सामान्य अध्ययन- 3 (प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव के बाद अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी खंड से संबंधित प्रश्न कुछ निश्चित क्षेत्रों से पूछे जाने लगे हैं। इनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरूकता शामिल हैं।
पिछले 2-3 वर्षों से सिविल सेवा परीक्षा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी खंड से पूछे जाने वाले प्रश्न समसामयिक प्रकृति के रहे हैं। उनमें किसी विशेष ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। वे घटनाओं की सामान्य समझ और मुद्दों के संदर्भ में तथ्य व सूचनाओं की मांग करते हैं। विभिन्न तथ्यों व सूचनाओं के आधार पर विश्लेषण करना वांछनीय समझा जाता है।
उदाहरण के लिये, यदि अभ्यर्थी से पूछा जाए कि प्लाज्मा पायरोलिसिस (Plasma pyrolysis) तकनीक से आप क्या समझते हैं? अपशिष्ट निपटान में इसके अनुप्रयोगों की चर्चा करें। दूसरे शब्दों में, इस तकनीक की ऐसी विशिष्टताओं का उल्लेख करें जिनसे स्पष्ट होता हो कि यह विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के निस्तारण में सहायक हो सकती है, तो ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने के लिये तथ्य व सूचना का होना आवश्यक है। अक्सर सिविल सेवा परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी समाचार-पत्रों में ऐसी नई-नई तकनीकों, उनकी कार्यप्रणाली, उनसे सफलता व असफलता मिलने की संभावनाओं के बारे में चर्चाएँ प्रकाशित की जाती हैं। इन स्रोतों से महत्त्वपूर्ण मुद्दों को तैयार किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के रोगों और उनसे जुड़े अनुसंधानों के बारे में भी सूचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। उदाहरण के लिये, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus), रोटा वायरस (Rota virus), रेट्ट सिंड्रोम (Rett syndrome), सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) आदि। इनसे संबंधित प्रश्न मुख्य परीक्षा में पूछे जाते हैं।
अभ्यर्थियों को चाहिये कि वे मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अनुरूप चर्चा में रहे मुद्दों पर सूचनाओं का संग्रह करें और उन पर मॉडल उत्तर लिखने का प्रयास करें।
अर्थव्यवस्था
इस खंड का संबंध सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3 से है। वैसे तो प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा दोनों में ही इस खंड से अच्छे-खासे अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, पर चूँकि, हमारी वर्तमान चर्चा पूरी तरह से मुख्य परीक्षा पर ही केंद्रित है, अतः इस खंड में हम मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति, आधार व प्रकार इत्यादि की ही बात करेंगे।
विगत दो वर्षों की मुख्य परीक्षाओं में ‘आर्थिक विकास एवं अर्थव्यवस्था’ खंड से पूछे गए प्रश्नों की बात करें तो इस खंड से लगभग 110 अंकों के प्रश्न पूछे गए।
अर्थव्यवस्था में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि इनके उत्तर देने के लिये विषय की बुनियादी समझ के साथ-साथ विभिन्न आयामों के विश्लेषण की भी क्षमता होनी चाहिये, क्योंकि सारे प्रश्न सैद्धांतिक के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के व्यावहारिक पक्ष को भी समेटे होते हैं। इस विषय में एक और महत्त्वपूर्ण व लाभप्रद बात यह है कि अधिकांशतः प्रश्न कहीं न कहीं समसामयिक घटनाओं से संबंधित अवश्य रहते हैं। अतः देश-विदेश के आर्थिक जगत में घटित हो रही घटनाओं पर ध्यान रखकर ही इन विषयों की तैयारी करनी चाहिये।
एक अन्य सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि यदि सरकार द्वारा आर्थिक या वित्तीय जगत में किसी प्रकार के नीतिगत फैसले लिये जा रहे हैं, किसी नियम-कानून में परिवर्तन हो रहा है तो उसे अवश्य ही कहीं न कहीं प्रश्न से जोड़कर पूछा जा सकता है। यह प्रश्न इस बिंदु को भी प्रकाश में लाता है कि किस तरह से नए पैटर्न में किसी एक विषय पर प्रश्न न पूछकर विभिन्न विषयों को जोड़कर और व्यावहारिक पक्ष पर ज़ोर देते हुए प्रश्न पूछे जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, आधारभूत संरचना, कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से संबंधित प्रश्नों को भी देख सकते हैं। परंतु ध्यान रहे कि कृषि से संबंधित सैद्धांतिक प्रश्न जैसे ‘फसल प्रारूपों, सिंचाई प्रणाली इत्यादि पर प्रश्न न पूछकर कृषि में समस्या, ग्रामीण साख इत्यादि से संबंधित प्रश्न पूछे जा रहे हैं। अतः हमें विषयों को पढ़ते वक्त इन सभी को ध्यान में रखकर ही तैयारी करनी चाहिये।
