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मुख्य परीक्षा


मुख्य परीक्षा

मुख्य परीक्षा का फॉर्म कैसे भरें?

  • 10 Sep 2018
  • 30 min read

मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरते समय क्या सावधानियाँ बरतें ?

आवश्यकता क्यों ?

  • हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के तुरंत बाद सफल उम्मीदवारों के सामने एक परेशानी यह आती है कि वे मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरते समय क्या सावधानियाँ बरतें? ये सावधानियाँ इसलिये  ज़रूरी हैं क्योंकि इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य इसी फॉर्म की जानकारियों के आधार पर आपसे सवाल-जवाब करते हैं और आपका मूल्यांकन करते हैं।

  • हम हर वर्ष इंटरव्यू के समय ऐसे उम्मीदवारों को देखते हैं जिन्हें अफसोस होता है कि उन्होंने मुख्य परीक्षा के फॉर्म में कोई बात क्यों लिख दी थी? कई बार यह अफसोस अंतिम परिणाम के बाद होता है क्योंकि विभिन्न सेवाओं या राज्यों के संबंध में गलत प्राथमिकता भर देने के कारण व्यक्ति की पूरी ज़िंदगी दाँव पर लग जाती है। 

  • कुछ सफल अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने लापरवाही से आई.ए.एस. (भारतीय प्रशासनिक सेवा) के बाद आई.एफ.एस. (भारतीय विदेश सेवा) को अपनी वरीयता सूची में लिख दिया था और संयोग ऐसा बना कि उन्हें वही सेवा मिल गई। उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि वे देश के भीतर रहना और कोई महत्त्वपूर्ण कार्य करना चाहते हैं पर उनकी सेवा में ऐसा मौका मिल नहीं पाता। 

  • वे इतना साहस भी नहीं कर पाते कि नौकरी को छोड़कर पुनः परीक्षा दे दें क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वे पुनः सफल होंगे। बाकी सेवाओं में रहते हुए तो उम्मीदवार पुनः इस परीक्षा में बैठ सकता है किंतु नियम है कि अगर कोई उम्मीदवार  भारतीय विदेश सेवा के लिये  चयनित हो गया है तो वह इस्तीफा देकर ही इस परीक्षा में पुनः बैठ सकता है। 

  • यह और ऐसी ही कई अन्य गलतियाँ हैं जो फॉर्म भरते समय उम्मीदवारों से हो जाती हैं और बाद में उन्हें निरंतर परेशान करती हैं। 

  • मूल समस्या यह है कि फॉर्म भरते समय उम्मीदवारों को विभिन्न सेवाओं आदि से संबंधित अधिकांश पक्षों की जानकारी ही नहीं होती और जानकारी के इसी अभाव के कारण वे ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं। 

  • कुछ वर्ष पहले तक उम्मीदवारों को यह मौका मिलता था कि वे इंटरव्यू के समय अपनी सेवा संबंधी वरीयताएँ बदल सकते थे पर अब ऐसा नहीं है। इसलिये  यह और ज़रूरी हो जाता है कि मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरते समय हम लापरवाही न करें। 

  • वर्तमान भारत सरकार इन नियमों को लचीला बनाने पर विचार कर रही है (जैसे यह कि उम्मीदवार अपनी सेवा या राज्य संबंधी वरीयताएँ बदल सकें) किंतु जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक तो उम्मीदवारों को विशेष सावधानी बरतनी ही चाहिये।

फॉर्म के विभिन्न खंडों से जुड़ी समस्याएँ और अपेक्षित सावधानियाँ

अभिरुचियाँ (Hobbies)

  • जो प्रश्न मुख्य परीक्षा के उम्मीदवारों को सबसे ज़्यादा परेशान करता है, वह यही है कि वे अभिरुचियों के अंतर्गत कुछ भरें या नहीं; और अगर भरें तो क्या भरें?

