आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) | 19 Nov 2019
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारत सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence- AI) मिशन पर नीति आयोग एवं इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) के बीच आपसी मतभेद को हल करने हेतु एक समिति का गठन किया है। इस समिति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, नीति आयोग के सीईओ और MeitY के सचिव शामिल हैं एवं इसकी अध्यक्षता मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन कर रहे हैं। ध्यातव्य है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को डिज़िटल अर्थव्यवस्था बनाने के साथ-साथ सरकारी काम-काज को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है|
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
- सरल शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना है ।
- विभिन्न परिस्थितियों में बेहतर ढंग से सोच-समझकर कार्य करने की क्षमता एक मशीन को देना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहलाता है | अब यह कार्य किसी भी रूप में हो सकता है जैसे- भाषा समझना, दृश्य देखना, मूवी देखना, शतरंज खेलना या फिर गाड़ी चलाना ही क्यों न हो | उदाहरण के लिए- रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट' या हॉलीवुड की फिल्म स्टार वार, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर जैसी फिल्मों को देख सकते हैं जिससे AI को देखा या समझा जा सकता है |
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत
- जॉन मैकार्थी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है |
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में हो गया था, किन्तु इसकी महत्ता को पहचान 1970 के दशक में मिली |
- जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में 'फिफ्थ जनरेशन' नामक योजना की शुरुआत की थी |
- सुपर कंप्यूटर के विकास के लिए 10 वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुती के बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया | ब्रिटेन ने इसके लिए 'एल्वी' नामक एक प्रोजेक्ट भी बनाया था |
- यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी |
- इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थानों ने मिलकर AI पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों जैसे- Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ 'माइक्रो-इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी' की स्थापना की |
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार
- पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive)
- सीमित स्मृति (Limited Memory)
- मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory)
- आत्म-चेतन (Self Conscious)
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है।
- यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है|
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला कंप्यूटर सिस्टम 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शामिल रूस के गैरी कास्पोरोव को हरा चुका है|
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ
- नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस देश में व्यवसाय करने के तरीके को बदलने जा रही है| विशेष रूप से देश के सामाजिक और समावेशी कल्याण के लिये नवाचारों में विशिष्ट रूप से इसका उपयोग किया जाएगा|
- रोबोटिक्स, वर्चुअल रियल्टी, क्लाउड टेक्नोलॉजी, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग और अन्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर भारत में निकट भविष्य में चौथी औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात होने की संभावनाएँ तलाशी जाने लगी हैं|
- स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने, शिक्षा में सुधार लाने, नागरिकों के लिये अभिनव शासन प्रणाली विकसित करने और देश की समग्र आर्थिक उत्पादकता में सुधार के लिये देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों को स्वीकार करने का समय निकट आ रहा है|
- ऐसे में गूगल के साथ नीति आयोग की साझेदारी से कई प्रशिक्षण पहलें शुरू होंगी, स्टार्टअप को समर्थन मिलेगा और पीएच.डी. छात्रवृत्ति के माध्यम से एआई अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा|
- AI का उपयोग कई क्षेत्रों और उद्योगों को विकसित करने और आगे बढ़ाने के लिए किया जायेगा जिसमें वित्त, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, परिवहन, इत्यादि शामिल हैं|
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सकारात्मक प्रभाव/ फायदे
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सबसे बड़ी खूबी है मनुष्यों की तरह सोचना तथा व्यवहार करना और तथ्यों को समझ कर तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया देना|
- मशीनों का प्रयोग जटिल तथा दुरूह कामों को करने के लिये किया जाता है और यह सर्वविदित है कि मनुष्य की तुलना में मशीनों की सहायता से काम जल्दी पूरा किया जा सकता है|
- AI को भविष्य की तकनीक इसलिये भी कहा जा रहा है क्योंकि इससे दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है|
