किसी संस्था का चरित्र चित्रण, उसके नेतृत्त्व में प्रतिबिम्बित होता है। | 14 Jun 2024
(नेतृत्त्व का अर्थ लोगों को ऐसे कार्य करने के लिये प्रेरित करना है जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा।)
— स्टीव जॉब्स
नेतृत्त्व को अक्सर किसी भी संस्था की सफलता की आधारशिला के रूप में देखा जाता है, चाहे वह निगम हो, गैर-लाभकारी संगठन हो, शैक्षणिक संस्था हो या सरकार हो। एक नेता का चरित्र, जिसमें उनके मूल्य, नैतिकता, निर्णय लेने की शैली तथा पारस्परिक कौशल शामिल हैं, संगठन की संस्कृति, प्रदर्शन और सार्वजनिक प्रतिष्ठा पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
किसी संस्था की प्रतिष्ठा एवं धारणा अक्सर उसके नेता के कार्यों और चरित्र से बढ़ती या खराब होती है। संस्था को किसी भी ऐसे संगठन के रूप में देखा जा सकता है जो साझा उद्देश्य को प्राप्त करने की ओर उन्मुख हो और जिसका नेता उसके अंदर सर्वोच्च अधिकार रखता हो। चरित्र से तात्पर्य उन गुणों या दोषों से है जो किसी व्यक्ति को परिभाषित करते हैं।
निर्णय लेने और समस्या समाधान में नेता जो दृष्टिकोण अपनाता है, वह संस्था के चरित्र को दर्शाता है और उसे आकार देता है। पारदर्शिता, समावेशिता और दीर्घकालिक सोच को प्राथमिकता देने वाले नेता ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देते हैं जो इन सिद्धांतों को महत्त्व देती है। इसके विपरीत, जो नेता निरंकुश या अल्पकालिक केंद्रित निर्णय लेने का प्रदर्शन करते हैं, वे भय और अदूरदर्शिता का माहौल बना सकते हैं।
एक नेता के गुण, जैसे ईमानदारी, दूरदर्शिता और नैतिक आचरण, संगठन के भीतर विश्वास, निष्ठा और उद्देश्य की साझा भावना को प्रेरित कर सकते हैं तथा एक नेता वह व्यक्ति होता है जो समाज में परिवर्तन लाने के लिये पहल करता है।
नेता रोल मॉडल के रूप में कार्य करते हैं, जो संगठन के दृष्टिकोण और मूल्यों को प्रभावित करते हैं। मिलग्राम प्रयोग ने प्रदर्शित किया कि कैसे लोग किसी अधिकारिक व्यक्ति के अधीन अपनी व्यक्तिगत जवाबदेही को समाप्त कर देते हैं। इसके अतिरिक्त, जनता अक्सर किसी संस्था को उसके नेता के माध्यम से पहचानती है।
नेताओं का निर्माण उस माहौल से होता है जिसमें उनका पालन-पोषण होता है, चाहे वह परिवार हो, समूह हो, संस्था हो या समाज हो। इन परिस्थितियों के मार्गदर्शक सिद्धांत और मिशन किसी भी संस्था के भीतर नेताओं एवं अनुयायियों दोनों के विकास को प्रभावित करते हैं।
सच्चे नेतृत्त्व में लोगों को एक सामान्य उद्देश्य के लिये एकजुट करने की क्षमता शामिल होती है, जो आत्मविश्वास को प्रेरित करने वाले चरित्र से प्रेरित होती है। नेतृत्त्व के लिये सम्मान निर्विवाद नैतिकता की मांग करता है जो नैतिक अस्पष्टताओं से दूर रहकर सही और गलत में स्पष्ट रूप से अंतर करती है।
एक नेता का चरित्र उस संस्था के मूल ढाँचे में समाहित हो जाता है जिसका वह नेतृत्त्व करता है। शीर्ष पर बैठे लोगों द्वारा प्रदर्शित किये गए कार्य पूरे संगठन के लिये एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं। चरित्र एक मज़बूत नींव बनाता है जिस पर सम्मान का निर्माण होता है, ठीक उसी तरह जैसे किसी भी इमारत के लिये एक मज़बूत नींव महत्त्वपूर्ण होती है।
प्रभावी नेता मज़बूत पारस्परिक संबंधों और स्पष्ट संचार के महत्त्व को समझते हैं। वे विश्वास का निर्माण करते हैं, सहयोग को बढ़ावा देते हैं और संस्था के भीतर समुदाय की भावना उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिये, पेप्सिको के CEO के रूप में इंद्रा नूई का कार्यकाल उनकी सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्त्व शैली और एक सहायक समावेशी कार्यस्थल बनाने पर ज़ोर देने के कारण विशिष्ट रहा।
नेता उस वैचारिक वातावरण से आकार लेते हैं जिसमें वे कार्य करते हैं और उनका चरित्र उन संस्थाओं को गहराई से प्रभावित करता है जिनका वे नेतृत्त्व करते हैं। वे जिन दर्शन, नैतिक मूल्यों और आदर्शों का समर्थन करते हैं, वे संगठन की पहचान एवं लोकाचार में अंतर्निहित हो जाते हैं। नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेता इसका उदाहरण हैं। रंगभेद को समाप्त करने के लिये मंडेला के समर्पण के परिणामस्वरूप एक लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका बना, जबकि मार्टिन लूथर किंग जूनियर की नागरिक अधिकारों और अहिंसक प्रतिरोध के प्रति प्रतिबद्धता ने संयुक्त राज्य अमेरिका में नस्लीय अलगाव एवं भेदभाव को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके दूरदर्शी नेतृत्त्व और सिद्धांतवादी रुख ने उनके द्वारा निर्देशित आंदोलनों और राष्ट्रों पर स्थायी विरासत छोड़ी।
ये गहन गुण भारतीय इतिहास के पन्नों में प्रतिध्वनित होते हैं जहाँ दिग्गज नेताओं ने अपने नेतृत्त्व वाली संस्थाओं पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिये उनके चरित्र और विरासत को आकार मिला है। सबसे प्रतिष्ठित उदाहरणों में से एक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के जनक महात्मा गांधी हैं। अहिंसा, सत्य और सविनय अवज्ञा के प्रति गांधी की अटूट प्रतिबद्धता ने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस तथा पूरे स्वतंत्रता संग्राम के चरित्र को परिभाषित किया।
गांधी जी के नेतृत्त्व ने साहस, बलिदान और नैतिक दृढ़ता के मूल्यों का उदाहरण प्रस्तुत किया, जिससे लाखों लोगों को शांतिपूर्ण तरीकों से स्वतंत्रता के लिये प्रेरित किया गया। उनके प्रसिद्ध शब्द, "खुद वो बदलाव बनिये जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं" ने आंदोलन के चरित्र को अभिव्यक्त किया।
एक और शानदार उदाहरण भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का है। उनके दृढ़ निश्चय, राजनीतिक कौशल और प्रशासनिक कौशल ने नवगठित राष्ट्र, एक मज़बूत, एकजुट एवं दृढ़ भारत के चरित्र को प्रतिबिंबित किया।
किसी नेता का नैतिक मार्गदर्शन संस्थान के नैतिक ढाँचे पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालता है। जो नेता उच्च निष्ठा और नैतिक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, वे संगठन में एक मानक स्थापित करते हैं। भारतीय संदर्भ में एक अनुकरणीय नेता जिसने स्थिरता और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं का समर्थन किया है, वह है टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा। उनके नेतृत्त्व ने इन मूल्यों को टाटा समूह के संचालन और कॉर्पोरेट संस्कृति में समाहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संस्थान के लिये एक नेता का विजन और मिशन अक्सर वह आधार बन जाता है जिस पर उसका चरित्र निर्मित होता है। उदाहरण के लिये, एक नेता जो नवाचार और रचनात्मकता को प्राथमिकता देता है, वह ऐसी संस्कृति विकसित करेगा जो इन विशेषताओं को महत्त्व देती है। स्टीव जॉब्स जैसे उदाहरणों ने दिखाया है कि कैसे उनका चरित्र और विजन उनके संबंधित संस्थानों की संस्कृति एवं सफलता को आकार दे सकता है। स्टीव जॉब्स के नवाचार के लिये अथक प्रयास और जो संभव था उसकी सीमाओं को आगे बढ़ाने में उनके अटूट विश्वास ने एप्पल को एक संघर्षरत उद्योग से एक वैश्विक प्रौद्योगिकी अग्रणी में बदल दिया।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे नेतृत्त्व ने देश के वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों के चरित्र पर एक अमिट छाप छोड़ी। कलाम ने भारत के वैज्ञानिक समुदाय में गर्व, आत्म-विश्वास और नवाचार की भावना उत्पन्न की तथा राष्ट्रीय प्रगति के लिये अटूट प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित किया। कलाम ने भारत के मिसाइल कार्यक्रम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें व्यापक रूप से 'भारत का मिसाइल मैन' माना जाता था। वे भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के मुख्य वास्तुकार थे।
इसके विपरीत, किसी नेता के लालच, भ्रष्टाचार या दमनकारी प्रवृत्ति जैसे दोष, संस्था की प्रतिष्ठा और अखंडता को नुकसान पहुँचा सकते हैं तथा उसे बदनामी की ओर ले जा सकते हैं। उदाहरण के लिये, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, जो एक व्यापारिक उद्यम के रूप में शुरू हुई थी, धीरे-धीरे रॉबर्ट क्लाइव और वॉरेन हेस्टिंग्स जैसे व्यक्तियों के नेतृत्त्व में एक दमनकारी औपनिवेशिक शासन में बदल गई।
औरंगज़ेब जैसे मुगल शासकों के नेतृत्त्व में, जिनकी गैर-मुस्लिमों के प्रति असहिष्णु और भेदभावपूर्ण नीतियों के साथ-साथ अत्यधिक कराधान ने जनता के एक बड़े हिस्से को अलग-थलग कर दिया, मुगल साम्राज्य के चरित्र को नुकसान पहुँचाया और अंततः इसके पतन की नींव रखी।
परिणामस्वरूप, एडोल्फ हिटलर जैसे नेताओं के अनैतिक या विनाशकारी आदर्शों ने, उनकी शानदार वक्तृत्व कला और उग्र राष्ट्रवादी विचारों के कारण, मूल रूप से एक समृद्ध जर्मनी की छवि पेश की लेकिन जल्द ही वे सैन्य रणनीतियों के प्रति जुनूनी हो गए, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की संभावना बढ़ गई।
इसलिये जब नेता किसी संस्था के चरित्र को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, संगठन के भीतर सभी स्तरों पर व्यक्तियों के योगदान को पहचानना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। CEO से लेकर उपभोक्ताओं तक विभिन्न स्तरों पर प्रतिनिधियों का प्रभावी सहयोग और प्रयास किसी संगठन की सफलता के लिये आवश्यक हैं। नेतृत्त्व विजन को प्रेरित और परिभाषित करता है जबकि प्रबंधन उस विजन को प्राप्त करने के लिये टीम को प्रेरित एवं निर्देशित करता है। प्रभावी नेताओं को चरित्र का प्रदर्शन करना चाहिये, विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण समय के दौरान संस्थान को प्रतिकूल परिस्थितियों से निकालने के लिये, दूसरों को एक साझा लक्ष्य की ओर प्रेरित और नेतृत्त्व करने के लिये।