न केवल रक्षा या प्रतिष्ठा के लिये, बल्कि शासन, आपदा प्रबंधन, कृषि, संचार आदि के लिये भी परिवर्तनकारी है।
    • विषय का परिचय दें: "भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भविष्य राष्ट्रीय विकास, रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक नेतृत्व के लिये अपार संभावनाएँ रखता है।"

    मुख्य भाग: 

    ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 

    • संक्षेप में इसरो की शुरुआत: डॉ. विक्रम साराभाई का दृष्टिकोण, आर्यभट्ट का प्रक्षेपण, SLV-3, आदि।
    • मंगलयान (MOM), PSLV की सफलता, चंद्रयान-1 और 2, वाणिज्यिक प्रक्षेपण (एंट्रिक्स/NSIL) जैसी उपलब्धियाँ।

    वर्तमान स्थिति: 

    • प्रमुख मील के पत्थर:
      • चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग
      • आदित्य-एल1 सौर मिशन
      • गगनयान - भारत का पहला मानवयुक्त मिशन
      • विदेशी देशों के लिये वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण
    • संस्थागत एवं नीतिगत प्रगति:
      • IN-SPACe का गठन और निजी खिलाड़ियों के लिये खोलना
      • भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 – उदारीकरण और पीपीपी

    भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भविष्य: आयाम और संभावनाएँ

    • वैज्ञानिक और अन्वेषण मिशन
      • भावी मंगल मिशन (मंगलयान-2)
      • शुक्र मिशन (शुक्रयान)
      • अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ चंद्र आधार सहयोग
    • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम
      • गगनयान - क्रू मॉड्यूल और रिकवरी तकनीक
      • स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशनों का निर्माण
    • रक्षा और सामरिक क्षमता
      • अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता
      • उपग्रह रोधी क्षमताएँ
      • रक्षा प्रणालियों के साथ एकीकरण (रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के माध्यम से)
    • व्यवसायीकरण और स्टार्टअप
      • निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना (उदाहरणार्थ, स्काईरूट, अग्निकुल)
      • वैश्विक उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में हिस्सेदारी
      • भारतीय कंपनियाँ छोटे उपग्रह, प्रक्षेपण यान बना रही हैं
    • सामाजिक अनुप्रयोग
      • सुदूर संवेदन द्वारा परिशुद्ध कृषि
      • दूर-दराज़ के क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन और ई-शिक्षा
      • आपदा चेतावनी और जलवायु परिवर्तन निगरानी
      • शहरी नियोजन और स्मार्ट शासन
    • वैश्विक कूटनीति और सॉफ्ट पावर
      • दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिये एक उपकरण के रूप में अंतरिक्ष (उदाहरणार्थ, सार्क उपग्रह)
      • जलवायु डेटा साझाकरण, आपदा सहायता में नेतृत्व
      • नासा, ESA, जेएक्सए और अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग

    भविष्य की चुनौतियाँ

    • अंतरिक्ष दिग्गजों की तुलना में सीमित बजट
    • प्रतिभा पलायन और कुशल जनशक्ति की कमी
    • भू-राजनीतिक तनाव और अंतरिक्ष का शस्त्रीकरण
    • स्टार्टअप्स के लिये विनियामक स्पष्टता और व्यवसाय करने में आसानी की आवश्यकता
    • अंतरिक्ष मलबा और स्थिरता संबंधी चिंताएँ

    आगे की राह: नीति, दृष्टि और रणनीति

    • मज़बूत विनियामक समर्थन के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ाना
    • अनुसंधान एवं विकास तथा प्रतिभा विकास में अधिक निवेश
    • अन्य देशों के साथ रणनीतिक सहयोग
    • राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थिरता ढाँचा तैयार करना
    • इसरो-स्टार्टअप संबंधों के माध्यम से नवाचार और इनक्यूबेशन को प्रोत्साहित करना

     निष्कर्ष: 

    • आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर सम्मानित अंतरिक्ष शक्ति बनने की भारत की आकांक्षा को सुदृढ़ करना।

    उद्धरण या संदर्भ:

    • डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
      • "आकाश की ओर दृष्टि उठाओ—हम इस ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं। संपूर्ण सृष्टि उनका साथ देती है जो बड़े सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने के लिये निरंतर परिश्रम करते हैं।"
    • डॉ. के. सिवन (पूर्व इसरो अध्यक्ष)
      • "भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग महज प्रतीकात्मक उपलब्धियों के लिये नहीं, बल्कि जनसामान्य के जीवन को सुगम बनाने और उनकी रोज़मर्रा की समस्याओं के व्यावहारिक समाधान खोजने के लिये किया जाता है।"
    • इस बात पर ज़ोर दीजिये कि भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भविष्य सिर्फ सितारों तक पहुँचने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पृथ्वी पर जीवन को बदलने तक भी है।
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