अब, अगर उपरोक्त सभी बातों को चंद बिंदुओं में समेटा जाए तो प्रश्नों की प्रकृति के संबंध में निम्नलिखित निष्कर्ष सामने आते हैं- 1. विषय की बुनियादी समझ आवश्यक है। 2. प्रश्न महज सैद्धांतिक न होकर व्यावहारिक तथा बहुआयामी प्रकृति के पूछे जा रहे हैं। 3. अधिकांशतः प्रश्न समसामयिक विषयों से संबंधित पूछे जा रहे हैं। 4. विभिन्न आयामों को एक दूसरे से जोड़कर विश्लेषण करने की क्षमता को महत्त्व दिया जाना चाहिये।
आतंरिक सुरक्षा
आंतरिक सुरक्षा हमारे देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। सम्भवतः इसीलिये सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया गया है। सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों से यह अपेक्षा की जाती है कि देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न आयामों की एक सामान्य समझ विकसित करें।
अभ्यर्थियों को इस खंड की तैयारी विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति तथा प्रारूप को ध्यान में रखकर करनी चाहिये, जिसमें प्रश्नों का झुकाव समसामयिक मुद्दों की ओर अधिक है।
आंतरिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी गृह मंत्रालय की है, अतः आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियों, योजनाओं, प्रणालियों आदि से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें अभ्यर्थियों को देखते रहना चाहिये। इन एजेंसियों में हो रहे बदलावों व बदलते परिदृश्य में इनकी भूमिका के विषय में समसामयिक पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से स्वयं को अपडेट करते रहना चाहिये।
अभ्यर्थी को आंतरिक सुरक्षा खंड की बेहतर समझ विकसित करने के लिये इसे कई उपविषयों में विभाजित करके पढ़ना चाहिये, जैसे- • विकास और उग्रवाद के प्रसार के मध्य संबंध • आंतरिक सुरक्षा में नॉन स्टेट एक्टर्स की भूमिका • साइबर सुरक्षा-राष्ट्रिय साइबर सुरक्षा नीति (2013) • मनी लॉन्डरिंग • सीमावर्ती क्षेत्रों (विशेषकर पूर्वोत्तर) में सुरक्षा चुनौतियाँ तथा प्रबन्धन • आतंकवाद तथा संगठित अपराध के मध्य संबंध • भारत का परमाणु कार्यक्रम...इत्यादि
अभ्यर्थियों को चाहिये कि वे समसामयिक मुद्दों पर विभिन्न सूचनाओं का संग्रह कर, मुख्य परीक्षा के प्रश्नों के प्रारूप व प्रकृति को समझते हुए स्वयं प्रश्न तैयार करके उत्तर लिखने का प्रयत्न करें।
पर्यावरणीय मुद्दे एवं आपदा प्रबंधन
मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम में पर्यावरणीय मुद्दों और आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रश्न क्रमशः सामान्य अध्ययन तृतीय के अंतर्गत पूछे जाते हैं।
अगर पिछले वर्षों के प्रथम व तृतीय प्रश्नपत्रों का अवलोकन करें तो एक बात साफ तौर पर देखी जा सकती है कि भूगोल, पर्यावरणीय मुद्दे व आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रश्नों की प्रकृति विश्लेषणात्मक (Analytical) प्रकार की रही हैं, जहाँ संबंधित अवधारणाओं की गहन जानकारी आवश्यक है।
विगत दो वर्षों की मुख्य परीक्षाओं में सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र में भूगोल खंड से पूछे गए प्रश्नों का अवलोकन करें तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि ये प्रश्न विश्व के भौतिक भूगोल, भारत के अपवाह तंत्र, उद्योगों की अवस्थिति, ऊर्जा संसाधन, महासागरीय संसाधन, कृषि, अफ्रीकी महाद्वीप के संसाधन, प्लेट विवर्तनिकी व भूकंप, ज्वालामुखी, प्लेट विवर्तनिकी एवं द्वीपों के निर्माण, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव तथा एल-नीनो से संबंधित थे, वहीं पर्यावरणीय मुद्दों व आपदा प्रबंधन के प्रश्न पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, अवैध खनन, भारत के पश्चिमी क्षेत्र में भूस्खलन व आपदा प्रबंधन से संबंधित थे।