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बौद्ध धर्म ने भारतीय दार्शनिक परंपरा को समृद्ध करने के साथ-साथ भारतीय कला एवं स्थापत्य को भी प्रभावित किया। विवेचना कीजिये।
16 May, 2020उत्तर :
कृषि अर्थव्यवस्था के विस्तार के परिणामस्वरूप तथा ब्राह्मणों की श्रेष्ठता के दावे के विरोध में छठी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मध्य गंगा के मैदानों में बौद्ध धार्मिक संप्रदाय का जन्म हुआ। धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में बौद्ध धर्म ने कालांतर में भारतीय दर्शन को समृद्ध करने के साथ भारतीय कला एवं स्थापत्य पर भी गहरा प्रभाव डाला।
भारतीय दर्शन को समृद्ध करने में भूमिका
- बौद्ध धर्म ने विवेक और तर्क के आधार पर सांसारिक समस्याओं को सुलझाने का रास्ता दिखाया। संसार दुखमय है और लोग केवल काम (इच्छा, लालसा) के कारण दुख पाते हैं। तत्कालीन समय में निर्वाण प्राप्ति के लिये पहली बार इच्छाओं, लालसाओं पर नियंत्रण की बात कही गई।
- आष्टांगिक मार्ग बौद्ध दर्शन का महत्त्वपूर्ण अंग है। गौतम बुद्ध ने दुखों की निवृत्ति के लिये आष्टांगिक मार्ग अपनाने का सुझाव दिया, जैसे- सम्यक् दृष्टि, सम्यक् वाक्, सम्यक् संकल्प आदि।
- बौद्ध धर्म द्वारा ईश्वर और आत्मा को नहीं मानना तत्कालीन धर्म दर्शन में क्रांति की तरह था। वर्ण व्यवस्था की आलोचना के कारण इसको निम्न वर्गों का समर्थन मिला।
- इसने क्षणभंगुरता का सिद्धांत दिया। यह विश्व अनित्य है। यहाँ कुछ भी स्थायी या शाश्वत नहीं है और दुख मनुष्य के जीवन का अंतर्निहित तत्त्व है।
- बौद्ध धर्म में जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति, आत्मज्ञान और निर्वाण के लिये व्यक्ति केंद्रित हस्तक्षेप और सम्यक् कर्म की कल्पना की गई।
- उदारता एवं जनतांत्रिक मूल्य बौद्ध दर्शन की महत्त्वपूर्ण विशेषता थी।
- बौद्ध धर्म ने अहिंसा तथा जीवमात्र के प्रति दया का भाव अपनाने पर बल दिया।
भारतीय कला एवं स्थापत्य पर बौद्ध धर्म का प्रभाव
- भारत में मूर्तिकला के विकास के क्रम में सबसे पहले बुद्ध की प्रतिमाओं का निर्माण हुआ। इसके परिणामस्वरूप मौर्योत्तर काल में गांधार, मथुरा एवं अमरावती कला का विकास हुआ।
- मौर्यकाल में अशोक द्वारा एकाश्म स्तंभों का निर्माण करवाया गया, जो अपनी कला, धार्मिक तथा मानवता के उपदेशों के उत्कीर्णन के कारण महत्त्वपूर्ण है।
- भगवान बुद्ध के अवशेषों पर स्तूपों का निर्माण बौद्ध कला का प्रमुख उदाहरण है साँची एवं भरहुत स्तूप पर चित्रात्मक प्रस्तुति उल्लेखनीय है।
- मौर्योत्तर एवं गुप्तकाल में बौद्ध धर्म से संबंधित चैत्य और विहारों के रूप में बौद्ध गुफाओं का निर्माण हुआ। यह गुफा स्थापत्य कला अपने अभियांत्रिकी कौशल एवं भित्ति चित्रों के कारण भारतीय कला इतिहास में प्रमुख स्थान रखती है। अजंता, ऐलोरा, बाघ आदि गुफाएँ इसके महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।
- नौवी शताब्दी के आस-पास सारनाथ की गुप्त शैली और बिहार की स्थानीय परंपराओं एवं मध्य भारत की परंपरा के संगम (संश्लेषण) से नालंदा मूर्तिकला का विकास हुआ। पाल वंश के शासनकाल में कांस्य मूर्ति निर्माण कला इस संदर्भ में विशिष्ट है।
बौद्ध धर्म के अत्यंत गहरे दर्शन ने भारतीय दर्शन को प्रभावित कर समृद्ध किया। साथ ही स्वदेशी तथा विदेशी कला के संश्लेषण द्वारा भारतीय कला एवं स्थापत्य की नई शैलियाँ भी विकसित की। अत: बौद्ध धर्म का भारतीय दर्शन और कला देनों पर गहरा प्रभाव है।