निबंध रणनीति | 18 Jun 2018
सिविल सेवा के बदले हुए पाठ्यक्रम ने आपके अंतिम चयन में निबंध को निर्धारक भूमिका में ला खड़ा किया है। सामान्य अध्ययन के चारों प्रश्नपत्रों की अपेक्षा निबंध के प्रश्नपत्र में अपेक्षाकृत कम मेहनत करके अधिक अंक लाए जा सकते हैं। आप 250 अंकों के प्रश्नपत्र में 160-170 अंक तक प्राप्त कर सकते हैं।
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हालाँकि, ऐसा देखा जाता है कि निबंध के प्रश्नपत्र को अनेक परीक्षार्थी बहुत हल्के में ले लेते हैं और सीधे परीक्षा भवन में ही जाकर निबंध लिखते हैं। इनमें कुछ प्रतिभाशाली विद्यार्थी जो स्कूल और कॉलेज स्तर पर निबंध लेखन करते रहे हैं, वे बेहतर प्रदर्शन करते हैं। परंतु, परीक्षार्थियों का एक बड़ा तबका अपने ‘अति आत्म-विश्वास’ का शिकार हो जाता है, क्योंकि सभी में तो ऐसी प्रतिभा नहीं हो सकती कि सीधे परीक्षा भवन में निबंध लिखें और अच्छे अंक पा जाएँ।
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आपके मन में एक बड़ा सवाल यह उठता रहा होगा कि आखिर निबंध की तैयारी कैसे की जाए? इसके लिये कौन सी किताब पढ़ी जाए? तो यहाँ आपको स्पष्ट कर दें कि ऐसी कोई एक किताब नहीं है जिसे पढ़कर आप रातोंरात निबंध में पारंगत हो जाएँ। कोई ऐसी विधि भी नहीं है जिसे रटकर आप निबंध के प्रश्नपत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
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अब, आप सोच रहे होंगे कि फिर ऐसा क्या है जो निबंध के प्रश्नपत्र में आपको सहज और सफल बनाएगा? संघ लोक सेवा आयोग के निबंधों की मूल प्रवृत्ति ही रचनात्मक रही है। यहाँ आपसे इस बात की बहुत अधिक उम्मीद नहीं की जाती है कि आप दिये गए विषय में तथ्यों का विशाल पहाड़ खड़ा कर दें, बल्कि अधिक उम्मीद यह की जाती है कि आप अपने रचनात्मक और कल्पनात्मक कौशल का परिचय देते हुए दिये गए विषय की अवधारणा को स्पष्ट करें। निबंध को नीरस व उबाऊ बनाने की बजाय सरस व रोचक बनाएँ।
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सिविल सेवा परीक्षा के वर्तमान प्रारूप में निबंध लेखन में एक चुनौती यह आती है कि कम-से-कम शब्दों में पूरे विषय को स्पष्ट कैसे किया जाए? इसके लिये जो सबसे ज़रूरी बात है, वह है नियत समय व नियत शब्द-सीमा में लिखने का अभ्यास।
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प्रारंभिक परीक्षा के पश्चात् बचे हुए चार महीनों में जो सबसे पहला कार्य आपको करना है वह है- अधिक से अधिक विषयों पर लेखन अभ्यास, खासकर उन विषयों पर जो सिविल सेवा परीक्षा में अब तक पूछे जा चुके हैं।
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हालाँकि, सिविल सेवा परीक्षा में इस बात की बहुत कम ही संभावना रहती है कि विषय रिपीट हो। मगर यह ज़रूर है कि अगर आपने विगत वर्षों की परीक्षा में पूछे गए या उनकी प्रवृत्ति से मिलते-जुलते निबंधों का अभ्यास कर लिया, तो परीक्षा भवन में पूछे गए निबंध आपको नए नहीं लगेंगे। आप उनकी मूल प्रवृत्ति को समझ सकेंगे और बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
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आप प्रयास यह करें कि बचे हुए चार महीनों में प्रतिदिन कम-से-कम एक विषय पर निबंध लिखें, प्रतिदिन नहीं तो कम-से-कम दो दिनों में एक निबंध अवश्य लिखें।
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सबसे बड़ा सवाल निबंध के प्रश्नपत्र को लेकर यह है कि क्या पढ़ा जाए? पहले भी यह चर्चा की जा चुकी है कि इसके लिये कोई एक ऐसी किताब नहीं है। वस्तुतः निबंध आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का परीक्षण है। इससे आपकी संवेदना और आपकी सोच का पता चलता है।
