भारत ने सार्क देशों के लिये एक ‘उभयनिष्ठ न्यायालय (Common Court)’ की स्थापना का सुझाव दिया है। यह न्यायालय सार्क देशों के साझा मुद्दों को संबोधित करने में कितना कारगर होगा? समालोचनात्मक मूल्यांकन करें।
01 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधभारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने सार्क क्षेत्र के देशों के लिये एक उभयनिष्ठ न्यायालय (Common Court) की स्थापना का सुझाव दिया। इसमें प्रत्येक देश के न्यायालय शामिल होंगे जो अपने ज्ञान को साझा कर सकते हैं और सीमापार आतंकवाद, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी आदि मामलों से निपटने में सहायक हो सकते हैं।
यह न्यायालय सभी सार्क देशों के न्यायाधीशों से मिलकर बनी होने के कारण ऐसे क्षेत्रीय मुद्दों पर त्वरित न्याय सुनिश्चित होगा तथा सीमापार मामलों में सहयोग में वृद्धि होगी। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि सार्क देशों के न्यायालयों के लिये एक ‘साझा सुरक्षित वेबसाइट’ बनाई जाए जो आतंकी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले हथियारों, उपकरणों एवं आतंकवादियों के काम करने के तरीकों के बारे में सूचना का आदान-प्रदान करेगी। इस पर न्यायाधीश उनसे संबंधित आतंक के मामलों का विवरण साझा कर सकते हैं।
यद्यपि, आतंकवादी गतिविधियाँ से निपटने की दिशा में यह एक सार्थक पहल सिद्ध हो सकती है लेकिन इसे लागू करने के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। विशेषज्ञों की राय है कि इस विचार को लागू करना मुश्किल होगा क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में सदैव तनाव रहता है एवं दोनों देशों के प्रत्यर्पण संधि भी नहीं हुई है। पाकिस्तानी एजेंसियाँ जैसे ISI सेना आदि भी आतंकी समूहों का सहयोग करते हैं। भारत सदैव पाकिस्तान से इन आतंकी समूहों से सहयोग न करने का आग्रह करता रहा है। किंतु, पाकिस्तान ने कभी यह स्वीकार नहीं किया कि भारत विरोधी आतंकी संगठन उसके क्षेत्र में सक्रिय हैं, बल्कि पाकिस्तान स्वयं को आतंकवाद पीड़ित देश के रूप में प्रस्तुत करता है।
इस प्रकार के साझा न्यायालय के गठन से आतंकवाद के खिलाफ न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, लेकिन इसके लिये सभी सार्क देशों को एकीकृत एवं समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है।