  • गौरतलब है कि मुख्य परीक्षा के फॉर्म में प्रश्न संख्या 18 (डी) का संबंध रुचियों से है। इसकी भाषा है- ‘अन्य पाठ्येतर गतिविधियाँ व रुचियाँ (जैसे कि अभिरुचियाँ आदि)’ [Other Extra Curricular Activities and Interests (Such as hobbies etc.)]। 

  • इस प्रश्न का भाव है कि उम्मीदवार ने पढ़ाई के अलावा किन गतिविधियों में हिस्सा लिया है या उसकी रुचि अथवा अभिरुचि किन विषयों में रही है?

  • चूँकि इंटरव्यू में प्रायः रुचियों से जुड़े प्रश्न ठीक-ठाक संख्या में पूछे जाते हैं, इसलिये  कई उम्मीदवार इस बात से बेहद डरे रहते हैं कि वे इस कॉलम में क्या लिखें? कई उम्मीदवार तो घबराहट के मारे इस कॉलम को खाली ही छोड़ देते हैं।

  • इस संबंध में हमारी सबसे पहली सलाह यह है कि आप भूल कर भी इस कॉलम को खाली न छोड़ें। इस कॉलम के खाली होने का मतलब है कि आप पढ़ाई के अलावा कुछ भी करना पसंद नहीं करते। 

  • याद रहे कि इंटरव्यू बोर्ड ऐसे प्रत्याशियों की तलाश करता है जो सामान्य जीवन के प्रति सहज और ज़िंदादिल हैं। उसे ऐसे उम्मीदवार बिल्कुल पसंद नहीं आते जो सामान्य जीवन के प्रति अरुचि या असहजता का प्रदर्शन करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार अपनी कोई रुचि नहीं लिखता है तो उसके बारे में इंटरव्यू बोर्ड में बेहद नकारात्मक छवि बन जाती है।

  • दूसरा प्रश्न है कि अगर रुचि लिखनी ही है तो एक रुचि लिखी जाए या एक से अधिक रुचियाँ भी लिखी जा सकती हैं? इस संबंध में आपको खुद ही निर्णय करना चाहिये । अगर आप एक ही रुचि के संबंध में सहज हैं तो एक ही लिखें और यदि एक से अधिक में सहज हैं तो उन सभी का ज़िक्र करें। कोशिश करनी चाहिये  कि 2-3 से अधिक रुचियाँ न लिखी जाएँ। अधिक रुचियाँ लिखने से एक तो उम्मीदवार के जटिल प्रश्नों में फँसने की संभावना बढ़ जाती है और दूसरी संभावना यह भी बनती है कि बहुत सी रुचियाँ देखकर इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य उस ओर ध्यान न दें।

  • अब सवाल है कि कौन सी रुचियाँ भरने योग्य हैं और कौन सी नहीं? अच्छी रुचियाँ वे हैं जो आपको एक सहज व्यक्ति के तौर पर प्रदर्शित करती हैं, न कि आपके ऊपर महानता का आवरण चढ़ाती हैं। उदाहरण के लिये , ‘फिल्में देखना’ या ‘चित्रकारी करना’ अच्छी रुचियाँ मानी जाती हैं किंतु जब कोई उम्मीदवार रुचियों के नाम पर ‘बूढ़ों की सेवा करना’, ‘विकलांगों की सहायता करना’, ‘बच्चों से बातचीत करना और उन्हें पढ़ाना’ जैसी बातें लिखता है तो इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों के मन में उसके प्रति अच्छी छवि नहीं बनती। उन्हें महसूस होता है कि यह उम्मीदवार उन्हें प्रभावित करने के लिये  झूठ और कपट का सहारा ले रहा है। अतः रुचियों के अंतर्गत खुद को महान बताने से बचना चाहिये ।

