चीन के महान दार्शनिक एवं विचारक कंफ्यूशियस का जन्म 551 ईसा पूर्व चीन के रानडोंग प्रांत में हुआ था।
कंफ्यूशियस का शहर चीन की सांस्कृतिक धरोहर है जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है।
जिस समय कंफ्यूशियस का जन्म हुआ, उस समय चीन एक कमज़ोर देश था।
कंफ्यूशियस के विचार एवं कार्य
चीन की क्षीण शक्ति के दौरान कंफ्यूशियस के दार्शनिक, राजनीतिक एवं नैतिक विचारों ने चीन के लोगों को काफी प्रभावित किया।
वस्तुत: कंफ्यूशियस एक सुधारक थे।
कंफ्यूशियस स्व अनुशासन, बेहतर दिनचर्या और परिवार में सामंजस्य पर जोर देते थे।
कंफ्यूशियसवाद, कंफ्यूशियस से संबंधित धर्म, दर्शन और सदाचार की विचारधारा है।
कंफ्यूशियसवाद में सद्व्यवहार, सदाचार और शिष्टाचार के नियमों पर अधिक बल दिया गया है।
कंफ्यूशियस चीन के समाज में फैली कुरीतियों एवं बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया।
कंफ्यूशियस ने विभिन्न संबंधों की मीमांसा करके कुछ नियमों का प्रतिपादन किया।
उनका मानना था कि सही बात को समझना एवं उसके अनुसार आचरण न करना कायरता है।
उनका कहना था कि दयालुता का बदला दयालतुा से तथा चोट का बदला न्याय से दिया जाना चाहिये।
कंफ्यूशियस पुरानी परंपरा को दोबारा स्थापित करना चाहते थे।
वे जीवन में संयम, निष्ठा आदि के समर्थक थे।
कंफ्यूशियस के विचारों की प्रासंगिकता
उन्होंने जीवन दर्शन के नैतिक मूल्यों एवं मानवीयता पर बल दिया। उनके अनुसार भलाई मनुष्य का स्वाभाविक गुण है।
वस्तुत: वे सद्कार्य एवं मानव कल्याण की शिक्षा देते हैं।
कंफ्यूशियस के अनुसार ‘ईमानदारी एवं सच्चाई उच्च नैतिकता के लिये आधार प्रदान करती है।’
वे उच्च मूल्यों को जीवन के प्रत्येक पक्ष में शामिल करने की शिक्षा देते हैं।
उनके अनुसार ‘बुद्धि, करुणा और साहस व्यक्ति के लिये तीन सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त गुण हैं।’ प्रत्येक व्यक्ति को इन सद्गुणों को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
वे सभी को नैतिक आचरण की प्रेरणा देते हैं। उनके अनुसार‘विश्व को व्यवस्थित करने के लिये पहले राष्ट्र को व्यवस्थित करना होगा, राष्ट्र को व्यवस्थित करने के लिये परिवार को, परिवार को व्यवस्थित रखने के लिये व्यक्तिगत जीवन का संवर्द्धन करना होगा और व्यक्तिगत जीवन के संवर्द्धन के लिये पहले अपना दिल साफ रखना होगा।’
कंफ्यूशियस के विचारों में किसी देश में अच्छा शासन एवं शांति तभी स्थापित हो सकती है जब प्रत्येक व्यक्ति उचित स्थान पर अपने कर्त्तव्यों का पालन करता रहे।
वस्तुत: प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण उत्तरदायित्व एवं ईमानदारी से अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिये।
निष्कर्षत:
कंफ्यूशियस की शिक्षाएँ, धार्मिक गुत्थियों एवं जटिलताओं से परे, नैतिक और सत्पुरुष के आचरण की संहिता के रूप में बद्ध हैं। उनके विचारों का आज भी चीन में कुछ लोग पालन करते हैं।