कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (CSR) | 29 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में लोकसभा द्वारा कंपनी संशोधन विधेयक, 2019 पारित किया गया है।
- इसके अनुसार, यदि कोई कंपनी अपने द्वारा निर्धारित कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (Corporate Social Responsibility-CSR) फंड की राशि एक निश्चित अवधि में खर्च नहीं करेगी, तो वह राशि स्वत: केंद्र सरकार के एक विशेष खाते (जैसे- क्लीन गगा फंड, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष) में जमा हो जाएगी।
CSR क्या है?
- CSR से अभिप्राय किसी औद्योगिक इकाई का उसके सभी पक्षकारों, जैसे- संस्थापकों, निवेशकों, ऋणदाताओं, प्रबंधकों, कर्मचारियों, आपूर्तिकर्त्ताओं, ग्राहकों, वहाँ के स्थानीय समाज एवं पर्यावरण के प्रति नैतिक दायित्व से है।
मुख्य बिंदु
- कंपनी अधिनियम, 2013 में संशोधन के बाद अप्रैल-2014 में भारत CSR को अनिवार्य बनाने वाला दुनिया का पहला देश बना।
- CSR की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
- CSR का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनका निवल मूल्य (Net Worth) ₹ 500 करोड़ से अधिक हो या कुल कारोबार (Turnover) ₹1000 करोड़ से अधिक हो या शुद्ध लाभ (Net Profit) ₹5 करोड़ से अधिक हो।
- CSR के तहत उपरोक्त कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभों के औसत का 2% निम्नलिखित गतिविधियों पर खर्च करना पड़ता है:
- गरीबी व भूख का उन्मूलन।
- शिक्षा का प्रचार-प्रसार।
- लिंग समानता व नारी सशक्तीकरण।
- पर्यावरण संरक्षण।
- शिशु-मृत्यु दर व मातृ-मृत्यु दर में सुधार।
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत के लिये केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित किसी कोष में योगदान आदि।