सामान्य अध्ययन- 4 (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा, और अभिरुचि)
एथिक्स (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा, और अभिरुचि)
वर्ष 2013 से मुख्य परीक्षा के बदले हुए पाठ्यक्रम में सामान्य अध्ययन के चौथे प्रश्नपत्र के रूप में ‘नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि’ को शामिल किया गया, जिसे प्रचलित रूप में ‘एथिक्स’ (Ethics) के नाम से भी जाना जाता है।
यह प्रश्नपत्र अपनी मूल प्रवृत्ति में बहुत ही रचनात्मक और मौलिक है। पिछले दो वर्षों के एथिक्स के प्रश्नपत्र को उठाकर देखें तो पाएंगे कि इस प्रश्नपत्र में ऐसा कुछ भी नहीं पूछा जाता है जिसके लिये उम्मीदवार को बहुत रटने की आवश्यकता हो, या कि प्रश्न इतने कठिन हों कि उम्मीदवार की समझ के बाहर हों।
ईमानदारी, नैतिकता, सत्यनिष्ठा और संवेदना जैसे गुण कहीं से आयातित नहीं किये जा सकते और न ही कोई आपको जबरदस्ती ये गुण सिखा सकता है। ये गुण स्वतः स्फूर्त और स्वप्रेरणा से ही आते हैं।
एक सिविल सेवक के रूप में ऐसे गुणों की अपेक्षा और अधिक बढ़ जाती है, और इस प्रश्नपत्र का प्रमुख उद्देश्य भी आप में ऐसे ही गुणों की जाँच करना है।
अब सवाल यह उठता है कि प्रारंभिक परीक्षा के बाद बचे हुए दिनों में इस प्रश्नपत्र की तैयारी के लिये क्या रणनीति अपनाई जाए कौन-कौन सी किताबें पढ़ी जाएँ?
सामान्य तौर पर एथिक्स के प्रश्नपत्र में अब तक दो खंडों में प्रश्न पूछे गए हैं। खंड ‘क’ में ‘नैतिकता’, ‘सत्यनिष्ठा’, ‘ईमानदारी’, ‘लोक प्रशासन में पारदर्शिता’ ‘सिविल सेवकों की जवाबदेही’, ‘महापुरुषों के नैतिक विचार व उनके जीवन आदर्श’, ‘भावनात्मक समझ’, ‘शासन व्यवस्था में ईमानदारी’ जैसे मुद्दे जिनकी सामान्य समझ एक सिविल सेवक से अपेक्षित है, से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इस खंड में आमतौर पर 13 से 15 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनकी शब्द सीमा अधिकतम 150 शब्द होती है।
वहीं दूसरा खंड ‘ख’ केस स्टडीज़ का होता है जिसमें द्वंद्व से जुड़ी सामाजिक समस्याओं से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं और आपसे उनके युक्तियुक्त समाधान की अपेक्षा की जाती है।
एक सिविल सेवक के रूप में आपको कदम-कदम पर ऐसी चुनौतियों, द्वंद्वों का सामना करना है जहाँ एक तरफ आपका कोई बहुत नज़दीकी है और दूसरी तरफ कोई बहुत ज़रूरतमंद आम जन, और आपको किसी एक के हित में निर्णय लेना है। यानी एक तरफ आपका कर्त्तव्य और दूसरी तरफ आपके निजी संबंध।
ऐसे में आप क्या निर्णय लेते हैं, परीक्षक इसका मूल्यांकन करता है। इन प्रश्नों में कई बार आपको समस्या समाधान के विकल्प दिये जाते हैं तो कई बार केवल समस्या दी जाती है, न कि उसके विकल्प। सामान्य तौर पर इनकी सीमा 250 शब्दों की होती है।
‘एथिक्स’ के प्रश्नपत्र में ऐसी कोई किताब नहीं है जिसे पढ़कर आप इस विषय में माहिर हो जाएँ। ‘एथिक्स’ का पाठ्यक्रम बहुत व्यापक है और आपसे इस बात की मांग करता है कि दैनिक जीवन की सामान्य घटनाओं पर नज़र बनाए रखें। एक सिविल सेवक के रूप में उनके समाधान ढूँढ़ने की कोशिश करें।
इसके लिये विश्व व भारत के प्रसिद्ध नैतिक विचारकों और दार्शनिक चिंतकों के विचारों को पढ़ने की कोशिश करें। ज़्यादातर प्रश्न आपकी सामान्य समझ पर ही आधारित होते हैं। पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों व मॉडल प्रश्नपत्रों का नियत समय में अधिक से अधिक अभ्यास करें।
केस स्टडीज़ में ऐसे समाधान बिल्कुल न बताएँ जो एक सिविल सेवक के ईमानदार आचरण के विरुद्ध हों, किसी भी रूप में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हों, संविधान व कानून का विरोध करते हों, निजी स्वार्थों को आम जन के हितों से ऊपर रखते हों।
आपको अपना ‘एटीट्यूड’ (Attitude) व ‘एप्टीट्यूड’ (Aptitude) दोनों नैतिक, संवेदनायुक्त और भ्रष्टाचार विरोधी रखने हैं, ताकि आम जन आपकी उपस्थिति में आश्वस्त व सुरक्षित महसूस करें व अपराधी डरें। आपको अपने जवाब में भी इसी तरह के विचार प्रस्तुत करने हैं।