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इतिहास प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्राचीन भारतीय इतिहास में ईरानी और मकदूनियाई आक्रमणों ने भारतीय कला एवं संस्कृति को किस प्रकार प्रभावित किया? विवेचना कीजिये।

    05 Jun, 2020

    उत्तर :

    ईसा पूर्व छठी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मद्र, गांधार एवं कंबोज के राजाओं की आपसी फूट एवं मगध जैसे शक्तिशाली साम्राज्य की अनुपस्थिति के कारण पश्चिमोत्तर भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत कमजोर थी। हिंदुकुश के दर्रों से भारत में आसानी से घुसा जा सकता था। इसी का फायदा उठाकर ईरानी एवं मकदूनियाई शासकों ने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के साथ-साथ कला एवं संस्कृति को भी व्यापक रूप में प्रभावित किया।

    ईरानी आक्रमण एवं भारतीय कला संस्कृति पर इसके प्रभाव:

    • भारत और ईरान के मध्य संपर्क एवं व्यापार वृद्धि के महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक परिणाम हुए। ईरानी लिपिकारों के प्रभाव से भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रचलन हुआ। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में पश्चिमोत्तर भारत में अशोक के कुछ अभिलेख इस लिपि में लिखे गए।
    • चंद्रगुप्त के दरबार में यूनानी राजदूत मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य शासकों ने कुछ पर्सियन समारोह एवं अनुष्ठानों को अपनाया था।
    • मौर्य वास्तुकला पर ईरानी प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। अशोककालीन स्तंभ, विशेषकर घंटा आकार के गुंबज ईरानी प्रतिरूपों पर आधारित थे। अशोक के राज्यदिशों की प्रस्तावना और उनमें प्रयुक्त शब्दों में भी ईरानी प्रभाव दिखाई देता है।
    • ईरानी शासकों ने पश्चिमोत्तर भारत में पर्सियन चाँदी के सिक्कों का प्रचलन किया। इन सिक्कों की विशिष्ट ढलाई तकनीक एवं सुंदरता को भारतीय शासकों ने भी अपनाया।

    मकदूनियाई आक्रमण एवं भारतीय कला संस्कृति पर इसके प्रभाव:

    326 ई. पूर्व पश्चिमोत्तर भारत में सिकंदर के आगमन के पश्चात् भारतीय और यूनानी संस्कृतियों का संपर्क हुआ और इसके महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले, जैसे-

    • भारत में यूनानी सिक्कों तथा इनकी ढलाई तकनीक का प्रचलन हुआ। इन सिक्कों पर जारी करने वाले राजा का नाम, जारी करने का वर्ष और शासक का चित्रण होता था, जो इनकी प्रमुख विशेषता थी।
    • यूनानी आक्रमण के पश्चात् यूनानी हेलेनिस्टिक कला भारत में पहुँची तथा आगे चलकर भारतीय और यूनानी मूर्तिकला के संश्लेषण से पश्चिमोत्तर भारत में मूर्तिकला की नवीन शैली ‘गांधार शैली’ का विकास हुआ। यह भारत में प्रतिमाओं के विकास की शुरुआत थी।
    • भारतीय शास्त्रीय साहित्य पर भी यूनानी प्रभाव पड़ा। युग पुरान, महाभारत एवं बौद्ध ग्रंथों में यूनानियों को पवन से संबोधित किया गया है।
    • भारतीय खगोल विज्ञान प्राचीन यूनानियों का ऋणी है। युग पुराण की गार्गी संहिता यूनानियों को खगोलशास्त्र के प्रवर्तकों के रूप में श्रेय देती है। आर्यभट्ट ने भी राशि चक्र के लिये यूनानियों को श्रेय दिया है।

    इस प्रकार ईरानी एवं मकदूनियाई आक्रमणों के परिणामस्वरूप क्रमश: पर्सियन और यूनानी कला संस्कृति का भारतीय कला संस्कृति के साथ संश्लेषण के कारण भारतीय कला संस्कृति पर व्यापक प्रभाव  पड़ा। 

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