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कुछ आवश्यक सामग्री जो आपके निबंध लेखन में लाभदायी होंगी उनमें नियमित रूप से अखबारों मे छपे संपादकीय लेख अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं जो किसी विषय के प्रति आपकी समझ को विकसित करने में लाभकारी सिद्ध होंगे।
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इसके अलावा, कुछ प्रसिद्ध निबंधकारों के निबंध पढ़ें और यह समझने की कोशिश करें कि दिये गए विषय को किस तरह से लेखक ने कितने आयामों में बाँटा है और उसके क्या मनोभाव रहे हैं? ज़रूरी हो तो आवश्यक बातों को नोट भी करें।
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कुछ प्रसिद्ध महापुरुषों के कथन, शायरी, कविता भी याद कर लें, इनका एक संग्रह भी बना सकते हैं खासकर, गरीबी, न्याय, महिला, विज्ञान, धर्म, भ्रष्टाचार से जुड़े विषयों पर।
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पूर्व में निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नहीं होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी रहती थी। लेकिन हाल ही में ‘दृष्टि पब्लिकेशन’ द्वारा प्रकाशित ‘निबंध-दृष्टि’ पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दिया है। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से विभिन्न श्रेणियों में विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच भी स्तरीय है।
कैसे बनाएँ निबंध को रोचक?
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निबंध को रोचक बनाने के लिये शायरी, कहानी, लोकोक्ति, श्लोक, संस्मरण, प्रसिद्ध विद्वानों के कथन या अन्य बातें जो आपको लगें कि विषय से जुड़ी हुई और प्रासंगिक हैं, उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
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आप इनका इस्तेमाल निबंध की शुरुआत, मध्य या अंत में अथवा जहाँ भी उचित मालूम पड़े, कर सकते हैं। मगर इस बात का ध्यान रहे कि आपके द्वारा इस्तेमाल की गई कविता/कहानी विषय से जुड़ती हो, वह विषय से एकदम भिन्न न हो, या फिर यूँ ही इस्तेमाल न की गई हो।
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इनका इस्तेमाल आपके निबंध को रोचक व प्रवाहमय बनाएगा और परीक्षक आपके निबंध को पढ़ते वक्त बोर भी नहीं होगा। विद्वानों के कथन आपकी बात को पुष्ट व प्रमाणिक बनाते हैं, कभी-कभी तो सीधे कोई काव्य पंक्ति या विद्वानों के कथन निबंध के विषय के रूप में पूछ लिये जाते हैं। इससे आप इनकी महत्ता समझ सकते हैं।
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वस्तुतः निबंध का उद्देश्य आपके ज्ञान परीक्षण से अधिक आप के व्यक्तित्व का परीक्षण करना है। आप कैसे इंसान हैं? सिविल सेवक बनने के बाद आप आम जन की भावना और संवेदना से जुड़ पाएंगे या नहीं? आपके निबंध लेखन में ये भाव आपके लाख छिपाने के बाद भी अभिव्यक्त हो जाते हैं।
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निबंध और इंटरव्यू में काफी हद तक समानता भी इसी बात को लेकर है। इसलिये, निरंतर अपने व्यक्तित्व को निखारने और सकारात्मक विचारों को निरंतर ग्रहण करने का प्रयास करें। आशावादी बनें, समस्याओं के समाधान बताएँ न कि समस्याएँ खड़ी करें। आपकी निराशावादी विचारधारा आपको प्रतियोगिता से बाहर कर सकती है, यकीन मानें।
निबंध लिखते समय क्या हो विचारधारा?
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परीक्षार्थियों के समक्ष एक बड़ी समस्या इस बात को लेकर रहती है कि निबंध लेखन के समय हमारी विचारधारा क्या हो? क्या किसी खास विचारधारा का कोई असर पड़ता है? क्या हम सरकारी नीतियों का विरोध कर सकते हैं?