  • अच्छी रुचियाँ वे होंगी जो बोर्ड सदस्यों के भीतर जिज्ञासा पैदा करें। अगर आप चाहते हैं कि आपसे रुचियों पर बात की जाए तो कुछ ऐसा लिखें कि बोर्ड के सदस्य उस विषय पर बात करने को उत्सुक हो जाएँ। उदाहरण के लिये , अगर कोई उम्मीदवार ‘नई तकनीकों को समझना’, ‘साहसिक खेल खेलना’, ‘पशु-पक्षियों के स्वभाव को समझना’ जैसी कोई रुचि लिखता है तो तय हो जाता है कि उसके इंटरव्यू में रुचियों पर चर्चा होगी और अगर वह चर्चा को रुचिकर बना पाया तो 30 मिनट के इंटरव्यू में 10-15 मिनट तक उसी विषय पर चर्चा को केंद्रित रख सकेगा जो उसके लिये  बेहद लाभदायक सिद्ध हो सकता है। 

  • अगर आप चाहते हैं कि आपसे रुचियों पर प्रश्न न पूछे जाएँ तो आप ऐसी रुचियाँ लिखें जिन्हें पढ़कर बोर्ड के सदस्यों के मन में कोई जिज्ञासा या उत्साह पैदा न हो। ‘योग करना’, ‘सैर करना’, ‘अखबार पढ़ना’, ‘क्रिकेट खेलना’, ‘उपन्यास पढ़ना’ जैसी रुचियाँ इतनी प्रचलित हैं कि लगभग हर दूसरा उम्मीदवार इन्हीं में से कोई रुचि लिखता है। कभी-कभी सदस्य इन रुचियों पर बात कर लेते हैं किंतु सहज मनोविज्ञान यही है कि उनके मन में ऐसे विषयों पर बातचीत करने के लिये  उत्साह पैदा नहीं होता।

रुचियों के संबंध में कुछ सामान्य बातें 

  • ऐसी रुचि न लिखें जो आपके अभिजात वर्ग से होने को सूचित करती हो, जैसे ‘कार रेसिंग में भाग लेना’, ‘घुड़सवारी करना’, ‘देश-विदेश में भ्रमण करना’ इत्यादि। (अगर आप देश-विदेश में भ्रमण अपनी आय से करते हैं तो डरने की आवश्यकता नहीं है। माता-पिता के धन के आधार पर चलने वाली रुचियों को लिखने से बचना चाहिये ।)

  • ऐसी रुचि न लिखें जो समाज के खिलाफ जाने का संकेत करती हो, जैसे ‘नए-नए हथियारों का संग्रह करना’, ‘स्मोकिंग करना’, ‘तेज़ गति में ड्राइविंग करना’ इत्यादि।

  • वही रुचि लिखें जिस पर आपकी ठीक-ठाक समझ हो। बोर्ड के सदस्य आपसे अपनी रुचि के संबंध में किसी विशेषज्ञता की उम्मीद नहीं करते। वे सिर्फ इतना चाहते हैं कि जो कार्य करना आपको अच्छा लगता है, उसके संबंध में आप उन प्रश्नों का जवाब ज़रूर दें जो सामान्य जानकारियों से जुड़े हैं। उदाहरण के लिये , अगर आप ‘फिल्म देखना’ अपनी रुचि बताते हैं तो आप यह नहीं कह सकते कि ‘मैं गुरुदत्त या राज कपूर की फिल्मों के बारे में नहीं जानता हूँ’। इसका एक तरीका यह भी है कि आप मुख्य परीक्षा देने के बाद अपनी रुचि से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ इकट्ठी कर लें। इसके लिये  3-4 दिन की मेहनत पर्याप्त होनी चाहिये।

  • जहाँ तक संभव हो, अपनी रुचि का क्षेत्र सीमित और स्पष्ट रखना चाहिये। उदाहरण के लिये , अगर आप सिर्फ मनोरंजन के लिये  फिल्में देखते हैं और सिर्फ आजकल की फिल्में ही देखते हैं तो अपनी रुचि में ‘फिल्म देखना’ जैसी व्यापक बात न लिखें। आपको लिखना चाहिये - ‘समकालीन मनोरंजनपरक फिल्में देखना’। ऐसा होने पर बोर्ड के सदस्य आपसे बहुत दूर-दराज के प्रश्न नहीं पूछेंगे; और अगर पूछेंगे भी तो आपका माफी मांगना उचित होगा क्योंकि आपकी रुचि का क्षेत्र सीमित था। कुछ अन्य उदाहरण लें तो ‘उपन्यास पढ़ना’ से बेहतर होगा कि ‘पिछले दो दशकों के उपन्यास पढ़ना’ लिखा जाए।

  • अगर आपके पास कोई ऐसी रुचि नहीं है जिस पर आप बात कर सकें तो बेहतर होगा कि आप कोई ऐसी रुचि लिख दें जिस पर बहुत अधिक प्रश्न न बनते हों; और बनते भी हों तो उनके जवाब आसानी से दिए जा सकते हों। ऐसी कुछ रुचियाँ हैं- ‘पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना’, ‘पत्र लिखना’, ‘मंच पर कविता पाठ करना’, ‘चुटकुले सुनना और सुनाना’, ‘साइकिल चलाना’, ‘व्यायाम करना’, ‘दोस्तों से बातचीत करना’ इत्यादि। इनमें से जो आपके व्यक्तित्व से जुड़ती हो, आप वह लिख दें।

वीडिओ देखें : मुख्य परीक्षा का फॉर्म (DAF) में हॉबी भरते समय किन बातों का रखें ध्यान।

सेवा संबंधी वरीयताएँ (Service Preferences)

  • सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम के आधार पर लगभग 22-25 सेवाओं का आबंटन किया जाता है जिनमें से 2 (I.A.S. तथा I.P.S.) अखिल भारतीय सेवाएँ हैं जबकि शेष सभी केंद्रीय सेवाएँ। उम्मीदवार को वही सेवा मिलती है जो उसके रैंक तथा उसकी वरीयता सूची के आधार पर उसके हिस्से में आती है। 

  • उम्मीदवारों को सभी सेवाओं के सामने वरीयता-क्रम भरना चाहिये, किसी भी सेवा को छोड़ना नहीं चाहिये । 

  • कुछ उम्मीदवार अति-आत्मविश्वास के शिकार होकर कुछ ही सेवाओं को भरते हैं। सरकार की दृष्टि में इसका अर्थ यह है कि अगर आपको उन सेवाओं में से कोई नहीं मिलती है तो शेष सभी सेवाएँ आपके लिये बराबर हैं। अगर आपका रैंक कुछ पीछे रह गया तो सरकार पहले आपसे पीछे के रैंक वाले अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता के अनुसार सेवा आबंटित करेगी और अंत में जिस भी सेवा में कोई स्थान बचेगा, वह आपको आबंटित कर दी जाएगी। 

  • कई बार ऐसा होता है कि अच्छा रैंक आने के बावजूद कोई अभ्यर्थी बहुत प्रभावहीन सेवा में चला जाता है क्योंकि उसने कुछ ही वरीयताएँ भरी थीं या गलत वरीयता-क्रम भर दिया था।

  • अगर आप पहले से किसी सेवा मे हैं तो बेहतर है कि आप अपनी वरीयता सूची में उतनी ही सेवाएँ भरें जिनमें आपकी रुचि है। उदाहरण के लिये , अगर आप पहले से भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में चयनित हैं तो स्वाभाविक तौर पर आपको 2 या 3 सेवाएँ ही भरनी चाहिये।

  • अगर आप किसी सेवा के लिये स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अयोग्य हैं तो आप उस सेवा को छोड़ भी सकते हैं और चाहें तो भर भी सकते हैं। अगर आपने वह विकल्प भरा है और स्वास्थ्य परीक्षण में आप उसके लिये अयोग्य घोषित हो जाते हैं तो आपको अपने आप वरीयता सूची में वर्णित अगली सेवा मिल जाएगी। उदाहरण के लिये, अगर आपकी लंबाई आई.पी.एस. के लिये  पर्याप्त नहीं है और आपने वरीयता सूची में दूसरे क्रम पर आई.पी.एस. तथा तीसरे क्रम पर आई.आर.एस. को भरा है तो आई.पी.एस. में अयोग्य होने पर आपको आई.आर.एस. में अपने आप स्थान मिल जाएगा, बशर्ते आपका रैंक उसके लिये  पर्याप्त हो। 

  • वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति की सेवा संबंधी वरीयताएँ अलग होती हैं, किंतु फिर भी विभिन्न सेवाओं में मिलने वाले अवसरों, सुविधाओं और करियर-ग्रोथ जैसे मानकों के आधार पर एक सामान्य वरीयता-क्रम बनाया जा सकता है। अपनी रुचि के अनुसार आवश्यक संशोधन करते हुए आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।

 सेवा/पद का नाम    
(Name of Service/Post)

 क्रम (Order)

 Indian Administrative Service

 1

 Indian Foreign Service

 3

 Indian Police Service

 2

 Indian P & T Accounts & Finance Service, Group A

 18 

 Indian Audit & Accounts Service, Group A

 7 

 (I.R.S.) Indian Customs and Central Excise Service Group-A

 5 

 Indian Defence Accounts Service, Group A

 15 

 Indian Revenue Service (IT) Gr-A

 4 

 Indian Ordnance Factories Service, Group A (Asstt. Works Manager, Administration)

 21 

 Indian Postal Service, Group-A

 20 

 Indian Civil Acc. Service, Gr-A

 9 

 Indian Railway Traffic Service, Group A

 6 

 Indian Railway Accounts Service, Group A

 8 

 Indian Railway Personnel Service, Group A

 10 

 Asst. Security Commissioner, Group-A in Rail. Prot. Force

 11 

 Indian Defence Estates Service, Group A

 12 

 Indian Information Service, Jr. Grade Group A

 19 

 Indian Trade Service, Gruop A (Grade III)

 17 

 Indian Coporate Law Service, Group A

 16

 Armed Forces Headquarters Services, Group-B (Sec. Off.)

 22

 Delhi, Andaman-Nicobar, Lakshadweep, Daman-Diu and Dadra-Nagar Haveli Civil Service, Group B

 14 

 Delhi, Andaman-Nicobar, Lakshadweep, Daman-Diu and Dadra-Nagar Haveli Police Service, Group B

 13 

 Pondicherry Police Service, Group B

 23 

  • इस सूची में आई.पी.एस. को दूसरे क्रम पर रखा गया है और आई.एफ.एस. को तीसरे क्रम पर। हमारी समझ है कि हिंदी माध्यम के उम्मीदवार प्रायः आई.एफ.एस. में नहीं जाना चाहते। जो उम्मीदवार शारीरिक दृष्टि से आई.पी.एस. के लिये  योग्य है, वह इस क्रम को निश्चिंत होकर भर सकता है क्योंकि अगर उसे आई.पी.एस. नहीं मिलेगा तो आई.एफ.एस. भी नहीं मिलेगा क्योंकि आई.एफ.एस. की कट-ऑफ आई.पी.एस. से ऊँची होती है। ऐसी स्थिति में उसे अपने आप चौथी वरीयता वाली सेवा मिल जाएगी। 

  • किंतु अगर कोई उम्मीदवार आई.पी.एस. के लिये  अयोग्य हो जाए और उसका रैंक इतना अच्छा हो कि वह आई.ए.एस. में तो न आ पा रहा हो किंतु आई.एफ.एस. की कट-ऑफ से ऊपर हो तो वह आई.एफ.एस. में चुन लिया जाएगा और अगर उसकी रुचि इस सेवा में नहीं है तो वह जीवन भर परेशान रहेगा। इस संभावना से बचने के लिये  बेहतर होगा कि वे अभ्यर्थी (जो आई.पी.एस. के लिये  शारीरिक रूप से अयोग्य हैं और आई.एफ.एस. में नहीं जाना चाहते हैं) आई.एफ.एस. को आई.आर.एस. के बाद रखें।

  • इसी प्रकार, इस वरीयता क्रम में दिल्ली से जुड़ी 2 सेवाओं डानिक्स और डानिप्स को क्रमशः 14वें और 13वें क्रम पर रखा गया है। जो उम्मीदवार दिल्ली में रहने की इच्छा रखते हों, वे इन सेवाओं को और ऊँची वरीयता दे सकते हैं जबकि जिन्हें दिल्ली से कोई लगाव नहीं है, वे इन्हें कुछ नीचे कर सकते हैं।

वीडिओ देखें : मुख्य परीक्षा का फॉर्म (DAF) में सेवा संबंधी वरीयताओं को भरते समय किन बातों का रखें ध्यान।

राज्य संबंधी वरीयताएँ (State Preferences)

  • पिछले कुछ वर्षों से लागू व्यवस्था के तहत उम्मीदवारों को यह वरीयता-क्रम देना होता है कि अगर उन्हें आई.ए.एस. या आई.पी.एस. अर्थात् किसी अखिल भारतीय सेवा में शामिल किया जाता है तो वे अपने काडर के तौर पर विभिन्न राज्यों को किस क्रम में चुनना चाहेंगे? 5-7 वर्ष पहले तक काडर मिलना सिर्फ तुक्के पर आधारित होता था किंतु अब वरीयता-क्रम की व्यवस्था लागू होने के कारण अधिकांश उम्मीदवारों को अपने राज्य या उसके आस-पास के किसी राज्य में काम करने का मौका मिल जाता है।

  • इस संबंध में अभ्यर्थियों को यह सलाह दी जाती है कि वे सभी राज्यों के सामने वरीयता क्रम लिखें। आम तौर पर उन्हें अपने राज्य को पहले क्रम पर रखना चाहिये किंतु अगर उनके पास कोई ठोस कारण हो तो ऐसा नहीं भी कर सकते हैं। 

  • राज्यों का क्रम तय करते हुए प्रायः उम्मीदवार यही तर्क ध्यान में रखते हैं कि कौन सा राज्य उनके गृह राज्य के निकट है। यह आधार सही है, साथ ही कुछ अन्य आधार भी ध्यान में रखे जाएँ तो बेहतर है क्योंकि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न कार्य संस्कृतियाँ हैं। कई बार दूर-दराज के राज्य सेवा संबंधी संतुष्टि की दृष्टि से गृह राज्य या आस-पड़ोस के राज्यों से बेहतर साबित होते हैं। कुछ अन्य कारक भी महत्त्वपूर्ण हैं, जैसे हरियाणा और पंजाब को दिल्ली के निकट होने और अच्छी परिवहन सुविधाओं आदि के कारण कई लोग वरीयता देते हैं।

  • राज्य संबंधी वरीयताएँ भी हर व्यक्ति की अलग हो सकती हैं किंतु ऊपर बताए गए आधारों पर हमने एक सूची तैयार की है। उम्मीदवारों को चाहिये  कि इसमें अपने हिसाब से कुछ परिवर्तन कर लें, जैसे-
    1. पहले क्रम पर उन्हें अपने गृह राज्य को रखना चाहिये। अगर किसी कारण से आप गृह राज्य में काम नहीं करना चाहते तो उसे छोड़ भी सकते हैं।
    2. उसके बाद अपने आस-पड़ोस के राज्यों को रखना चाहिये । अगर आस-पड़ोस के राज्यों में कोई गंभीर संकट या आपकी अरुचि है तो उन्हें छोड़ भी सकते हैं।
    3. उसके बाद सामान्यतः अपने गृह राज्य से दूरी तथा परिवहन सुविधाओं के आधार पर आपको इस सूची में बदलाव कर लेना चाहिये ।
    4. अगर आपको पहाड़ी राज्यों या जनजाति बहुल राज्यों से विशेष लगाव या अलगाव है तो उसके आधार पर भी सूची को संशोधित कर सकते हैं।
    5. इस सूची में कुछ स्थानों पर आई.ए.एस. तथा आई.पी.एस. के लिये  राज्यों के वरीयता क्रम को अलग-अलग रखा गया है। इसका आधार यह है कि उस राज्य विशेष में इन दोनों सेवाओं की तुलनात्मक स्थिति क्या है? उदाहरण के लिये , आग्मुट काडर (अर्थात् दिल्ली, अन्य केंद्रशासित प्रदेश तथा कुछ अन्य राज्य) को आई.पी.एस. के लिये ज़्यादा ऊँची वरीयता दी गई है क्योंकि इस काडर की अधिकांश पोस्टिंग्स दिल्ली में होती हैं और दिल्ली पुलिस पर सीधे केंद्र सरकार का नियंत्रण होने के कारण उसके अधिकारी अन्य राज्यों की पुलिस की तुलना मेंज़्यादा स्वायत्तता के साथ कार्य कर पाते हैं।
    6. यह क्रम उत्तर भारत के हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। अगर आप किसी अन्य क्षेत्र से हैं तो आपको इस सूची में गंभीर बदलाव कर लेने चाहिये।

