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इतिहास प्रैक्टिस प्रश्न

  • न केवल नगरों के विन्यास, बल्कि नगरीय जीवन की दृष्टि से भी सिंधु सभ्यता एक विलक्षण सभ्यता थी। इसकी प्रमुख विलक्षणताओं का वर्णन कीजिये।

    08 May, 2020

    उत्तर :

    भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में विकसित सिंधु सभ्यता अपनी परिपक्वता एवं शहरी सभ्यता होने के कारण महत्त्वपूर्ण है। इस सभ्यता में कई नगरीय केंद्रों का विकास हुआ, जो अपने नगर विन्यास के साथ-साथ नगरीय जनजीवन की दृष्टि से भी समकालीन तथा अपने से प्राचीन सभ्यताओं और समाजों की तुलना में विलक्षण थे।

    नगरों का विन्यास

    • नगर, जैसे- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो दो भागों में विभाजित थे। दुर्ग में शासक वर्ग के लोग, जबकि दुर्ग के बाहर निम्न स्तर के शहर में ईंटों के मकान में सामान्य लोग रहते थे। दुर्ग को निचले स्तर के शहर से पृथक् करने के लिये दीवार से घेरा जाता था।
    • भवन जाल/ग्रिड पद्धति पर व्यवस्थित थे। नगरों में सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी, जिसके कारण नगर कई खंडों में विभक्त थे।
    • इन नगरों में घर, नालों तथा सड़कों का एक साथ योजनाबद्ध तरीके से निर्माण किया गया। नियोजित जल विकास प्रणाली नगरों की प्रमुख विशेषता थी। अक्सर घरों की नालियों को सड़कों की नालियों से जोड़ा गया था। ढके हुए नालों के कारण उनमें साफ-सफाई के लिये मैनहोल का निर्माण किया गया था।
    • नगरों के निर्माण में दुर्गों पर सार्वजनिक प्रयोजन के लिये भी कई संरचनाओं का निर्माण किया गया, जैसे- विशाल मालगोदाम एवं स्नानागार मोहनजोदड़ो नगर की प्रमुख विशिष्टता है।
    • नगरों में पकी ईंटों का प्रयोग किया गया। पकी ईंटों के प्रयोग से नियोजित नगर विन्यास संभव हुआ। सिंधु सभ्यता के नगरों में पकी ईंटों का प्रयोग अपनी समकालीन मेसोपोटामिया सभ्यता से कहीं अधिक हुआ है।

    नगरीय जीवन

    • हड़प्पा की नियोजित जल निकास प्रणाली से स्पष्ट है कि नगरों में साफ-सफाई का अत्यंत महत्त्व था। इस प्रकार की महत्ता अन्य किसी समकालीन कांस्य सभ्यता में नहीं देखी जाती।
    • नगरों में शिल्प उत्पादन तत्कालीन आर्थिक-सामाजिक जीवन का महत्त्वपूर्ण पहलू है। शिल्प कार्यों में मनके बनाना, शंख की कटाई, धातु कर्म, मुहर निर्माण एवं बाट बनाना प्रमुख है।
    • सिंधु सभ्यता के नगरों के लोग अपने तकनीकी ज्ञान में अन्य समकालीन समाजों से कहीं ज्यादा उन्नत थे, जैसे- कांस्य मूर्ति निर्माण एवं तत्कालीन समय में भी शुद्धता के साथ बाट प्रणाली का उपयोग अद्भुत प्रयोग थे।
    • आज की भाँति तत्कालीन नगरीय केंद्रों में भी विलासिता का प्रचलन था। फयान्स (घिसी हुई रेत अथवा बालू तथा रंग और चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पकाकर निर्मित) वस्तुओं का प्रयोग विलासिता की श्रेणी में देखे गए हैं।
    • नगरीय जीवन में आंतरिक व विदेशी व्यापार का महत्त्वपूर्ण स्थान था। सिंधु सभ्यता के नगरों में राजस्थान के खेतड़ी एवं अफगानिस्तान से कच्चे माल के लिये व्यापार किये जाने  के साक्ष्य मिले हैं। वहीं शिल्प वस्तुओं के व्यापार के साक्ष्य ओमान एवं मेसोपोटामिया से मिले हैं।

    इस प्रकार सिंधु सभ्यता अपने नगर विन्यास एवं नियोजन तथा अपने विकसित नगरीय जीवन के कारण अपने से प्राचीन एवं समकालीन सभ्यताओं से कहीं अधिक आगे थी।

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