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इसका सीधा-सा जवाब है कि हमारी विचारधारा चाहे जो भी हो, बस आम जन के विरोध वाली नहीं होनी चाहिये; किसी लिंग, जाति व धर्म के प्रति दुराग्रहपूर्ण नहीं होनी चाहिये, और अगर ऐसा है तो निश्चित रूप से इसका असर पड़ता है। जहाँ तक सरकारी नीतियों के विरोध की बात है तो उचित विरोध किया जा सकता है, मगर सिर्फ विरोध करने के लिये विरोध न करें।
कैसे करें विषयों का चुनाव?
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पिछले वर्ष पूछे गए निबंध के प्रश्नपत्र में प्रथम व द्वितीय खण्ड से 4-4 निबंध पूछे गए जिनमें दोनों खण्डों से 1-1 विषय का चुनाव करना था। यानी अब आपको एक नहीं दो विषयों पर निबंध लिखना होगा और इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में यह संख्या और भी बढ़ जाए।
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ऐसे में विषय चयन के प्रति सावधानी अति आवश्यक है। आप दिये गए विकल्पों में जिसमें अधिक सहज हों, जो आपकी रुचि से जुड़ा हो, उसका चयन करें। लेकिन यह चयन सोच समझकर करें क्योंकि एक बार लिखना शुरू करने के बाद फिर आपको लगे कि आप किसी और विषय पर ज़्यादा अच्छा लिख सकते थे, तो इससे आपके समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी होती है, साथ ही आपका आत्मविश्वास भी गिरता है और लिखकर काटना, फिर लिखना परीक्षक पर भी सकारात्मक असर नहीं डालता है।
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एक बार यदि किसी विषय पर लिखना शुरू कर दें तो पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखें। ध्यान रखें कि निबंध के किसी भी प्रश्न का कोई एक निश्चित उत्तर नहीं होता। यह आप पर निर्भर करता है कि आपका विषय के प्रति क्या नज़रिया है, आप विषय को कैसे परिभाषित करते हैं? जैसे कि यूपीएससी ने 2005 में एक निबंध पूछा था- ‘शिशु को खिलाने वाले हाथ’। इस पर किसी परीक्षार्थी ने शिशु को खिलाने वाले हाथों को माँ के नज़रिये से देखा तो किसी ने पूरे परिवार व समाज के नज़रिये से। निबंध के रूप में जवाब कभी पूर्णतया सही या गलत नहीं होते। हाँ, यह प्रयास अवश्य करें कि दिये गए विषय के मूलभाव तक पहुँच सकें।
परीक्षा भवन में क्या करें?
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प्रश्नपत्र सामने आते ही पहले सभी विषयों को आराम से पढ़ें, फिर जो आपको अधिक रुचिपूर्ण लगे उसका चयन करें।
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दिये गए विषय के पक्ष व विपक्ष में कुछ बिंदु सोचें व नोट करें, फिर उन्हें सम्यक रूप से लिखने की कोशिश करें।
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कई बार, कुछ विषयों में सिर्फ पक्ष या सिर्फ विपक्ष का चुनाव कर सकते हैं, मगर ऐसे में आपके पास सिर्फ विरोध या सिर्फ समर्थन के ठोस तर्क होने चाहियें, हवा-हवाई बातों से काम नहीं चलेगा। अंत में निष्कर्ष अवश्य लिखें जो कि आपके निबंध का सार है।
कैसे करें लिखने की शुरुआत? क्या हो उचित समापन?
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निबंध का उत्तर लिखते समय कुछ परीक्षार्थियों के मन में बड़ा प्रश्न यह होता है कि पहली पंक्ति में क्या लिखें? शुरुआत कहाँ से करें, तो बिना डरे किसी कविता, कहानी, कोई संस्मरण, किसी फिल्म का प्रासंगिक दृश्य, आपके जीवन से जुड़ी कोई घटना आदि से शुरुआत की जा सकती है।
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अंत भी ऐसा ही हो जो विषय के मूलभाव को संतुलित तरीके से समेट सके।
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इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये आप परीक्षा से पूर्व इससे सम्बंधित किसी मॉक टेस्ट श्रृंखला में सम्मिलित हो सकते हैं। अगर संभव हो तो आप ‘दृष्टि द विज़न’ द्वारा दिल्ली में चलाई जाने वाली निबंध की कक्षाओं में भाग ले सकते हैं ।