- इसके इस्तेमाल से संचार, रक्षा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और कृषि आदि क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ सकता है|
- इससे होने वाले फायदे और नुकसान पर वैज्ञानिक दो खेमों में बंटे हुए हैं। इसके लाभ अभी बहुत स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसके खतरों को लेकर कहा जा सकता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्य को ही होगा|
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नकारात्मक प्रभाव/ नुकसान
हर सिक्के के दो पहलू होते है इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदे हैं तो नुकसान भी है |
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मनुष्यों के स्थान पर मशीनों से काम लिया जाएगा मशीनें स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी अगर समय रहते उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो इससे मनुष्य के लिये खतरा भी उत्पन्न हो सकता है|
- वैज्ञानिक इसे सबसे बड़ा खतरा तब मानते हैं जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसके ज़रिये मशीनें बिना मानवीय हस्तक्षेप के नैतिक प्रश्नों पर फैसला लेने लगेंगी। जैसे जीवन, सुरक्षा, जन्म-मृत्यु, सामाजिक संबंध आदि फैसले|
- बिल गेट्स का मानना है कि यदि मनुष्य अपने से बेहतर सोच वाली मशीन बना लेगा तो मनुष्य के अस्तित्व के लिये ही सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा|
- सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स का भी यही कहना था कि मनुष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मुकाबला नहीं कर सकती|
- कारखानों, बैंकों, चिकित्सा क्षेत्र इत्यादि क्षेत्रों में इसके व्यापक प्रयोग से बेरोजगारी में वृद्धि हो सकती है |
- बैंक, एटीएम, चिकित्सा क्षेत्र, कारखानों जैसे स्थानों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त मशीन लगाना और उनके रख रखाव के साथ-साथ ख़राब हुए मशीनों के सॉफ्टवेयर बदलना महंगा साबित हो सकता है |
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आश्रित हो जाने पर मनुष्य की रचनात्मक शक्ति खोने की संभावना अधिक बढ़ जायेगी |
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोग
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई क्षेत्रों और उद्योगों को विकसित करने और आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, जिसमें वित्त, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, परिवहन इत्यादि शामिल हैं|
- केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने गूगल के साथ एक समझौता किया है, जिससे भारत में बाढ़ का कारगर और प्रभावकारी प्रबंधन करने में मदद मिलेगी| भारत के केंद्रीय जल आयोग और गूगल के बीच हुए इस सहयोग समझौते से बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने एवं बाढ़ संबंधी सूचनाएँ आम जनता को सुलभ कराने में आसानी होगी| इससे बाढ़ पूर्वानुमान प्रणालियों को बेहतर बनाकर स्थान-लक्षित आवश्यक कार्रवाई योग्य बाढ़ चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी| इसके तहत केंद्रीय जल आयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग एवं भू-स्थानिक मानचित्रण के क्षेत्र में गूगल द्वारा की गई अत्याधुनिक प्रगति का उपयोग करेगा। इस पहल से संकट प्रबंधन एजेंसियों को जल विज्ञान (Hydrological) संबंधी समस्याओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलने की आशा है|
- हमारे रोजमर्रा के कार्यों में जैसे स्मार्ट फोन और कम्यूटर में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होता है। लिखते समय कीबोर्ड हमारी गलतियों को सुधारता है, सही शब्दों का विकल्प भी देता है। जीपीएस (GPS) तकनीक, मशीन पर चेहरे ही पहचान करना, सोशल मीडिया में दोस्तों को टैग करना जैसे कार्यों में इसका उपयोग होता है|
- वित्तीय संस्थानों और बैंकिंग संस्थानों द्वारा डेटा को व्यवस्थित और प्रबंधित करने के लिए उपयोग किया जाता है। स्मार्टकार्ड सिस्टम में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है|
- समुद्र तल की गहराई में खनिज, पेट्रोल, और ईधन की खोज का काम, गहरी खानों में खुदाई का काम बहुत कठिन और जटिल होता है। समुद्र की तलहटी में पानी का गहन दबाव होता है। इसलिए रोबोट्स की सहायता से ईधन की खोज की जाती है|
- अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। यह कोच को रणनीति का सुझाव भी देता है|
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल अब चिकित्सा क्षेत्र में दवाओं के साइड इफेक्ट, ओपरेशन, ऍक्स रे, बीमारी का पता लगाने, जाँच, रेडियोसर्जरी, जैसे कामो में किया जा रहा है|
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त मशीन बिना रुके कई घंटो तक काम कर सकती है। बार-बार दोहराए जाने वाले काम मनुष्य के लिए बहुत नीरस होते है, परंतु मशीनें इस काम को आराम से कर सकती है|
आगे की राह
आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है और निभा भी रहा है| फिर भी आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वैज्ञानिकों के लिये बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जिसको लेकर निरंतर शोध हो रहे हैं| आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी में नित नए बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं|