नवाचार आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण का प्रमुख निर्धारक है | 28 Aug 2024

नवाचार एक नेतृत्वकर्त्ता एवं अनुयायी के मध्य अंतर करता है।

—स्टीव जॉब्स

नवाचार को लंबे समय से आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण के एक महत्त्वपूर्ण प्रेरक के रूप में पहचाना गया है। औद्योगिक क्रांति से लेकर डिजिटल युग तक, प्रौद्योगिकी और सामाजिक नवाचारों ने समाजों के कार्य करने और उन्नति करने के तरीकों को बदल दिया है। नवाचार की भूमिका केवल नए उत्पादों और सेवाओं के विकास तक सीमित नहीं है; यह अर्थव्यवस्थाओं की संरचना को प्रभावित करता है, उत्पादकता को बढ़ाता है और समाज की सबसे ज्वलंत चुनौतियों का समाधान करता है।

आर्थिक विकास के सिद्धांतों में नवाचार ने पिछले कुछ दशकों में प्रमुख भूमिका निभाई है। शास्त्रीय अर्थशास्त्री जैसे एडम स्मिथ और डेविड रिकार्डो ने उत्पादन की गतिशीलता को समझने हेतु आरंभिक प्रयास किये, हालाँकि यह जोसेफ शुम्पीटर थे, जिन्होंने सबसे पहले स्पष्ट रूप से नवाचार को विकास का मुख्य प्रेरक माना।  भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नवाचार ने विकास को प्रेरित करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिये, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के आगमन ने किसानों को बाज़ार, प्रौद्योगिकी और वित्त तक बेहतर पहुँच प्रदान करके सशक्त बनाया है, जिससे उनकी उत्पादकता एवंआय में वृद्धि हुई है। वित्तीय क्षेत्र में नवाचार का एक प्रमुख उदाहरण यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा लॉन्च किया गया UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है, लेनदेन को सहज बना दिया है और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। फ्लिपकार्ट एवं जियोमार्ट जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने भारत के खुदरा परिदृश्य को बदल दिया है। इन कंपनियों ने प्रौद्योगिकी का उपयोग करके लाखों भारतीयों के लिये खरीदारी को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बना दिया है।

आधुनिक आर्थिक विकास मॉडलों में, जैसे कि एंडोजीनस ग्रोथ थ्योरी, नवाचार को एक आंतरिक कारक माना जाता है, जो निरंतर आर्थिक विस्तार को प्रेरित करता है। इन मॉडलों के अनुसार, अनुसंधान और विकास (R&D), शिक्षा और प्रौद्योगिकी में निवेश नवाचार को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जो बदले में उच्च उत्पादकता और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की ओर ले जाता है। बाह्य विकास मॉडल के विपरीत, जो आर्थिक विस्तार को जनसंख्या वृद्धि जैसे बाहरी कारकों से जोड़ते हैं, आंतरिक मॉडल इस बात पर जोर देते हैं कि नवाचार और मानव पूंजी विकास के मुख्य इंजन हैं।

भारत ने अनुसंधान और विकास में अपने निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की है। ओरेकल, आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कई R&D केंद्रों की स्थापना ने जैव प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया है। इस निवेश ने न केवल उत्पादकता में वृद्धि की है, बल्कि उच्च-मूल्य वाली नौकरियों का भी सृजन किया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISERs) जैसी संस्थाओं ने नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये संस्थान अत्यधिक कुशल स्नातकों को तैयार करते हैं, जो विभिन्न उच्च-प्रौद्योगिकी उद्योगों में योगदान करते हैं। डिजिटल बुनियादी ढाँचे में भारत की प्रगति उल्लेखनीय रही है। डिजिटल इंडिया पहल, जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलना है, ने ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स और डिजिटल भुगतान से संबंधित प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने में योगदान दिया है। भारत स्टार्टअप्स का वैश्विक केंद्र बन गया है और बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई जैसे शहर दुनिया के शीर्ष स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्रों में स्थान प्राप्त कर रहे हैं। सरकार के स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने नवाचार और उद्यमिता के लिये एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया है। भारत की पवन और सौर ऊर्जा में प्रगति ने न केवल सतत् विकास में योगदान दिया है बल्कि भारत को वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार में एक अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।

नवाचार कई परस्पर संबंधित तंत्रों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ाता है। सबसे पहले, यह संसाधनों के अधिक कुशल उपयोग के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाता है। उदाहरण के लिये, ऑटोमेशन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में प्रगति ने विनिर्माण से लेकर सेवाओं तक के उद्योगों में महत्त्वपूर्ण उत्पादकता लाभ प्रदान किये हैं। जब कंपनियाँ नवाचार करती हैं, तो वे समान या कम इनपुट के साथ अधिक आउटपुट का उत्पादन कर सकती हैं, जिससे समग्र आर्थिक दक्षता और विकास को बढ़ावा मिलता है।

नवाचार नए उत्पादों, सेवाओं और उद्योगों का निर्माण करके बाज़ारों का विस्तार किया है। डिजिटल क्रांति के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एवं दूरसंचार में नवाचारों ने न केवल मौजूदा क्षेत्रों को बदल दिया है, बल्कि ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और फिनटेक जैसे नए उद्योग भी सृजित किये हैं। ये नए उद्योग रोज़गार सृजन का कार्य करते हैं, निवेश को प्रेरित करते हैं और आर्थिक विविधीकरण में योगदान करते हैं, जिससे वैश्विक आघातों के प्रति अर्थव्यवस्थाओं में अनुकूलनशीलता का विकास हुआ है।

