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  • 08 Mar 2025 निबंध लेखन निबंध

    दिवस-6: “ई-गवर्नेंस केवल तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि जनजीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का माध्यम है।” (100 अंक)

    परिचय:

    "प्रौद्योगिकी की वास्तविक शक्ति स्वचालन में नहीं, बल्कि लोगों को सशक्त बनाने की इसकी क्षमता में निहित है।"

    ई-गवर्नेंस का तात्पर्य सिर्फ सरकारी प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाना नहीं है; इसका मतलब नागरिकों को सशक्त बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और कुशल शासन सुनिश्चित करना है। जबकि तकनीक एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसकी वास्तविक सफलता इस बात से मापी जाती है कि यह जीवन को कितने प्रभावी ढंग से बदलती है, खासकर ग्रामीण और हाशिये के समुदायों में। भारत के डिजिटल इंडिया मिशन का उद्देश्य तकनीक के माध्यम से सरकार और नागरिकों के बीच की खाई को पाटना है, लेकिन डिजिटल डिवाइड, साइबर सुरक्षा चिंताएँ तथा पहुँच संबंधी मुद्दे जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

    मुख्य भाग:

    • ई-गवर्नेंस के लाभ:
      • दक्षता और पारदर्शिता: प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), ई-ऑफिस और ई-टेंडरिंग प्रणालियों के माध्यम से नौकरशाही देरी को कम करता है तथा भ्रष्टाचार को न्यूनतम करता है।
      • पहुँच: नागरिक उमंग, डिजीलॉकर और आधार-सक्षम प्लेटफॉर्मों के माध्यम से 24/7 सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
      • लागत-प्रभावशीलता: कागज़ी कार्रवाई, प्रशासनिक लागत और बिचौलियों को कम करता है, जिससे तीव्र सेवा वितरण सुनिश्चित होता है।
      • नागरिक भागीदारी: माईगव और E-RTI पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म नीति-निर्माण में प्रत्यक्ष भागीदारी की अनुमति देते हैं।
      • आपदा और महामारी प्रतिक्रिया: ई-गवर्नेंस ने CoWIN, आरोग्य सेतु और ऑनलाइन कल्याण वितरण के माध्यम से COVID-19 के दौरान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • मुद्दे और चुनौतियाँ:
      • डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्र, खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और कम डिजिटल साक्षरता पहुँच में बाधा डालती है।
      • साइबर सुरक्षा जोखिम: डिजिटल प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता से डाटा उल्लंघन और साइबर खतरे बढ़ जाते हैं।
      • कमज़ोर समूहों का बहिष्कार: बुज़ुर्ग, विकलांग और कम आय वाले लोगों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से परेशानी हो सकती है।
      • बुनियादी ढाँचे का अंतराल: राज्यों में सीमित बिजली और इंटरनेट की पहुँच के कारण ई-गवर्नेंस की पहुँच धीमी हो गई है।
    • बिहार की ई-गवर्नेंस पहल:
      • RTPS पोर्टल (लोक सेवाओं का अधिकार): जाति, आय और निवास प्रमाण-पत्रों का समयबद्ध वितरण सुनिश्चित करता है।
      • बिहार लोक शिकायत निवारण केंद्र: ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली से सरकारी जवाबदेही में सुधार।
      • जानकारी सुविधा केंद्र: बिहार सरकार की एक पहल जो नागरिकों को कॉल सेंटर, SMS और ईमेल के
      • ध्यम से RTI आवेदन दायर करने में सक्षम बनाती है, जिससे शासन में पहुँच तथा पारदर्शिता बढ़ती है।
      • जानकारी कॉल सेंटर: सीमित इंटरनेट पहुँच वाले लोगों के लिये फोन के माध्यम से RTI आवेदन दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है।
      • जीविका पहल: स्वयं सहायता समूहों और सूक्ष्म-वित्तपोषण के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाती है।
    • डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण:
      • वित्तीय समावेशन: जन धन योजना, UPI और डिजिटल बैंकिंग जैसी योजनाओं ने बैंकिंग को बैंकिंग से वंचित लोगों तक पहुँचाया है।
      • व्यापार करने में आसानी: बिहार की एकल खिड़की मंज़ूरी प्रणाली व्यापार पंजीकरण और निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाती है।
      • रोज़गार सृजन: स्किल इंडिया और बिहार कौशल विकास मिशन के तहत डिजिटल कौशल से रोज़गार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।
    • जवाबदेही और नागरिक भागीदारी को मज़बूत करना:
      • सूचना का अधिकार (RTI) ऑनलाइन: ऑनलाइन RTI प्लेटफॉर्म पारदर्शिता और जवाबदेही को मज़बूत करते हैं।
      • ई-शिकायत निवारण: CPGRAMS जैसी पहल नागरिकों को आसानी से शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करती है।
      • सहभागी शासन: माईगव और ग्राम स्वराज पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म नागरिकों को निर्णय लेने में शामिल करते हैं।

    निष्कर्ष:

    "तकनीक तब सर्वोत्तम होती है जब वह लोगों को एक साथ लाती है।" - मैट मुलेनवेग

    ई-गवर्नेंस तकनीक से आगे बढ़कर शासन को अधिक सुलभ, उत्तरदायी और नागरिक-केंद्रित बनाता है। हालाँकि इसने सेवा वितरण और वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है, लेकिन डिजिटल विभाजन, साइबर सुरक्षा जोखिम तथा बुनियादी ढाँचे की कमी जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। बिहार जैसे राज्यों ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी परिवर्तनकारी क्षमता का प्रदर्शन किया है, लेकिन डिजिटल साक्षरता, अंतिम-मील कनेक्टिविटी और मज़बूत साइबर सुरक्षा उपायों में निरंतर निवेश आवश्यक है। तभी ई-गवर्नेंस वास्तव में नागरिकों को सशक्त बना सकता है और अधिक पारदर्शी, समावेशी एवं सहभागी शासन प्रणाली बना सकता है।

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