नि:शुल्क साप्ताहिक निबंध लेखन
-
29 Mar 2025
निबंध लेखन
निबंध
दिवस- 24: कृत्रिम बुद्धिमत्ता: अवसर, चुनौतियाँ और विनियमन की अनिवार्यता। (100 अंक)
परिचय:
"आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न तो अच्छा है और न ही बुरा। यह एक उपकरण है। यह हमारे उपयोग के लिये एक तकनीक है।" - ओरेन एट्ज़ियोनी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक तकनीकी अवधारणा से विकसित होकर एक शक्तिशाली शक्ति बन गई है जो समाज के कामकाज, अर्थव्यवस्थाओं के विकास और शासन व्यवस्था को आकार देती है। हालाँकि इसमें जीवन की गुणवत्ता और नीति दक्षता में सुधार करने की अपार क्षमता है, लेकिन प्रभावी विनियामक तंत्र की अनुपस्थिति में इसे एक ऐसे उपकरण में बदलने का जोखिम है जो पूर्वाग्रहों को मज़बूत कर सकता है, निगरानी को बढ़ा सकता है और लोकतांत्रिक जवाबदेही को विस्थापित कर सकता है। इस संदर्भ में, AI का विकास और तैनाती एक नैतिक रूप से सुदृढ़ एवं कानूनी रूप से मज़बूत ढाँचे के भीतर सुनिश्चित की जानी चाहिये।
मुख्य भाग:
AI द्वारा प्रस्तुत अवसर
- AI प्रशासनिक कार्यों को सुव्यवस्थित करके और कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से लक्षित करके सार्वजनिक प्रशासन को बेहतर बना सकता है, विशेष रूप से बड़ी आबादी एवं सीमित नौकरशाही क्षमता वाले क्षेत्रों में।
- स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में, AI-संचालित उपकरणों ने रोगों का शीघ्र निदान, दूरस्थ शिक्षा समाधान एवं व्यक्तिगत शिक्षण रणनीतियों को सक्षम किया है, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण तथा वंचित समुदायों को लाभ हुआ है।
- उदाहरण के लिये, अल्फाफोल्ड एक AI प्रणाली है जिसे डीपमाइंड द्वारा विकसित किया गया है, जो प्रोटीन के अमीनो एसिड अनुक्रमों से उनकी 3D संरचना का सटीक अनुमान लगाती है, जिससे जैविक अनुसंधान में क्रांति आती है।
- कृषि में AI के उपयोग ने - पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण, जलवायु-आधारित फसल सलाह और मृदा स्वास्थ्य निगरानी के माध्यम से - किसानों को सूचित निर्णय लेने एवं अप्रत्याशित मौसम के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में सक्षम बनाया है।
- उदाहरण के लिये- आंध्र प्रदेश में माइक्रोसॉफ्ट और ICRISAT ने एक AI-आधारित बुवाई ऐप विकसित किया है जो किसानों को SMS के माध्यम से व्यक्तिगत फसल सलाह भेजता है।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ, विशेष रूप से तेज़ी से शहरीकरण वाले क्षेत्रों में, अपराध के हॉटस्पॉट की पहचान करने और संसाधनों की अनुकूलतम तैनाती के लिये AI-आधारित पूर्वानुमानात्मक पुलिसिंग तथा निगरानी प्रौद्योगिकियों को तेज़ी से अपना रही हैं।
- AI गलत सूचना अभियानों का पता लगाने, डीप फेक को चिह्नित करने और बेहतर मतदाता पहुँच एवं समावेशिता के लिये चुनावी पैटर्न का विश्लेषण करके लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मज़बूत करने में भी सहायता कर सकता है।
AI द्वारा प्रस्तुत चुनौतियाँ
- AI का उपयोग अक्सर एल्गोरिदम पूर्वाग्रह से ग्रस्त होता है, विशेष रूप से जब विषम डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप क्रेडिट स्कोरिंग, नौकरी की भर्ती और पुलिसिंग जैसे संवेदनशील डोमेन में अनुचित परिणाम हो सकते हैं।
- AI प्रणालियों की अक्सर पारदर्शिता की कमी के लिये आलोचना की जाती है, क्योंकि कई निर्णय अपारदर्शी एल्गोरिदम के माध्यम से किये जाते हैं, जिनका ऑडिट करना या चुनौती देना कठिन होता है, जिससे शासन में जवाबदेही के सिद्धांत कमज़ोर होते हैं।
- सख्त कानूनी सुरक्षा उपायों के अभाव में, चेहरे की पहचान और डेटा संग्रहण उपकरणों के बढ़ते उपयोग से गंभीर गोपनीयता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, विशेष रूप से तब जब इन्हें सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाता है या नागरिक डेटाबेस से जोड़ा जाता है।
- जबकि स्वचालन दक्षता में सुधार करता है, यह कम कौशल वाले रोज़गार के लिये एक महत्त्वपूर्ण खतरा भी उत्पन्न करता है, विशेष रूप से विकासशील देशों में, जहाँ AI-संचालित प्रौद्योगिकियाँ मौजूदा सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को गहरा करने का जोखिम उठाती हैं।
- कृत्रिम बुद्धि (AI) द्वारा निर्मित सामग्री का तेज़ी से प्रसार, जिसमें हेरफेर किये गए वीडियो और फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट शामिल हैं, जनता के विश्वास, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता के लिये खतरा उत्पन्न करता है।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2023 में, अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का एक डीप फेक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें AI से निजता को खतरा और प्रतिरूपण के लिये प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला गया।
विनियमन की अनिवार्यता
- नैतिक मानकों और जवाबदेही ढाँचे को स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करें कि AI का विकास मानव-केंद्रित बना रहे तथा गरिमा, समानता एवं स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्यों का सम्मान हो।
- नियामक संस्थाओं को पूर्वाग्रह, दुरुपयोग या अनपेक्षित नुकसान के लिये AI एल्गोरिदम का ऑडिट करने का अधिकार दिया जाना चाहिये, साथ ही शिकायत निवारण और कानूनी उपाय के लिये स्पष्ट प्रावधान भी होना चाहिये।
- सरकारों को जन जागरूकता, डिजिटल साक्षरता और पुनः कौशल कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिये, ताकि नागरिकों एवं श्रमिकों को अर्थव्यवस्था के AI-संचालित परिवर्तन में मदद मिल सके।
- भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) जैसे मंचों के माध्यम से AI शासन पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये तथा घरेलू नीति को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करना चाहिये।
निष्कर्ष:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिर्फ एक तकनीकी उन्नति नहीं है; यह एक ऐसी शक्ति है जो शासन, समानता और नागरिकता के भविष्य को परिभाषित करेगी। जीवन को बदलने की इसकी क्षमता बहुत बड़ी है, लेकिन अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो सिस्टम को बाधित करने की इसकी क्षमता भी बहुत बड़ी है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, नवाचार को प्रोत्साहित करना आवश्यक है, लेकिन इसे उचित विनियमन, नैतिकता और सार्वजनिक हित की सीमाओं के भीतर संतुलित किया जाना चाहिये।