नवाचार प्रतिस्पर्धा और उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है, जो आर्थिक गतिशीलता के लिये आवश्यक हैं। जब नए उद्यम बाज़ार में नवीन उत्पाद या सेवाओं के साथ प्रवेश करते हैं, तो वे स्थापित कंपनियों को चुनौती देते हैं, जिससे वे अपने उत्पादों में सुधार कर पाते हैं और लागत को कम कर पाते हैं। यह प्रतिस्पर्धात्मक दबाव निरंतर सुधार और नवाचार का एक चक्र उत्पन्न करता है, जो आर्थिक विकास में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त, विशेष रूप से उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उद्यम अक्सर रोज़गार सृजन एवं क्षेत्रीय विकास को सुलभ बनाते हैं।

अंततः, नवाचार वैश्विक अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक संरचनात्मक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और जनसांख्यिकीय बदलावों को संबोधित करने हेतु महत्त्वपूर्ण है। नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और सतत् कृषि में नवाचार इन चुनौतियों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के साथ-साथ नए विकास अवसरों को भी सृजित करते हैं। उदाहरण के लिये, हरित प्रौद्योगिकियाँ न केवल पर्यावरणीय क्षति को कम करती हैं, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा अवसंरचना में निवेश को भी प्रेरित करती हैं, जिससे रोज़गार सृजन एवं आर्थिक अनुकूलनशीलता को प्रोत्साहन मिलता है।

हालाँकि आर्थिक विकास राष्ट्रों के लिये एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है, नवाचार का अंतिम लक्ष्य सामाजिक कल्याण और व्यक्तियों तथा समुदायों के कल्याण में योगदान देना है। नवाचार सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचे एवं समग्र जीवन की गुणवत्ता में योगदान के माध्यम से सामाजिक कल्याण को नाटकीय रूप से सुधार सकता है। 

सामाजिक कल्याण पर नवाचार के सबसे गहरे प्रभावों में से एक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में है। चिकित्सा प्रौद्योगिकियों, फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणालियों में प्रगति ने जीवन प्रत्याशा में महत्त्वपूर्ण वृद्धि की है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है। टीके, एंटीबायोटिक्स और आधुनिक सर्जिकल तकनीकों जैसे नवाचारों ने उन बीमारियों को समाप्त या नियंत्रित कर दिया है जो एक बार जनसंख्या के लिये अस्तित्वगत खतरे उत्पन्न करती थीं। हाल ही में, डिजिटल स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन और व्यक्तिगत चिकित्सा में नवाचार स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण के तरीके को बदल रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक सुलभ और कुशल बनाया जा रहा है।

COVID-19 महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में नवाचार की भूमिका को उज़ागर किया। mRNA टीकों के तेजी से विकास ने जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा अनुसंधान में दशकों के निवेश की यथार्थता को सिद्ध किया। कुछ महीनों में, नवाचारी वैज्ञानिक दृष्टिकोणों ने लाखों लोगों की जान बचाने और महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में मदद की। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवा में AI और बिग डेटा का समायोजन अधिक सटीक निदान, पूर्वानुमान विश्लेषण और अनुकूलित उपचार सक्षम कर रहा है, जिससे रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और स्वास्थ्य सेवा की लागत कम हो रही है।

शिक्षा भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ नवाचार सामाजिक कल्याण को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, AI-आधारित व्यक्तिगत शिक्षा और वर्चुअल रियलिटी (VR) सिमुलेशन जैसे शैक्षिक प्रौद्योगिकियों में प्रगति ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास तक पहुँच को लोकतांत्रिक बना दिया है। ये नवाचार कम सेवा वाले समुदायों के विद्यार्थियों को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिये आवश्यक उपकरण

स्मार्ट शहर, जो IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) प्रौद्योगिकियों, बिग डेटा और AI का उपयोग करते हैं, शासन, परिवहन और सेवा प्रदायगी की विधियों को रूपांतरित कर रहे हैं। नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट ग्रिड और धारणीय निर्माण प्रथाओं में नवाचार शहरों को उनके कार्बन उत्सर्जन को कम करने एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक अनुकूलनशीलता के निर्माण में मदद कर रहे हैं। ये विकास शहरी निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, प्रदूषण को कम करते हैं, गतिशीलता को बढ़ाते हैं एवं अधिक प्रभावी सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करते हैं।

साथ ही, सार्वजनिक परिवहन में नवाचार, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EVs), ऑटोनोमस व्हीकल और उच्च गति रेल, शहरों को अधिक सुलभ बना रहे हैं और शहरीकरण के पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर रहे हैं। शहरी बुनियादी ढाँचे की दक्षता और स्थिरता में सुधार करके, नवाचार तेजी से बढ़ रहे विकासशील देशों के शहरों में रहने वाले लोगों के लिये जीवन स्तर को बेहतर बना सकता है।

नवाचार निस्संदेह आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण का एक महत्त्वपूर्ण निर्धारक है। यह उत्पादकता बढ़ाने, नवीन उद्योगों का सृजन करने और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता के माध्यम से दीर्घकालिक आर्थिक विस्तार को प्रेरित करता है और व्यक्तियों एवं समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। हालाँकि, नवाचार को बढ़ावा देने के मार्ग में कई चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं, जिसमें अनुसंधान और विकास (R&D) में पर्याप्त निवेश सुनिश्चित करना, कौशल की असंगतियों को हल करना और जटिल नियामक और नैतिक परिदृश्यों का प्रबंधन करना शामिल है। सरकारें नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिये उपयुक्त परिस्थितियाँ बनाने, इसके लाभों को व्यापक रूप से साझा करने और तकनीकी परिवर्तन से जुड़े जोखिमों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

यदि आप हमेशा वही करेंगे जो आप हमेशा करते आये हैं, तो आपको हमेशा वही मिलेगा जो आपको हमेशा मिलता आया है।

—अल्बर्ट आइंस्टीन