कृपया फॉर्म भरते समय निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान दें-

  • वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ (Spelling Mistakes) भूलकर भी न करें। कभी-कभी पूरा इंटरव्यू ऐसी गलतियों की भेंट चढ़ जाता है।

  • अगर आपका स्थायी पता किसी ग्रामीण क्षेत्र का है तो वही दें क्योंकि ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को इंटरव्यू में कुछ लाभ मिलने की संभावना रहती है।

  • अगर आप दिल्ली या इलाहाबाद जैसे शहर में रहकर तैयारी कर रहे हैं तो भी बेहतर होगा कि अपना वर्तमान पता वही बताएँ जहाँ आपके माता-पिता रहते हैं या जहाँ आप पढ़ाई या नौकरी करते रहे हैं। यह बात सामने नहीं आनी चाहिये  कि आप इस परीक्षा की तैयारी के लिये  दिल्ली जैसे शहर में रह रहे हैं।

  • अगर आपने स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद कोई अतिरिक्त डिग्री हासिल की है तो सामान्यतः उसकी जानकारी दी जानी चाहिये। अगर आप उसमें सहज हैं तो जानकारी ज़रूर दें ताकि यह न लगे कि आप कई वर्षों से खाली बैठे हैं। हाँ, यदि आपने एल.एल.बी. या एम.सी.ए. जैसी कोई तकनीकी डिग्री ली है और उसकी अवधारणाओं व जानकारियों से आप एकदम वंचित हैं तो ऐसी डिग्री की चर्चा करने से बचें।

  • अगर आपने कहीं नौकरी की है तो उपयुक्त कॉलम में उसकी चर्चा ज़रूर करें। इससे इंटरव्यू बोर्ड पर अच्छा असर पड़ता है। बस शर्त यह है कि आपके पास नौकरी संबंधी प्रमाण व बुनियादी जानकारी होनी चाहिये । कई लोग तो गैप-ईयर की समस्या से बचने के लिये  नौकरी के प्रमाण-पत्र बनवा लेते हैं और बोर्ड को आश्वस्त भी कर देते हैं।

  • परीक्षा के केंद्र से परिणाम पर कैसा असर पड़ेगा, इसके संबंध में कोई अनिवार्य निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। कुछ लोगों को दिल्ली केंद्र पर लाभ महसूस हुआ है तो कुछ को छोटे केंद्रों पर। सामान्य मान्यता है कि छोटे केंद्रों पर तुलनात्मक रूप से कुछ लाभ मिल जाता है। अगर आपके पास सुविधा हो तो दिल्ली की बजाय जयपुर, भोपाल, इलाहाबाद जैसा परीक्षा केंद्र चुन सकते हैं, हालाँकि इससे फायदा होने की कोई गारंटी नहीं है।

  • अगर आप पहले दी गई सिविल सेवा या अन्य परीक्षाओं के अनुक्रमांक भूल गए हैं तो डरें नहीं। केवल परीक्षा का वर्ष और नाम लिखकर छोड़ दें।

  • आशा है कि ये जानकारियाँ आपके लिये  उपयोगी साबित होंगी।

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